Sri Hanumad Janmabhoomi - Kishkindha Book

श्री पम्पाविरुपाक्षेश्वर और श्री हनुमद् जन्मभूमि किष्किन्धा
श्री हनुमद् समेत श्री सीताराम लक्ष्मण स्वामी दिव्य चरण कमलों में समर्पित ”श्री हनुमद् जन्मभूमि – किष्किन्धा” ग्रन्थ

हरिद्वार कुम्भ 2021 के दौरान पूज्य जगद्गुरु शंकराचार्य महाराजश्री गुरुदेव के चरण कमलों में “श्री हनुमद जन्मभूमि – प्रमाण” के संबंध में निवेदन रखा।
पूज्य गुरुदेव जी ने मुझे विभिन्न वैदिक ग्रंथों (श्री वाल्मीकि रामायण, शिवहामापुराणम और अन्य) का अध्ययन करने और एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। फिर यह पुस्तक लेखन शुरू हुआ
https://www.youtube.com/watch?v=Ie_LlieWmQ8

पिछले 15 वर्षों के दस्तावेज जो मैंने पहले ही श्री हनुमान के जन्म इतिहास से संबंधित विभिन्न वैदिक ग्रंथों से एकत्र किए हैं, जो मेरे द्वारा एकत्र किए गए हैं, वह एक पुस्तक प्रारू में गुरुदेव को प्रस्तुत किए गए हैं।
इस पर लगातार 20 दिनों तक चली चर्चा https://www.youtube.com/watch?v=9h-77WNPhxc

परम पूज्य जगद्गुरु शंकराचार्य महाराजश्री को परमहंसी गंगा आश्रम में संपूर्ण “शोध पत्र” पुस्तक “श्री हनुमद जन्मभूमि किष्किंधा” प्रस्तुत करते हुए,
पूरे काम को ध्यान से देखने के बाद जगद्गुरु जी ने कहा
“भगवान श्री हनुमान ने किष्किंधा में ही जन्म लिया,
इसमें कोई संदेह नहीं है”
https://www.youtube.com/watch?v=9h-77WNPhxc

Open Public Meeting Bellary Vijayanagara Karnataka – 03-05-2018
https://www.youtube.com/watch?v=nQEhKiafpSc

जब भारत देश का प्रधानमन्त्री श्री नरेद्रमोदी कर्नाटक मे पम्पाक्षेत्र विजयनगर बल्लारी आया खुली सभा मे जनता लोगों को संभोधित करते हुए इस पम्पाक्षेत्र किष्किन्धा हम्पी महिमा को स्मरण करते हुए, यह कहा कि
“ श्री हम्पी विरूपाक्ष, हजार राम, इतिहास प्रसिद्द विजयनगर साम्राज्य, राम भक्त हनुमान जन्मस्थान, प्रभु श्रीरामजी के पाद स्पर्श से पुनीत भूमि ”

Prime Minister of INDIA
Sri Narendra Damodardas Modi,

Open Public Meeting in Gangavati Kishkindha- Karnataka Apr 27, 2018
https://www.youtube.com/watch?v=nQEhKiafpSc

जब भारत देश का गृह मन्त्री श्री अमित अनिल चंद्र शाह कर्नाटक मे पम्पाक्षेत्र किष्किन्धा मे खुली सभा मे
“हनुमान् जी की जन्मभूमि पर पवित्र जगह पर आज आया हू, और आज इस भूमि के छूने केलिए अवसर मिला है”

Home Minister Govt of INDIA
Sri Amit Anilchandra Shah,

श्री हनुमद् जन्मभूमि किष्किन्धा अञ्जनाद्रि
( पम्पाक्षेत्र – कर्नाटक )

मुद्रण प्रकाशन तिथि :

प्रकाशन
श्री हनुमद् जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट (रि)
www.kishkindha.org

लेखक
पूज्य परमहंस परिव्राजक दण्डी स्वामी
श्री गोविंदानन्द सरस्वती

अनुक्रमणिका
1 विषय
2 सनातन धर्म आचार्याणां आशीर्वाद:
3 निर्णय
4 श्री हनुमान् जी का जन्म वृत्तान्त परिचय,
5 गुहा = किष्किन्धा (स्थान विशेष) पद का व्याकरण निरूपण,
6 श्री हनुमान् जी का जन्म वृत्तान्त निरूपण,
7 श्री हनुमान् जी का जन्म तिथि निरूपण,
8 श्री हनुमद् जन्मभूमि स्थल “किष्किन्धा” का निरूपण,
9 श्री हनुमान् जन्मभूमि किष्किन्धा पर्वत पर विराजमान ३ मूल मन्दिर,
10 पम्पाक्षेत्र किष्किन्धा में विराजमान अन्य पर्वत और उस पर्वतों में स्थित विविध गुफाएं (माल्यवंत पर्वत गुहा, इत्यादि)
11 पुराण, इतिहास एवं काल मीमांसा
12 अञ्जन हल्लि (अञ्जन गाँव) माता अञ्जना देवी का जन्म स्थल
13 हनुमन हल्लि (श्री हनुमान गाँव) श्री हनुमान जी का बाल्य लीला स्थान
14 श्री हनुमान जी आजन्म बाल ब्रह्मचारी, अविवाहित है,
15 धार्मिक निर्णय
16 श्रुतिस्मृतिविरोधे तु श्रुतिरेव गरीयसि
17 श्री वाल्मीकि रामायण और किष्किन्धा
18 टि.टि.डि. कमेटी की हार हनुमान् जन्मभूमि ट्रस्ट का जीत
19 तिरुपति टि.टि.डि. कमेटी के कार्यों पर आन्ध्रा हाईकोर्ट की रोक आदेश
20 श्री हनुमान् जी के जन्मस्थल पर दावा करने वाले अन्य स्थलों का निराकरण
1 तिरुपति (आन्ध्रप्रदेश)
2 गोकर्ण ( कर्नाटक)
3 नासिक् ( महाराष्ट्र)
4 डांग ( गुजरात )
5 कैथल् ( हरियाणा )
6 गुमला ( झारखण्ड)
21 समस्त भक्त लोगों का संदेश
22 अप्रामाणिक ग्रंथो का निराकरण – श्री हनुमान जी के बारे में झूठा प्रचार करने वाले अप्रमाण ग्रंथ, पुराण, संहिता, पी.एच.डी इत्यादि,
23 श्री हनुमद् जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट (रि) , श्री हनुमद् जन्मभूमि “पम्पाक्षेत्र किष्किन्धा” जीर्णोद्धार पुनर्वैभव भविष्य प्रणाळिका,

  1. पम्पाक्षेत्र किष्किन्धा मे विराजमान श्री हनुमान् कि मन्दिर और विग्रह,
    26 ASI, UNESCO, Govt India Min of Culture Ref Documents
    श्री गणेशाय नम:
    जय विरूपाक्ष , जय श्री राम , जय हनुमान
    रामे चित्तलय: सदा भवतु मे । श्रीरामदूतं शिरसा नमामि
    श्रीरुद्र अवतार, वायु पुत्र, केसरी अञ्जनी नन्दन श्रीरामभक्त हनुमान जी की जय हो |
    विरूपाक्षस्तु विश्वेश: तुंगभद्रातु जान्हवी । पम्पा काशी समा दिव्या भुक्तिमुक्ति प्रदायिनी॥
    श्रीराम राम रामेति रमे रामे मनोरमे । सहस्रनाम तत्तुल्यं श्रीरामनाम वरानने ॥
    मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम्।
    वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये।।
    विषय: श्री हनुमान् जी का जन्म स्थल, तिथि एवं जन्म वृत्तान्त विमर्श, विश्लेषण और निर्णय,
    भगवान् श्री हनुमान् जी कि विषय से सम्बन्धित संपूर्ण इतिहास, पुराण, व्याकरण, इत्यादि अनेक ग्रंथ एवं (कल्प) काल विषय, इत्यादि अनेक विषय अवलोकन करने के बाद एवं ( किष्किन्धा, गोकर्ण, तिरुपति, नासिक्, डांग, कैथल, गुम्ला) इत्यादि क्षेत्रों से मिले विविध प्रमाणों को और तत्तत् स्थानीय वस्तु स्थितियों का भी सम्पूर्ण विश्लेषण करने के बाद निकला हुआ प्रामाणिक निष्कर्ष,
    निर्णय : “श्री हनुमान जी भगवान श्री रुद्र के अवतार हैं,” श्री वायु देवता के “औरस पुत्र” हैं । श्री केसरी की पत्नी अञ्जना देवी ने चैत्र शुक्ल पूर्णिमा तिथि में किष्किंधा नगरी ( पम्पा क्षेत्र वर्तमान कर्नाटक ) में जन्म दिया । हनुमान जी शुद्ध आजन्म बाल ब्रह्मचारी, अविवाहित हैं ।
    “श्री हनुमान् जी का जन्म वृत्तान्त” कि बारे मे श्री मद् वाल्मीकि महर्षि परम प्रमाण है, इतिहास पुराणों मे इतिहास ही परम प्रमाण और प्रबल है । तदनुसार

जन्मस्थान श्लो : एवमुक्ता ततस्तुष्टा जननी ते महाकपे।
गुहायां त्वां महाबाहो प्रजज्ञे प्लवगर्षभम्।। ( वा.रा 4.66.20 ॥ )
यहां “गुहा” शब्द का अर्थ किष्किन्धा ही है,
पाणिनी व्याकरण महाभाष्य : – पारस्करप्रभृतीनि च संज्ञायाम् (सूत्र सं २५९४) किष्किन्धा = गुहा
जन्मतिथि श्लो : महाचैत्रीपूर्णिमायां समुत्पन्नोऽञ्जनीसुत:।
आ.रा.सा.का -13.163
धार्मिक संदेश : किसी भी धार्मिक विषयों में विश्लेषणात्मक प्रामाणिक निर्णय देना है तो यह प्रामाणिक धर्म ग्रंथो के आधार पर सनातन परम्परागत प्रामाणिक धर्माचार्यों के द्वारा दिया गया निर्णय ही सर्वमान्य है । ऐसे धार्मिक विषयों मे पूर्व काल मे भी हर सनातनी लोग प्रमाण युक्त प्रामाणिक धर्माचार्यों के निर्णयों को स्वीकार करके उसका पालन करते हुए भगवदनुग्रह प्राप्त किए, सम्प्रति इस विषय में भी उसी परम्परा को श्रद्धा पूर्वक पालन करते हुए, आगे बढाते हुए, हर सनातनी श्री हनुमान् जी कि अनुग्रह प्राप्त करे ।
समय समय पर जब भी धार्मिक विषयों पर चर्चा करना या निर्णय देना यह धर्माचार्यों का दायित्व हैं । नतु अन्य लोगों का (प्रशासन् हो या लौकिक संस्था, कमेटी) भविष्य मे इस विषय को लेकर किसी भी तरह टिप्पणी, हस्तक्षेप या चर्चा करना अनावश्यक है । भगवान् श्री हनुमान् जी कि विषय में प्रचार होनेवाले अप्रामाणिक ग्रंथों से हर सनातनी सावधान रहे ।

प्र) श्री हनुमान् जी का जन्म किस स्थल / नगरी मे हुआ ?
समाधान ) त्रेतायुग में दक्षिण भारत में ( वर्तमान कर्नाटक राज्य कोप्पल जिला, गंगावति तालूक् आनेगुन्दि के पास विद्यमान नगरी ) पम्पाक्षेत्र तुङ्गभद्रा नदी के उत्तर तट पर विराजमान पम्पासरोवर स्थित “किष्किंधा” नगरी में हुआ ।
प्र) इस का प्रमाण क्या है ?
स) इसकेलिए अनेकों सारे प्रमाण उपलब्ध है. इनमें से मूल प्रमाण “श्रीमद्वाल्मीकि महर्षि विरचित श्रीमद्वाल्मीकि रामायण हैं । ”

  1. प्र) श्रीमद् वाल्मीकि रामायण में कहां लिखा है ?
    स) श्रीमद् वालीकि महर्षि विरचित श्रीमद् वाल्मीकि रामायण में किष्किन्धा काण्ड में यह उल्लेख किया गया है ।
    श्लो : एवमुक्ता ततस्तुष्टा जननी ते महाकपे।
    गुहायां त्वां महाबाहो प्रजज्ञे प्लवगर्षभम्।। ( वा.रा 4.66.20 ॥ )

प्र) इस श्लोक मे किष्किन्धा नाम / शब्द नही है इस का उत्तर क्या है ?
स) यहां “गुहा” शब्द का ही किष्किन्धा अर्थ है, और श्रीमद् वाल्मीकि महर्षि अपने रामायण मे “किष्किन्धा” पद प्रयोग करने के समय “गुहा” शब्द का ही प्रयोग किए हैं।

  1. प्र) इस का प्रमाण क्या है ?
    स) “गुहा = किष्किन्धा”, पद का अर्थ : किसी भी वैदिक / पौराणिक / संस्कृत वाङ्मय मे किसी भी पद का और पद के अर्थ का निर्णय करने के लिए वैदिक आचार्य परम्परागत प्राप्त प्रमाण व्याख्यान कारों के ग्रन्थ और व्याख्यान का ही आधार लेना चाहिए
    उदा:
    गुहा = सामान्य गुहा, किष्किन्धा ( नगर)
    वेद = श्रुति आम्नाय
    हरि = श्री महा विष्णु वानर
    गुहा = किष्किन्धा – व्याकरण शब्दार्थ निरूपण :
    1) पाणिनी व्याकरण महाभाष्य : पारस्करप्रभृतीनि च संज्ञायाम् (२५९४) (गणस्वरूपसाधकभाष्यम्) अविहितलक्षणः सुट् पारस्करप्रभृतिषु द्रष्टव्यः । पारस्करो देशः । कारस्करो वृक्षः । रथस्पा नदी । किष्किन्धा गुहा । किष्कुः ॥ तद्बृहतोः करपत्योश्चोरदेवतयोः सुट्तलोपश्च । तस्करः, बृहस्पतिः ॥ प्रायस्य चित्तिचित्तयोः सुडस्कारो वा । प्रायश्चित्तिः । प्रायश्चित्तम् ॥ इति श्रीमद्भगवत्पतञ्जलिविरचिते व्याकरणमहाभाष्ये षष्ठाध्यायस्य प्रथमे पादे पञ्चममाह्निकम् ॥

2) काशिका : पारस्करप्रभृतीनि च शब्दरूपाणि निपात्यन्ते संज्ञायां विषये। पारस्करो देशः। कारस्करो वृक्षः। रथस्पा नदी। किष्कुः प्रमाणम्। किष्किन्धा गुहा। तद्बृहतोः करपत्योश्चोरदेवतयोः सुट् तलोपश्च। तस्करश्चोरः। वृहस्पतिदेवता। चोरदेवतयोः इति किम्? तत्करः। बृहत्पतिः। संज्ञाग्रहणादुपाधिपरिग्रहे सिद्धे गणे चोरदेवताग्रहणं प्रपञ्चार्थम्। प्रात्तुम्पतौ गवि कर्तरि। तुम्पतौ धातौ प्रशब्दात् परः सुट् भवति गवि कर्तरि। प्रस्तुम्पति गौः। गवि इति किम्? प्रतुम्पति वनस्पतिः। पारस्करप्रभृतिराकृतिगणः। अविहितलक्षणः सुट् पारस्करप्रभृतिषु द्रष्टव्यः। प्रायश्चित्तम्। प्रायश्चित्तिः। यदुक्तं प्रायस्य चितिचित्तयोः सुडस्कारो वा इति तत् सङ्गृहीतं भवति।

3) वाचस्पत्यम्/पश्वयन : पारस्करादि “पारस्करप्रभृतीनिच संज्ञायाम्”
पा० उक्ते ससुट्कनिपातनिमित्ते शब्दगणे स च “पारस्करो देशः । कारस्करोवृक्षः । रथस्या नदी । किष्कुः प्रमाणम् । किष्किन्धा गुहा । (तद्वृहतोः करपत्योश्चौरदेवतयोः सुट् तलोपश्च) (प्रात्तुम्पतौ गवि कर्त्तरि)

4) शब्दकल्पद्रुम : (गुह् + कःटाप्च। )सिंहपुच्छीलता।गर्त्तः। पर्व्वतादेर्गह्वरम्। इतिमेदिनी।हे।४। ( यथा रामायणे।१।१।७०। “ किष्किन्ध्यांरामसुग्रीवौजग्मतुस्तौगुहांतदा॥ ” ) शेषस्यपर्य्यायः। विलम्२शिलासन्धिः३देवखातम्४गह्वरम् ५। शालपर्णीवृक्षः ६। इतिराजनिर्घण्टः॥,
ऐसे ही श्री मद्वाल्मीकि रामायण में “गुहा / गुहायां” पद का
प्रयोग किया गया है, और श्री राम -तिलक, शिवसहाय श्री रामायण शिरोमणि, भूषण श्री गोविंदराजियम् ,इत्यादि प्रामाणिक व्याख्यानों में ( गुहा शब्द का किष्किन्धा अर्थ ) ही स्पष्ट रूप से निर्णय किया गया है, यहां वैदिक वाङ्मय , आचार्यों के सिद्धान्त है, ।

किष्किन्ध पु०. किं किं दधाति । धा+क । पारस्करा० सुट् षत्वं मलोपः । वृह० स० कूर्मविभागे आग्नेय्यामुक्ते १ देशभेदे “आग्नेय्यां दिशि कोशलकलिङ्गवङ्गोपवङ्गजटराङ्गाः” इत्युपक्रमे “किष्किन्ध कण्टकस्थल निषादवास्त्राणि पुरिक- दाशार्ण्णाः” इति । तत्रत्ये २ पर्व्वतभेदे च । ३ तत्रत्यवालि- राज धान्यां ४ तत्रत्यगुहायाञ्च स्त्री शब्दर० । “त्वया सह महाबाहो! किष्किन्धोपवने तदा” । “गच्छ लक्ष्मण! जानीहि किष्किन्धायां कपीश्वरम्” । “किष्किन्धाद्वा- रमासाद्य प्रविवेशानिवारितः” भा. व. २८१ अ। “गुहामासादयामास किष्किन्धां लोकविश्रुताम् । तत्र वानरराजाभ्यामैन्देन द्विपदेन च । युयुधे दिवसान् सप्त” भा. म. ३. अ. । दक्षिणदिग्विजये । किष्किन्धा अभिजनोस्य सिन्ध्वा० अण् । कैष्किन्ध पित्रादिक्रमेण किष्किन्धागुहातत्पुरीवासिनि त्रि० स्त्रियां ङीप् ।
किष्किन्धा(न्ध्या)काण्ड न. वाल्मीकिरामायणान्तर्गते
किष्किन्धाधिकारेण वालिसुग्रीवादीनामितिवृत्तप्रतिपादके
काण्डभेदे ।
किष्किन्धी स्त्री किष्किन्ध + गौरा० ङीष् । किष्किन्धपर्व्वत-
गुहायाम् “अभ्येत्य सर्व्वे किष्किन्ध्याम्” भा. व. २७९ अ. ।
किष्किन्ध्य पु० किष्किन्ध + स्वार्थे यत् । १ किष्किन्धशब्दार्थे
२ तत्रत्यपर्वतगुहायां ३ वालिराजघान्यां च स्त्री ।
किष्किन्ध्या(न्ध्या)धिप पु. ६ त. ।वालिनामके वानरराजे जटा. शब्दर०,

  • इतना ही नहीं इस को पुष्टि देते हुए व्याकरण के आचार्य “श्री रामायण” के ही श्लोक उधृत् किए है। “ जैसे रामायण मे बोला गया है
    “यथा रामायणे ।१।१।६७, ७० “किष्किन्ध्यां रामसुग्रीवौ जग्मतुस्तौ गुहां तदा”
  1. इस श्लोक का अर्थ क्या है ?
    स) ततः प्रीतमनाश्चैव विश्वस्तश्च महाकपिः |
    किष्किन्धां रामसहितो जगाम च गुहां तदा || १।१।६७, ७०
    तिलकाख्या टीका :- तत इति । ततः सालभेदानन्तरं तेनातिदुष्करेण कर्मणा वालिवधे विश्वासं प्राप्तः प्रीतमनाः कपिराज्यलाभो ऽचिरादेवेति सन्तुष्टमनाः महाकपिः सुग्रीवः किष्किन्धाख्यां गुहां रामसहितो जगाम ।।,
    रामकृता : – तदा तस्मिन्काले रामसहित : सन् किष्किन्धां तदाख्यां गुहां जगाम विवेश ।।,
    अमृतकतकव्याख्या : – ततः अनन्तरं भगवदतिरिक्तेन येन केन चिदपि दुष्करेण तेन कर्मणा विश्वस्तः प्राप्तविस्रंभः । इडभावश्छान्दसः । प्रीतमनाश्च महाकपिः किष्किन्धाख्यां गुहां रामसहितो जगाम । *पारस्करप्रभृतिषु “किष्किन्धा गुहा” इति वचनात् षत्वम् ।।,
    तत्वदीपिका : – तत इति । ततः सालभेदनानन्तरं तेन सालादिभेदनेन, विश्वस्तः विश्वासं प्राप्तः, सर्वात्मना रामो दर्शनमात्रेण वालिनं हनिष्यतीति विश्वासं प्राप्तः, प्रीतमनाः कपिराज्यमचिरादेव मम हस्तगतं भविष्यतीति सन्तुष्टान्तरङ्ग इत्यर्थः । तदा तस्मिन्नेव काले *किष्किन्धां गुहां पर्वतान्तरावकाशे तत्र निर्मितत्वात् किष्किन्धापि गुहाशब्देनोच्यते । जगाम चेति योजना ।।,

गो.टी : – स सुग्रीव: रामसहित: सन् तदा तस्मिन्नेव काले “ किष्किन्धां किष्किन्धाख्यां गुहां गुहावत्पर्वतमध्यवर्तिनीं पुरीं जगाम ” ।
तत इति । ततः सालभेदनानन्तरं तेन सालादिभेदनेन, विश्वस्तः विश्वासं प्राप्तः, सर्वात्मना रामो दर्शनमात्रेण वालिनं हनिष्यतीति विश्वासं प्राप्तः, प्रीतमनाः कपिराज्यमचिरादेव मम हस्तगतं भविष्यतीति सन्तुष्टान्तरङ्ग इत्यर्थः । तदा तस्मिन्नेव *काले किष्किन्धां गुहां पर्वतान्तरावकाशे तत्र निर्मितत्वात् किष्किन्धापि गुहाशब्देनोच्यते । जगाम चेति योजना ।। 1.1.65।।

महाभाष्य पाणिनीय व्याकरण “किष्किन्धा = गुहा”

                                    श्री रामायणशब्दकोश:

”किष्किन्धा एक पर्वतीय गुफा का नाम है” । “एक नगर का नाम है”

  1. “लक्ष्मण ने द्वार के भीतर प्रवेश करके देखा कि किष्किन्धा पुरी एक बहुत बडी रमणीय गुफा के रूप मे बसी हुई थी।“,
  2. “किष्किन्धा नगरी – यह पर्वत की गुहा मे बसी थी,” – श्री वाल्मीकि रामायण कोश:
    श्री वाल्मीकि रामायण शब्द कोश:

अष्टाध्यायी ( प्राचीन हस्तलिपि)

    पणिनि व्याकरण, श्री वाल्मीकि रामायण सम्बद्ध अन्य ग्रन्थ

श्री वाल्मीकि रामायण सम्बद्ध प्रामाणिक व्याख्यान्

 तत इति । ततः सालभेदनानन्तरं तेन सालादिभेदनेन, विश्वस्तः विश्वासं प्राप्तः, 

सर्वात्मना रामो दर्शनमात्रेण वालिनं हनिष्यतीति विश्वासं प्राप्तः, प्रीतमनाः कपिराज्यमचिरादेव
मम हस्तगतं भविष्यतीति सन्तुष्टान्तरङ्ग इत्यर्थः । तदा तस्मिन्नेव काले
किष्किन्धां गुहां पर्वतान्तरावकाशे तत्र निर्मितत्वात् किष्किन्धापि गुहाशब्देनोच्यते।
जगाम चेति योजना 1.1.65,

  1. प्र ) इस का अर्थ क्या है ?, स) पर्वतों के बीच में किष्किन्धा नगरी का निर्माण होने के
    कारण इस किष्किन्धा को ही “गुहा” शब्द से कहते है ,
    पर्वतों कि बीच मे मध्य बसा हुआ- किष्किन्धा नगरी

( किष्किन्धा नगरी ) मातंग पर्वत से लिया गया चित्र – ऋश्यमूक, किष्किन्धा अञ्जनाद्रि, विप्रकूट, तारा, वाली, गन्धमादन इत्यादि पर्वत

( पम्पाक्षेत्र, किष्किन्धा हम्पि नगरी ) मातंग पर्वत से लिया गया
ऋश्यमूक, किष्किन्धा अञ्जनाद्रि, विप्रकूट, तारा, वाली, गन्धमादन पर्वत

श्री हेमकूट पर्वत मे श्री रामायण चित्र, पम्पा क्षेत्र ( हम्पि) श्री हेमकूट पर्वत तुंगभद्रा के किनारे विराजमान भगवान् श्री पम्पा विरूपाक्ष मन्दिर्
श्री मातंग पर्वत

श्री वाल्मीकि रामायण सम्बद्ध प्रामाणिक 2 व्याख्यान्

व श्री वाल्मीकि रामायण सम्बद्ध प्रामाणिक 3 व्याख्यान्
श्री हनुमन्नाटक से प्राप्त अनेक उदाहरण

श्री वाल्मीकि रामायण शब्द कोष, अन्य सम्बद्ध प्रामाणिक व्याख्यान्

श्री वाल्मीकि रामायण अन्य प्रामाणिक व्याख्यान्

टीका : श्री वाल्मीकि रामायण अन्वय, विग्रह,अर्थ, सहित
सम्बद्ध प्रामाणिक व्याख्यान्

“गुफा की तरह पर्वतों के बीच बसी हुई किष्किन्धा पुरी को गये”
एवमुक्ता ततस्तुष्टा जननी ते महाकपे ।
गुहायां त्वां महाबाहो प्रजज्ञे प्लवगर्षभम् । 4.66.20॥ –

  • व्याख्या : “गुहायां इति – तत्पर्वत गुहायाम्” पृ.स. १६८६, )
    गुहायां पद को “तत्पर्वतगुहायां” इत्युक्ते “किष्किन्धायां जिसका अर्थ हैं “किष्किंधा नाम से विख्यात गुहा “गुहावत् पर्वतमध्यवर्तिनी पुरी” ,
    हुआ ( किष्किंधा ६६ सर्ग, श्लोक स.२० ) उसी किष्किंधा पुरी / नगर मे विराजमान विख्यात पर्वत में माता अञ्जना देवी के गर्भ से श्री हनुमान जी का जन्म हुआ, तब से यह पर्वत “अञ्जनाद्रि” नाम से विख्यात हुआ ।
    महाभारत में “गुहा = किष्किंधा” शब्द का प्रयोग
    महाभारत – सभा पर्व – अध्याय 2-32

तं जित्वा स महाबाहुः प्रययौ दक्षिणापथम्।
*गुहामासादयामास किष्किन्धां लोकविश्रुताम्॥ 2-32-18(12623)
`पुरा वानरराजेन वालिना चाभिरक्षिताम्।
ततः कोसलराजस्य रामस्यैवानुगेन च।
सुग्रीवेणाभिगुप्तां तां प्रविष्टस्तमथाह्वयत्’॥ 2-32-19(12624)
तत्र वानरराजाभ्यां मैन्देन द्विविदेन च

 महाभारत में "गुहा = किष्किंधा" शब्द का प्रयोग

महाभारत – सभा पर्व – अध्याय 2-32
*गुहामासादयामास किष्किन्धां लोकविश्रुताम्॥ 2-32-18(12623)
और श्रीमद् वाल्मीकि रामयण में न केवल श्री हनुमान् जी के जन्म स्थल पर्वत, गुफा के बारें में अपितु किष्किन्धा में विराजमान अन्य विशेष पर्वत और अन्य गुफाओं के बारें में भी संपूर्ण उल्लेख, विवरण स्पष्ट रूप से मिलता है । ,
उदा : १) ऋष्यमूक पर्वत, माल्यवन्त, इत्यादि पर्वतों में विराजमान् दिव्य गुफा, यह गुहा का सामान्य अर्थ है ।
2 ) स्थान विशेष जैसे किष्किन्धा, यहां सन्दर्भानुसार पद का अर्थ स्वीकार करना है, जैसे उदा : – हरि – विष्णु, हरि – वानर, पदका

  1. प्र ) वाल्मीकि रामायण में गुहा शब्द का किष्किन्धा अर्थ मे प्रयोग किस सन्दर्भ मे कहा कहा प्रयोग कियागया है ?
    स) हां श्री वाल्मीकि महर्षि जी ने अपनी रामायण मे अनेक जगहों मे किष्किन्धा के स्थान मे गुहा पद का प्रयोग किये हैं जहाँ जहाँ गुहा पद प्रयोग किये हैं वह नीचे दियागया है और सामान्य गुहा के बारे में भी दिया है ।
    “गुहा = सामान्य गुहा पद प्रयोग सन्दर्भ “
    राम तस्य तु शैलस्य महती शोभते गुहा।
    शिलापिधाना काकुत्स्थ दुःखं चास्याः वेशनम् । 3.73.39 ॥,
    तस्या गुहायाः प्राग्द्वारे महान्शीतोदको ह्रदः।
    फलमूलान्वितो रम्यो नानामृगसमावृतः। 3.73.40॥
    तस्यां वसति सुग्रीवश्चतुर्भिस्सह वानरैः। -इस गुफा के अंदर सुग्रीव अपने ४ मुख्य अनुचरों के साथ रहते थे यह निवास स्थान् है, ( यह ऋष्यमुक पर्वत के अंदर विराजमान गुहा, जहाँ वाली से त्रस्त होकर जिस ऋष्यमुक पर्वत पर सुग्रीव ने आश्रय लिया वह गुहा )
    तुंग भद्रा नदी कि किनारे ऋष्यमुक पर्वत के अंदर विराजमान सुग्रीव गुहा,
    तदागच्छ गमिष्यामि पम्पां तां प्रियदर्शनाम् । 3.75.6 ॥
    ऋष्यमूको गिरिर्यत्र नातिदूरे प्रकाशते।
    यस्मिन्वसति धर्मात्मा सुग्रीवोंऽशुमतस्सुतः। 3.75.7॥
    https://www.youtube.com/watch?v=q6yynEnrteM

नित्यं वालिभयात्त्रस्तश्चतुर्भिस्सह वानरैः।
कदाचिच्छिखरे तस्य पर्वतस्यावतिष्ठते। 3.73.41॥
आओ, हम पम्पा चलें, जो देखने में मनभावन है। सुग्रीव, धर्मात्मा, सूर्य का पुत्र, बालि के भय से यहाँ से अधिक दूर चमकते ऋष्यमुक में ठहरे हुए हैं।
आत्मना पञ्चमं मां हि दृष्ट्वा शैलतटे स्थितम्।
उत्तरीयं तया त्यक्तं शुभान्याभरणानि च । 4.6.11॥,
यहां श्री राम जी ने भी सीता जी के अन्वेषण में किष्किंधा में अनेक पर्वत और पर्वत गुफाओं का निरीक्षण किया,
निरीक्षमाणस्सहसा महात्मा सर्वं वनं निर्झरकन्दराश्च।
उद्विग्नचेतास्सह लक्ष्मणेन विचार्य दुःखोपहतः प्रतस्थे । 4.1.126॥
एवमुक्तस्तु सुग्रीवश्शैलस्य गहनां गुहाम् ।
प्रविवेश तत: शीघ्रं राघवप्रियकाम्यया । 4.6.14॥,

रावण जब सीता माता जी का अपहरण करके आकाश मार्ग से लंका ले जारहा था, उस समय सीता माता जी ने किष्किन्धा नगर में ऋष्यमूक पर्वत पर वानरों को देख कर पुष्पक विमान से अपने आभूषण नीचे गिराए, तब सुग्रीव ने उन आभूषणों को एक “गुफा” में संरक्षण किया और जब श्री राम जी से मित्रता हुई उस समय वही गुफा से उन आभूषणों को लाकर श्री राम जी को समर्पण किया

सुग्रीव के द्वारा माता सीता जी के आभूषणों को संरक्षण किया गया “गुफा” उत्तरीयं गृहीत्वा तु शुभान्याभरणानि च।
इदं पश्येति रामाय दर्शयामास वानरः । 4.6.15॥,
ऋष्यमूकात्स धर्मात्मा किष्किन्धां लक्ष्मणाग्रजः।
जगाम सह सुग्रीवो वालि विक्रम पालिताम् । 4.13.1॥
कन्दराणि च शैलांश्च निर्दराणि गुहास्तथा।
शिखराणि च मुख्यानि दरीश्च प्रियदर्शनाः । 4.13.6॥

इमां गिरिगुहां रम्यामभिगन्तुमितोऽर्हसि । 4.26.7॥
( यहा गिरिगुहां इति – किष्किंधां इत्यर्थ: गो.व्या )
चतुर्दश समास्सौम्य ग्रामं वा यदि वा पुरम् ।
न प्रवेक्ष्यामि हनुमन्पितुर्निर्देशपालकः । 4.26.9।।
सुसमृद्धां गुहां रम्यां सुग्रीवो वानरर्षभः।
प्रविष्टो विधिवद्वीरः क्षिप्रं राज्येऽभिषिच्यताम् । 4.26.9।।

श्री राम जी ने श्री हनुमान जी को सुग्रीव के राज्याभिषेक के लिए सम्बोधित करते हुए कहां ! मै नियम के अनुसार किसी ग्राम, पुर मे प्रवेश नहीं कर सकता हूं, आप लोग समृद्ध शालिनी दिव्य “गुफा = किष्किन्धा” में प्रवेश करें” ऐसा बोला,

इस श्लोक का अर्थ क्या है ?
स ) यह श्लोक अत्यन्त महत्वपुर्ण है
क्यू कि ?
स) क्यू कि ?

  1. जब सुग्रीव श्रीराम जी से मिलने के बाद अपनी नगरी किष्किन्धा में प्रवेश करते हैं उस समय यह भी वाल्मीकि जी किष्किन्धा के स्थान में “गुहा” शब्द प्रयोग करते हैं और
  2. जब लक्ष्मण जी वर्ष ऋतु समाप्त होने के बाद श्री राम जी की आज्ञा से तुंग भद्रा के दक्षिण तट पर विराजमान माल्यवन्त पर्वत से सुग्रीव से मिलने केलिए किष्किन्धा नगर में प्रवेश करते हैं उस सन्दर्भ में भी
    श्री वाल्मीकि जी ने ‘गुहा’ शब्द का प्रयोग करते हैं ।
    यहाँ “सुसमृद्धां गुहां रम्यां”, “ प्रविष्टो” इस का अर्थ
    गुहा का अर्थ किष्किंन्धां“ इत्यर्थ: – “गुहां किष्किंन्धां प्रविष्टष्ट: ” गो.व्या ) समृद्द शालिनी दिव्य गुफा में प्रवेश किया” यह अर्थ स्पष्ट है
    इयं गिरिगुहा रम्या विशाला युक्तमारुता।
    प्रभूतसलिला सौम्य प्रभूतकमलोत्पला । 4.26.15 ॥
    इति रामाभ्यनुज्ञातस्सुग्रीवो वानराधिपः।

प्रविवेश पुरीं रम्यां किष्किन्धां वालिपालिताम्। 4.26.18॥
यह गिरिगुहा रम्या, प्रविवेश पुरीं रम्यां इत्युक्ते किष्किन्धां इत्यर्थ: हृष्टपुष्टजनाकीर्णा पताकाध्वजशोभिता।
बभूव नगरी रम्या “किष्किन्धा गिरिगह्वरे” । 4.26.41॥
( किष्किन्धा “गिरिगह्वरे” इत्युक्ते पर्वतों के बीच मे विद्यमान गुफा के समान नगरी “किष्किन्धायां इत्यर्थ:” गो.व्या )
अभिषिक्ते तु सुग्रीवे प्रविष्टे वानरे गुहाम्।
आजगाम सह भ्रात्रा रामः प्रस्रवणं गिरिम् 4.27.1॥
“प्रविष्टे वानरे गुहां – इत्युक्ते गुहां – किष्किन्धाख्याम् “ ( गो. टी. व्या )

माल्यवंत पर्वत ( प्रस्रवण गिरि ) – इस पर्वत में विराजमान गुफा ( जहां श्री राम जी ने लक्ष्मण जी के साथ चातुर्मास्य व्रत किया उसी समय माल्यवंत पर्वत में इसी गुहा में श्री राम जी ने ४ माह चातुर्मास्य व्रत केलिये निवास किया ),
तस्य शैलस्य शिखरे महतीमायतां गुहाम् ।
प्रत्यगृह्णत वासार्थं रामस्सौमित्रिणा सह 4.27.4॥

इयं गिरिगुहा रम्या विशाला युक्तमारुता।
अस्यां वत्स्याम सौमित्रे वर्षरात्रमरिन्दम4.27.6॥
(अत्र “महतीमायतां गुहाम्” , “गिरिगुहा” इत्युक्ते माल्यवंत पर्वत में विराजमान गुहा )

प्रागुदक्प्रवणे देशे गुहा साधु भविष्यति।
पश्चाच्चैवोन्नता सौम्य निवातेयं भविष्यति4.27.12॥
गुहां प्रविष्टे सुग्रीवे विमुक्ते गगने घनैः।
वर्षरात्रोषितो रामः कामशोकाभिपीडितः 4.30.1॥
तत्वदीपिका – अथ उक्तानुवादपूर्वकं रामस्य वृत्तान्तमाह गुहामिति । सुग्रीवेविमुक्त इत्यत्र अविमुक्त इति छेदः । सुग्रीवे गुहां किष्किन्धां प्रविष्टे गगने घनैरविमुक्ते आवृते सति वर्षरात्रोषितो रामः पाण्डरं गगनं दृष्ट्वा मुमोहेत्युत्तरत्र सम्बन्धः ।। 4.30.13 ।। ( अत्र गुहां इत्युक्ते किष्किंधायां इत्यर्थ: ),
त्वं प्रविश्य च किष्किन्धां ब्रूहि वानरपुङ्गवम् ।
मूर्खं ग्राम्यसुखे सक्तं सुग्रीवं वचनान्मम ।। 4.30.70 ।।
तामपश्यद्बलाकीर्णां हरिराजमहापुरीम्।
दुर्गा मिक्ष्वाकुशार्दूलः किष्किन्धां गिरिसङ्गटे । 4.31.16 ॥,
अथ प्रतिसमादिष्टो लक्ष्मणः परवीरहा।
प्रविवेश गुहां घोरां ( रम्यां ) किष्किन्धां रामशासनात् । 4.33.1॥
हनुमत्प्रार्थनानन्तरकालिकं लक्ष्मणवृत्तान्तमाह अथेति । अथ सुग्रीवकर्मकहनुमत्प्रार्थनानन्तरं प्रतिसमादिष्टः गुहाप्रवेशाय अङ्गदेन प्रार्थितः रामशासनादागतो लक्ष्मणः किष्किन्धां प्रविवेश ।। 4.33.1 ।।
( प्रविवेश गुहां घोरां किष्किन्धां इत्युक्ते “किष्किन्धायां” इत्यर्थ: )
स तां रत्नमयीं श्रीमान्दिव्यां पुष्पितकाननाम्।
रम्यां रत्नसमाकीर्णां ददर्श महतीं गुहाम्। 4.33.4॥
( महतीं गुहाम् इति – दिव्यां महतीं गुहाम् )

अञ्जनाम्बुदसङ्काशाः कुञ्जरप्रतिमौजसः( कुञ्जरेन्द्रमहौजस: ।
अञ्जने पर्वते चैव ये वसन्ति प्लवङ्गमाः। 4.37.5॥
( किष्किन्धा नगरी स्थित अञ्जनाद्रि पर्वत मे निवास करने वाले वानर )
अञ्जन – यहाँ “काजल वर्ण” भी अर्थ है, “हाथी के जैसे वर्ण वाले बृहत पाषाण रूप पर्वत” दोनो अलग अलग रूप से प्रयोग किया है,
ततस्तेऽञ्जनसङ्काशा गिरेस्तस्मान्महाजवाः।
तिस्रः कोट्यः प्लवङ्गानां निर्ययुर्यत्र राघवः। 4.37.20॥
( तस्मात् गिरे: अञ्जनगिरे: निर्ययु: – ति, गो.टी व्या, ),
किष्किन्धा नगरी में स्थित किष्किन्धा पर्वत ही अञ्जनाद्रि पर्वत है । इस पर्वत से माल्यवन्त पर्वत बहुत दूर मे है । किष्किन्धा नगरी पम्पा पट्टण के बाहर माल्यवन्त पर्वत है, किष्किन्धा नगरी / किष्किन्धा /अञ्जनाद्रि पर्वत तुङ्गभद्रा नदी के उत्तर दिशा में हैं और माल्यवन्त पर्वत / प्रस्रवण गिरि ( जहा श्रीराम चातुर्मास्य केलिए जिस पर्वत मे रहते थे ) वह नगर से दूर तुङ्गभद्रा के दक्षिण दिशा में हैं,
MAP
“तिस्रः कोट्यः प्लवङ्गानां निर्ययुर्यत्र राघवः। 4.37.20॥
अञ्जनाद्रि पर्वत में रहने वाले तीन करोड़ वानर श्री राम जी जिस माल्यवन्त पर्वत में विराजमान थे उसी प्रस्रवण गिरि केलिए सभी वानर गए ।
अञ्जनाद्रि पर्वत के बारें में वाल्मीकि रामायण में अत्यन्त स्पष्ट उल्लेख है यह पर्वत किष्किंधा में ही स्थित है, और यहाँ इस वाक्य को लेकर विपरीत अर्थ निकालकर दुरुपयोग करने वाले बहुत लोग यह बोलते हैं कि यह अञ्जनाद्रि पर्वत हमारे क्षेत्र मैं है, और यहाँ से किष्किंधा वानर गए , ऐसे
दावा करने वाले लोगों में तिरुपति / नासिक / झारखंड के गुमला नामक
स्थान है, यहाँ इन जगहों का वाल्मीकि रामायण में या अन्य कही भी लेश मात्र भी उल्लेख नही है। यदि अन्यत्र किष्किन्धा क्षेत्र है तो, वहा उस क्षेत्र का नाम जरूर श्रीमद् वाल्मीकि रामायण में उसी क्षेत्र का नाम उल्लेख करते । परन्तु ऐसे किसी अन्य क्षेत्र का लेश मात्र भी प्रस्तावन नहीं है । किष्किंधा के अलावा अन्य किसी जगह का कोई प्रामाणिक, प्रमाण नही है.।
ततः पर्वतमासाद्य ऋष्यमूकं नृपात्मज। 4.46.23॥
न विवेश तदा वाली मतङ्गस्य भयात्तदा।
एवं मया तदा राजन्प्रत्यक्षमुपलक्षितम्। 4.46.24॥
पृथिवीमण्डलं कृत्स्नं गुहामस्यागतस्ततः।
श्री सुग्रीव जी श्री हनुमान इत्यादि अपने ४ मित्रों कि सात् ऋष्य मूक पर्वत मे रहते थे : ऋष्यमूके गिरिवरे पम्पापर्यन्तशोभिते । निवसत्यात्मवान्वीरश्चतुर्भिस्सह वानरैः। 3.72.12॥

  1. ए ऋष्यमूकपर्वत कै से आया ?
    स ) इस ऋष्य मूक पर्वत को ब्रह्मा जी ने निर्माण किया था:
    ऋष्यमूकश्च पम्पायाः पुरस्तात्पुष्पितद्रुमः। सुदुःखारोहणो नाम शिशुनागाभिरक्षितः। 3.73.31॥ उदारो ब्रह्मणा चैव पूर्वकाले विनिर्मितः।

श्री हनुमान जी कि जन्म, जन्म स्थल, और जन्म वृत्तान्त निरूपण
श्री हनुमान् जी का जन्म त्रेतायुग में दक्षिण भारत में ( वर्तमान कर्नाटक राज्य) पम्पाक्षेत्र तुङ्गभद्रा नदी के तट पर विराजमान किष्किंधा नगरी में हुआ, यहाँ “गुहा” का अर्थ साक्षात् स्थान विशेष है “किष्किंधा”
( यथा रामायणे।१।१।७०। “किष्किन्ध्यांरामसुग्रीवौजग्मतुस्तौगुहांतदा॥”)
अब तक गुहा का अर्थ किष्किन्धा यह निरूपण हुआ,

भगवान श्री हनुमान जी की जन्मतिथि

प्रश्न: भगवान हनुमान की जन्म तिथि कब है?, यह किस ग्रंथ में वर्णित है?
उत्तर: श्रीमद वाल्मीकि महर्षि द्वारा लिखित “आनंद रामायण” में है,
प्रश्न: क्या आप प्रणामश्लोक कह सकते हैं,
उत्तर:आनंद रामायण के सारकंडा में 13वें सर्ग का 163 वां श्लोक है,
प्रश्न: यह जन्म तिथि विषय प्रसंग कौन किसको किस संदर्भ में बता रहा है?
उत्तर: जिस समय श्री राम ने श्री अगस्त्य से श्री हनुमान के जन्म की कथा सुनाने की प्रार्थना की तब महर्षी श्री अगस्त्य जी ने श्री राम को श्री हनुमान की जन्म तिथि और पूरी कहानी बताई।
प्रश्न: इस का प्रमाण श्लोक क्या है?
उत्तर: श्लो”महा चैत्री महाचैत्रीपूर्णिमायां समुत्पन्नो अंजनी सुत:”

  • आ.रा स.13.163, “चैत्र शुक्ल पूर्णिमा” चैत्रमास पूर्णिमा तिथि को हनुमान जी का जन्म अंजनिसुत के रूप में हुआ था।

श्लोक, ग्रंथ, प्रमाण, श्री मद वाल्मीकि महर्षि द्वारा विरचित “आनंद रामायण”

श्लोक: ” महाचैत्रीपूर्णिमायां समुत्पन्नोऽञ्जनीसुत::” ||
सा.का -13.163,

O

  1. श्री हनुमान जी का जन्म स्थल और जन्म वृत्तान्त निरूपण

जहाँ माता अञ्जना देवी ने हनुमान जी को जन्म दिया वही “किष्किन्धा” पर्वत बाद में अञ्जनाद्री नाम से विख्यात हुआ, किष्किन्धा पर्वत ही अञ्जनाद्रि पर्वत है ।

ततः प्रतीतं प्लवतां वरिष्ठमेकान्तमाश्रित्य सुखोपविष्टम् ।
सञ्चोदयामास हरिप्रवीरो हरिप्रवीरं हनुमन्तमेव ।। 4.65.34 ।।
अनेकशतसाहस्रीं विषण्णां हरिवाहिनीम् ।
जाम्बवान् समुदीक्ष्यैवं हनुमन्तमथाब्रवीत् ।। 4.66.1 ।।
अप्सराप्सरसां श्रेष्ठा विख्याता पुञ्जिकस्थला ।
अञ्जनेति परिख्याता पत्नी केसरिणो हरेः ।। 4.66.8 ।।
विख्याता त्रिषु लोकेषु रूपेणाप्रतिमा भुवि ।
अभिशापादभूत्तात वानरी कामरूपिणी ।। 4.66.9 ।।
दुहिता वानरेन्द्रस्य कुञ्जरस्य महात्मनः ।
कपित्वे चारुसर्वाङ्गी कदाचित् कामरूपिणी ।। 4.66.10 ।।
मानुषं विग्रहं कृत्वा रूपयौवनशालिनी ।
विचित्रमाल्याभरणा महार्हक्षौमवासिनी ।
अचरत् *पर्वतस्याग्रे प्रावृडम्बुदसन्निभे ।। 4.66.11 ।।

पर्वतगुहाओं कि बीच मे विद्यमान किष्किन्धा पम्पा सरोवर https://www.youtube.com/watch?v=iHOsCOYef1o पम्पासरोवर https://www.youtube.com/watch?v=iHOsCOYef1o

मूल पम्पाम्बिका तपस्थान मन्दिर्

श्री राम लक्श्मण पम्पा क्षेत्र मे माता शबरी को दर्शन देना

पर्वतगुहाओं कि बीच मे विद्यमान किष्किन्धा पर्वतगुहाओं कि बीच मे विद्यमान किष्किन्धा पम्पा सरोवर https://www.youtube.com/watch?v=_1hgFOq_H4g&t=90s

पम्पा सरोवर – दूर मे स्थित किष्किन्धा अञ्जनाद्रि पर्वत
अप्सरेति निर्देश आर्षः ।। 4.66.811 ।।
तस्या वस्त्रं विशालाक्ष्याः पीतं रक्तदशं शुभम् ।
स्थितायाः *पर्वतस्याग्रे मारुतो ऽपहरच्छनैः ।। 4.66.12 ।

  1. श्री हनुमान जन्मभूमि किष्किन्धा अञ्जनाद्रि पर्वत पर विराजमान ३ मन्दिर :
  2. श्री बाल हनुमान् जी का मन्दिर
  3. माता अंजनी देवी का मन्दिरउ
  4. श्री राम दरबार मन्दिर, श्री अयोध्या रामपादुका,

किष्किन्धा अञ्जनाद्रि पर्वत – पर्वत का अग्र भाग जहाँ वायु के अनुग्रह से अञ्जना देवी ने श्री हनुमान् जी को ( पति केसरी देशान्तर गमन समय मे) जन्म दिया, ठीक उसी मूल स्थान मे श्री हनुमद् जन्मभूमि मंदिर है

पर्वत शिखर अग्र भाग में विराजमान ऐतिहासिक श्री हनुमान जन्मभूमि मन्दिर गर्भगृह मूल स्वरूप बाल स्वरूप कि ऊपर सूर्य किरण
यही से सूर्य को दर्शन् किया और् फल समझकर अंतरिक्ष
अभ्युत्थितं ततः सूर्यं बालो दृष्ट्वा महावने ।
फलं चेति जिघृक्षुस्त्वमुत्प्लुत्याभ्यपतो दिवम् ॥ १९ ॥ 4 – 65 66 – 19

पर्वत शिखर अग्र भाग में विराजमान ऐतिहासिक श्री हनुमान जन्मभूमि मन्दिर श्री किष्किन्धा अञ्जनाद्रि पर्वत प्रवेश द्वार पहाड़ी पर चढ़ने के लिए 575 सीढ़ियां हैं
https://www.youtube.com/watch?v=n2Wu39AU0Fg

किष्किन्धा अञ्जनाद्रि पर्वत के ऊपर विराजमान
श्री हनुमद् जन्मभूमि बाल हनुमान जी का ऐतिहासिक पुरातन मंदिर
माता अंजना देवी की गोद में श्री बाला हनुमान

माता अञ्जना देवी की गोद में विराजमान
श्री बाल हनुमान जी

किष्किन्धा पर्वत के ऊपर जहा वायु देवता माता अञ्जना देवी को औरस पुत्र की रूप मे श्री हनमान् जी को अनुग्रह किया ठीक उसी स्थान पर वराजमान प्राचीन माता अञ्जना की गोद में विराजमान
माता अञ्जना श्री बाल हनुमान जी का मंदिर

किष्किन्धा अञ्जनाद्रि पर्वत के ऊपर विराजमान श्री हनुमान जन्मभूमि में छोटा मन्दिर अत्यन्त पुरातन हैं । अञ्जनाद्रि पर्वत अत्यन्त विशाल रूप में है और पर्वत के लिये २ द्वार है एक उत्तर (पुराना) दक्षिण ( नया) पर्वत के ऊपर चढने केलिये “५२५” सीडियां है, जहा माता अञ्जना देवी ने श्री बाल हनुमान को जन्म दिया उस गुफा के ऊपर ( ठीक उसी जगह मे पर्वत के शिखर कोने पर (अचरत् पर्वतस्याग्रे, वा.रा.कि.सर्ग ६६ श्लो ११, स्थिताया: पर्वतस्याग्रे, श्लो १२,)
३ पुराने ( १५*२० फीट् ) दिव्य मन्दिर है ।
१) श्री हनुमान् जी का, २) माता अञ्जना देवी का । ३) भगवान श्री रामचद्र दरबार मन्दिर, इस मन्दिर में माता अञ्जना देवी की गोद में बैठे हुये बाल हनुमान का दिव्य विग्रह भी विराजमान है । यह दोनों मन्दिरों में अभी भी पूजा हो रही हैं । विगत लाखों वर्षों से अनेक श्रद्धालु देश विदेश से इस मन्दिर में आकर भगवान का दर्शन प्राप्त कर रहे हैं । इसके साथ ही किष्किंधा में २०० छोटे मंदिर भी हैं, जो भगवान हनुमान के इतिहास पर प्रकाश डालते हैं
तु तत्रैव सम्भ्रान्ता सुवृत्ता वाक्यमब्रवीत् ।
एकपत्नीव्रतमिदं को नाशयितुमिच्छति ।
अञ्जनाया वचः श्रुत्वा मारुतः प्रत्यभाषत ।। 4.66.16 ।।
स तामिति । तां गतात्मा तद्गतचित्तः । तां पर्यष्वजतेति सम्बन्धः।। 15,16 ।।
न त्वां हिंसामि सुश्रोणि माभूत्ते सुभगे भयम् ।
मनसा ऽस्मि गतो यत्त्वां परिष्वज्य यशस्विनीम् ।। 4.66.17 ।।
नेति । न हिंसामि पातिव्रत्यान्न प्रच्यावयामि ।। 4.66.17 ।।

श्री किष्किन्धा अञ्जनाद्रि पर्वत प्रवेश द्वार

श्री किष्किन्धा अञ्जनाद्रि पर्वत मे विराजमान भगवान श्री रामचद्र दरबार मन्दिर, अयोध्या श्री रामपादुका

श्री बाल हनुमान मन्दिर पर्वत (श्री हनुमान जी का बाल्य लीला स्थान)

वीर्यवान् बुद्धिसम्पन्नस्तव पुत्रो भविष्यति ।
महासत्त्वो महातेजा महाबलपराक्रमः ।
लङ्घने प्लवने चैव भविष्यति मया समः ।। 4.66.18 ।।
एवमुक्ता ततस्तुष्टा जननी ते महाकपे। गुहायां त्वां महाबाहो प्रजज्ञे प्लवगर्षभम्।। वा.रा 4.66.19,20 ॥ ) ति.टी.व्या – ततस्तुष्टा मनसा महादैवततेज: संक्रम कथनात् गुहायां तत्पर्वतगुहायां तदानीमेवेति भाव:|
भाव: अत्र गुहायां इत्युक्ते किष्किन्धायां, ( तत्पर्वतगुहायां इत्युक्ते किष्किन्धायां |
स त्वं केसरिणः पुत्रः क्षेत्रजो भीमविक्रमः ।। 4.66.28 ।।
मारुतस्यौरसः पुत्रस्तेजसा चापि तत्समः ।
माल्यवान्नाम वैदेहि गिरीणामुत्तमो गिरिः ।
ततो गच्छति गोकर्णं पर्वतं केसरी हरिः ।। 5.35.80।।
बुद्ध्यस्व पवनात्मजम्’ इति पवनात्मजत्वमुक्तम्, तत्कथं वानरस्येत्यपेक्षायामाह माल्यवानिति । गच्छति अगच्छत् ।। 5.35.80।।

स च देवर्षिभिर्दिष्टः पिता मम महाकपिः ।
तार्थे नदीपतेः पुण्ये शम्बसादनमुद्धरत् ।। 5.35.81।।
सः गोकर्णं गतः । देवर्षिभिः तत्रत्यैः दिष्टः नियुक्तः । शम्बसादनं तीर्थोपद्रवकारिणमसुरं शम्बसादनाख्यम् । उद्धरत् उदहरत् । देवर्षिप्रार्थनया अवधीदित्यर्थः ।। 5.35.81।।
तस्याहं हरिणः क्षेत्रे जातो वातेन मैथिलि ।
हनुमानिति विख्यातो लोके स्वेनैव कर्मणा ।। 5.35.82।।
हरिणः हरेः केसरिणः क्षेत्रे पत्न्याम् अञ्जनायां जातः पितुर्देशान्तरगमनकाले जातः । अनेनान्यक्षेत्रे कथमनयेनोत्पादनमिति शङ्का पराकृता ।। 5.35.82।।

हते ऽसुरे संयति शम्बसादने कपिप्रवीरेण महर्षिचोदनात् ।
ततो ऽस्मि वायुप्रभवो हि मैथिलि प्रभावतस्तत्प्रतिमश्च वानरः ।। 5.35.89।।

किष्किन्धा मे सीतान्वेषण कि जानेसे पहले श्रीराम हनुमान को मुद्रिका प्रदान

 किष्किन्धा के कई मंदिरों में श्री बाल हनुमान जीवन कथा, जन्म वृत्तान्त 
                          प्राचीन हस्तशिल्प कलाकृतियां,

माता सीता हनुमान को चूडामणि प्रदान करते हुए

  https://asi.nic.in/hampi-photo-gallery/   

Sri Sahasra Chitra Srirama Mandir
Then later changed it to ( Hazari Rama) Temple

   https://asi.nic.in/hampi-photo-gallery/    

Sri Sahasra Chitra Srirama Mandir
Then later changed it to ( Hazari Rama) Temple
https://asi.nic.in/hampi-photo-gallery/
Sri Malyavanta Raghunatha Mandir – Malyavanta Parvata

ऐतिहासिक पम्पाक्षेत्र् मे स्थित पुरातन मन्दिरों के पीछे विराजमान किष्किन्धा पर्वत

  किष्किन्धा के कई मंदिरों में श्री बाल हनुमान जीवन कथा, जन्म वृत्तान्त 
                          प्राचीन हस्तशिल्प कलाकृतियां,


 किष्किन्धा के कई मंदिरों में श्री हनुमान जीवन कथा, जन्म वृत्तान्त 

प्राचीन हस्तशिल्प कलाकृतियां,

                    माल्यवन्त पर्वत – प्रस्रवणगिरि 

यम् तु पश्यसि तिष्ठन्तम् मध्ये गिरिम् इव अचलम् || ६-२८-२८
सर्व शाखा मृग इन्द्राणाम् भर्तारम् अपराजितम् |
तेजसा यशसा बुद्ध्या ज्ञानेन अभिजनेन च || ६-२८-२९
यः कपीन् अति बभ्राज हिमवान् इव पर्वतान् |
किष्किन्धाम् यः समध्यास्ते गुहाम् सगहन द्रुमाम् || ६-२८-३०
दुर्गाम् पर्वत दुर्गस्थाम् प्रधानैः सह यूथपैः |
यस्य एषा कान्चनी माला शोभते शत पुष्करा || ६-२८-३१
कान्ता देव मनुष्याणाम् यस्याम् लक्ष्मीः प्रतिष्ठिता |
एताम् च मालाम् ताराम् च कपि राज्यम् च शाश्वतम् || ६-२८-३२
सुग्रीवो वालिनम् हत्वा रामेण प्रतिपादितः |
एवम् उक्त्वा महातेजा रावणः पुनर् अब्रवीत् |
चारिता भवता सेना के अत्र शूराः प्लवम् गमाः || ६-३०-१६
कीदृशाः किम् प्रभावाः च वानरा ये दुरासदाः |
कस्य पुत्राः च पौत्राः च तत्त्वम् आख्याहि राक्षस || ६-३०-१७
तथात्र प्रतिपत्स्यामि ज्ञात्वा तेषाम् बल अबलम् |
अवश्यम् बल सम्ख्यानम् कर्तव्यम् युद्धम् इच्चता || ६-३०-१८

जन्म वृत्तान्त : धर्म संस्थापन के लिए एवम् असुरों का संहार करने के लिए श्री विष्णु भगवान ने अयोध्या में श्री राम चंद्र के रूप में अवतार लिया, , ब्रह्मा जी की प्रेरणा ( देवतास्सर्वास्स्वयम्भूर्भगवानिदम् – 1.17.1) से समस्त देवताओं ने भी भगवान श्री राम जी की सहायता के लिए ( विष्णोस्सहायान्बलिनस्सृजध्वं कामरूपिण: 1.17.2 ) वानरों के रूप में किष्किंधा में अवतार लिया उसी समय में श्री रुद्रात्मक श्री हनुमान् जी का अवतार भी हुआ ,
एकादशरुद्र शिव अवतार श्री हनुमान् जी

प्रश्न : कुछ लोग कहते है कि श्री हनुमान् जी रुद्र के अवतार है इस का क्या प्रमाण है ?
स) हाँ श्री हनुमान् जी रुद्र के अवतार हैं । शिवजी का हनुमान के रूप में अवतार तथा उनके चरित्र का वर्णन हैं श्री शिव महापुराण मे स्पष्ट सिद्ध है,

श्री शिवमहा पुराण :- शत रुद्र संहिता – अध्याय – २० मे
नन्दीश्वर उवाच : अत: परं शृणु प्रीत्या हनुमच्चरितं मुने ।
यथा चकारासु हरो लीलास्तद्रूपतो वरा:।१॥,
शिवावतारं च प्राप वरान्दत्तान् सुरर्षिभि: शि.पु अ-२०- श्लो ९ ॥
चकार सुहितं प्रीत्या रामस्य
रुद्रांश: ॥ श्लो १२ ॥, हरांशज: शि.पु ॥ श्लो १४॥, गिरिशांशज: ॥ श्लो १४॥,
श्लो : अप्सराप्सरसां श्रेष्ठा विख्याता पुञ्जिकस्थला।
अञ्जनेति परिख्याता पत्नी केसरिणो हरेः। 4.66.8॥
विख्याता त्रिषु लोकेषु रूपेणाप्रतिमा भुवि।
अभिशापादभूत्तात वानरी कामरूपिणी। 4.66.9॥
दुहिता वानरेन्द्रस्य कुञ्जरस्य महात्मनः।
मानुषं विग्रहं कृत्वा रूपयौवनशालिनी। 4.66.10॥
विचित्रमाल्याभरणा महार्हक्षौमवासिनी।
अचरत्पर्वतस्याग्रे प्रावृडम्बुदसन्निभे। 4.66.11॥
पुञ्जिकस्थला नाम की एक विख्यात अप्सरा थी वह समस्त अप्सराओं में अग्रगण्य थी, श्राप के कारण कपियोनी में महा मनस्वी वानर कुञ्जर की पुत्री रूप मे जन्म हुआ, वही अञ्जना देवी के नाम से विख्यात हुई। वह अञ्जना देवी इच्छानुसार रूप धारण करने वाली थी, उनका विवाह वानरराज श्री केसरी से हुआ, और वे दम्पती किष्किंधा में रहते थे, पम्पाक्षेत्र किष्किंधा में स्थित माल्यवन्त पर्वत पर रहने वाले केसरी एक दिन देवर्षियों के आदेश से शंबसादन नाम के एक राक्षस का संहार करने के लिए गोकर्ण क्षेत्र गए | उस समय ( किष्किंधा में रूप और यौवन से सुशोभित होने वाली अञ्जना देवी मानवी स्त्री का शरीर धारण करके किष्किंधा पर्वत के शिखर पर
( स्थितायाः पर्वतस्याग्रे मारुतोऽपहरच्छनैः। 4.66.12॥ ) श्री रंगेश्वर मंदिर

किष्किन्धा के कई मंदिरों में श्री बाल हनुमान जीवन कथा, जन्म वृत्तान्त
प्राचीन हस्तशिल्प कलाकृतियां,

श्री किष्किन्धा अञ्जनाद्रि पर्वत से मतंग पर्वत का विहंगम दृश्य

        श्री विठ्ठल मन्दिर से  किष्किन्धा अञ्जनाद्रि पर्वत  का विहंगम दृश्य 

पर्वतस्याग्रे इति किष्किंधा अञ्जनाद्रि पर्वतस्याग्रे ) विचर रही थी, तब वायु देवता ने लोक कल्याण के लिए मानसिक रूप से अञ्जना देवी के ऊपर अनुग्रह किया ।
( मनसाऽस्मि गतो यत्त्वां परिष्वज्य यशस्विनीम्।
वीर्यवान्बुद्धिसम्पन्न: पुत्रस्तव भविष्यति। 4.66.18॥
महासत्त्वो महातेजा महाबलपराक्रमः। )
लङ्घने प्लवने चैव भविष्यति हि मत्समः। 4.66.19॥ )
तब वायु देवता अञ्जनी देवी से बोले, हे देवी ! श्री राम के कार्य की सहायता
के लिए तुम्हारे गर्भ से मेरे ही अंश द्वारा तुम्हे एक पुत्र प्राप्त होगा, जो मेरे जैसा पराक्रम बुद्धि बल सम्पन्न होगा, ऐसा अनुग्रह करने के बाद अञ्जना देवी ने किष्किंधा पर्वत पर स्थित दिव्य गुहा में हनुमान जी को “चैत्र शुक्ल पूर्णिमा” “महा चैत्रीपूर्णिमायां समुत्पन्नो ऽञ्जनीसुत: – आ.रा.सा-१३,१६२” जन्म दिया
एवमुक्ता ततस्तुष्टा जननी ते महाकपे। गुहायां त्वां महाबाहो प्रजज्ञे प्लवगर्षभम्। 4.66.20॥
तदा शैलाग्रशिखरे वामो हनुरभज्यत।.
ततो हि नामधेयं ते हनुमानिति कीर्त्यते। 4.66.24॥
स त्वं केसरिणः पुत्रः क्षेत्रजो भीमविक्रमः। 4.66.29॥
मारुतस्यौरसः पुत्रस्तेजसा चापि तत्समः।
त्वं हि वायुसुतो वत्स प्लवने चापि तत्समः। 4.66.30॥ तब वायु देवता ने अञ्जना देवी से कहा हे देवी ! श्री राम के कार्य मे सहायता के लिए तुम्हारे गर्भ

( से मेरा ही अंश से तुम को एक पुत्र प्राप्त होगा,जन्म लेगा, जो मेरे जैसा
पराक्रमी, बुद्धि बल से सम्पन होगा, ऐसा अनुग्रह करने के बाद अञ्जना देवी ने किष्किंधा पर्वत पर स्थित दिव्य गुहा में हनुमान जी को “चैत्र शुक्ल पूर्णिमा” “महा चैत्रीपूर्णिमायां समुत्पन्नो ऽञ्जनीसुत:” – आ.रा.सा-१३,१६२” ) मे जन्म दिया “एवमुक्ता ततस्तुष्टा जननी ते महाकपे। गुहायां त्वां महाबाहो प्रजज्ञे प्लवगर्षभम्। 4.66.20॥

वाली और सुग्रीव का युद्ध

किष्किन्धा में श्री राम लक्षण से श्री हनुमान् का प्रथम भेंट

वाली और सुग्रीव का युद्ध

पम्पाक्षेत्र किष्किन्धा मे विराजमान अन्य पर्वत :
श्री हेमकूट पर्वत, ऋष्यमूक पर्वत, मातङ्ग पर्वत, माल्यवन्त पर्वत ,( प्रस्रवण गिरि ) किष्किन्धा अञ्जनाद्रि पर्वत, गन्धमादन पर्वत,विप्रकूट पर्वत, तारा पर्वत, वाली पर्वत , जम्भुनाथेश्वर पर्वत

पम्पाक्षेत्र किष्किन्धा मे विराजमान विविध पर्वतों मे स्थित विविध गुफए : (निवास स्थान गुहा)
ऋष्यमूक पर्वत गुफा, मातङ्ग पर्वत गुफा, माल्यवन्त पर्वत गुफा, किष्किन्धा अञ्जनाद्रि पर्वत गुफा, विप्रकूट पर्वत गुफा, पम्पा सरोवर तट गुफा, सुग्रीव गुफा, सीता सेरगु गुफा, (जहाँ सीता माता जी का आभरण रखा ) ,

पुराण, इतिहास, प्रमाण, काल मीमांसा : इतिहास क्या है? पुराण क्या है? अगर इन दोनों के बीच कुछ विरोधाभास है तो हमें किसको प्रमाण के रूप में लेना होगा ?
श्री हनुमान जी के जन्म के बारे में, मिलने वाले सारे प्रमाणों या सारे उपलब्ध ग्रन्थों में अत्यन्त परम प्रमाण है, श्रीमद् वाल्मीकि विरचित मूल रामायण एवं आनन्द रामायण श्री शिवमहापुराण यही एक मात्र प्रमाण ग्रन्थ है, और उसमें भी श्रीमद् वाल्मीकि विरचित मूल रामायण में स्वयं ही श्री हनुमान जी अपना परिचय देते हुए अपने जन्म वृत्तान्त के बारे में सीता माता को अपने पिता, माता जी के और अपने जन्म क्षेत्र के बारें में सुनाते हैं इससे बढकर कोई और परम प्रमाण अन्यत्र नहीं मिलेगा,
श्रुतिस्मृतिविरोधे तु श्रुतिरेव गरीयसि
अतएव जाबाल : इति ह पुरावृत्तमास्ते यस्मिन् स इतिहासः
श्रुति स्मृति विरोधे तु श्रुतिरेव गरीयसी । – स्मृतिचन्द्रिका, प्रथमखण्ड्ः,पृ,१६
तस्मात् शास्त्रं प्रमाणं ते कार्याकार्यव्यवस्थितौ । ज्ञात्वा शास्त्रविधानोक्तं कर्म कर्तुमिहार्हसि ॥
वेदः स्मृतिः सदाचारः स्वस्य च प्रियमात्मनः ।
एतच्चतुर्विधं प्राहुः साक्षाद्धर्मस्य लक्षणम् ॥
तत्र धर्मे मुख्यं प्रमाणं वेद एव। वेदार्थमेव विसकलयन्ति स्मृतिः।
तदुभय समर्थितश्च आचारः। तदनुकूलैव च आत्मसन्तुष्टि धर्मे प्रमाणम् ॥
मन्वत्रिविष्णुहारीत याज्ञवल्क्योऽङ्गिराः। यमापस्तम्बसम्वर्ताः कात्यायनबृहस्पती॥ पराशरव्यासशङ्खलिखिता क्षगौतमो। शातातपो वशिष्ठश्च धर्मशस्त्रयोजकाः॥

वेदा एव मूलप्रमाणं धर्माधर्मयोः,
यददृष्टम् हि वेदेषु तत् द्रष्टव्यं स्मृतौ किल ।
उभाभ्यां यददृष्टस्तु तत् पुराणेषु पठ्यते ॥
श्रुतिस्मृतिपुराणोक्तधर्मयोग्यास्तु नेतरे॥
धर्मं जिज्ञासमानानां प्रमाणं प्रथमं श्रुतिः ।
द्वितीयं धर्मशास्त्रं तु तृतीयो लोकसंग्रहः ॥
उपविष्टो धर्मः प्रतिवेदम्। तस्यानुव्याख्यास्यामः।
स्मार्तो द्वितीयः।
तृतीयः शिष्टागमः। श्रुतिः स्मृतिः सदाचारः स्वस्य च प्रियं आत्मनः ।
सम्यक्संकल्पजः कामो धर्ममूलं इदं स्मृतम् ॥
श्रुतिस्मृति विरोधे तु श्रुतिरेव गरीयसी॥
श्रुतिस्मृतिपुराणेषु विरुद्धेषु परस्परम् ।
पूर्वं पूर्वं बलीयं स्यादिति न्यायविदो विदुः ॥
श्रुतिस्मृति पुराणां विरोधो यत्र द्रिश्यते ।
तत्र श्रोतं प्रमाणास्तु तयोर्ध्व्यधे स्मृतिर्वरा ॥
“आनयोरुभयोर्मध्ये इतिहास: प्रबल:” इतिहास और पुराण दोनों मे इतिहास ही प्रबल है”
यदि श्री हनुमान जी का जन्म अन्यत्र हुआ होता तो, जरूर श्री मद्वाल्मीकि जी अपने ग्रन्थों में रामायण मे उस प्रान्त का क्षेत्र का या वहा के देवता का उल्लेख करते ! परन्तु ऐसे किसी भी अन्य क्षेत्रों के बारें में यहां उल्लेख नहीं मिलता है, और यह भी विचारणीय अंश हैं कि श्री मद् वाल्मीकि रामायण काल, और पौराणिक काल , रामायण काल “त्रेतायुग” में घटित हुआ यह सभी श्री राम, माता सीता जी , और श्री हनुमान् जी के जन्म के बारें में साक्षात् वाल्मीकि जी ने स्वयं ही सब को साक्षी बनाकर उन लोगों के सामने ही लिखे हैं, अन्य ग्रन्थ ऐसे हीं हैं

प्रश्न ) कल्प, मन्वन्तर भेद में कौनसे विषयों का स्वीकार करना चाहिए ?
उत्तर ) : भगवान वेदव्यास जी के द्वारा प्रणीत किए गये अनेक सारे ग्रन्थों में विशेष रूप से १८ पुराणों में अनेक कल्प, अनेक मन्वन्तर और उस कल्प मे उस उस मन्वन्तर में अतीत घटनाओं का भी उल्लेख किया है ।, परन्तु अभी हम को चाहिये वर्तमान विषय में, वर्तमान युग मे,( त्रेतायुग) में श्री रामायण काल मे घटित इतिहास विषय “श्री हनुमान् जी का जन्म वृत्तान्त” इसके बारें में वर्तमान काल का वर्तमान युग में; ( त्रेतायुग )मे श्री रामायण काल में घटित हुए विषयों केलिए श्री रामायण ही प्रमाण हैं और कोईभी इतिहास और पुराणों में परस्पर विषय भेद या परस्पर विरुद्ध वाक्य आया तो पुराणों से भी इतिहास को ही अधिक प्रामाणिक माना जायेगा,
सुन्दर काण्ड :
माल्यवान्नाम वैदेहि गिरीणामुत्तमो गिरिः।
ततो गच्छति गोकर्णं पर्वतं केसरी हरिः। 5.35.80॥
पर्वतों में माल्यवान (किष्किन्धा में माल्यवान् / प्रस्रवण गिरि)नाम से एक प्रसिद्ध उत्तम पर्वत है, वहां केसरी नामक वानर निवास करते थे, एक दिन वे वहा से गोकर्ण क्षेत्र पर्वत पर गए

स च देवर्षिभिर्दिष्टः पिता मम महाकपिः।
तीर्थे नदीपतेः पुण्ये शम्बसादनमुद्धरत्।5.35.81॥
देवर्षियों की आज्ञा से मेरे पिता “केसरी”, उन्होंने समुद्र के तट पर विद्यमान उस पवित्र गोकर्ण तीर्थ में शंबसादन नामक दैत्य का संहार किया था |
तस्याहं हरिणः क्षेत्रे जातो वातेन मैथिलि।
हनुमानिति विख्यातो लोके स्वेनैव कर्मणा।5.35.82॥
( गो .टी. तस्येति – हरिण: हरे: केसरिण: क्षेत्रे पत्न्यामञ्जनायां जात: पितुर्देशान्तरगमन काले जात: अनेनान्य क्षेत्रे कथमन्येनोत्पादनमिति शङ्का पराकृता )
उन्हीं कपिराज केसरी की स्त्री के गर्भ से वायु देवता के द्वारा मेरा जन्म हुआ है | में लोगो में अपने ही कर्म के द्वारा हनुमान नाम से विख्यात हू,

हतेऽसुरे संयति शम्बसादने कपिप्रवीरेण महर्षिचोदनात्।
ततोऽस्मि वायुप्रभवो हि मैथिलि प्रभावतस्तत्प्रतिमश्च वानरः। 5.35.89॥
महर्षियों की प्रेरणा से कपिवर केसरी द्वारा युद्ध में शम्बसादन नामक असुर के मारे जाने पर मैंने पवनदेवता के द्वारा जन्म ग्रहण किया | अतः हे मैथिली ! मैं उन वायुदेवता के समान ही प्रभावशाली वानर हूं ||


श्री यंत्रोद्धारक हनुमान मंदिर

ऋष्यमूक पर्वत से मतंग पर्वत का दृश्य – तुंगभद्रा नदी

श्री कोदण्ड राम स्वामी मंदिर, सुदर्शन चक्र तीर्थ जहां
भगवान श्री राम और हनुमान जी मिले थे

प्रश्न :- आपके पास इसके अलावा और क्या सबूत है ?
उत्तर :- अञ्जन गाँव अञ्जन हल्लि” ( माता अञ्जना देवी का जन्म स्थल)
कर्नाटक के कोप्पल और बेल्लारी दोनों जिला में पम्पाक्षेत्र किष्किन्धा नगर व्याप्त हैं उसी किष्किन्धा में अंजनी / अञ्जनाद्रि पर्वत है ( उस पर्वत के बगल में एक “अञ्जन हल्लि” नामक बड़ा गाँव हैं जिस गाँव में माता अञ्जना देवी का जन्म हुआ ।

प्रश्न :- आपके पास इसके अलावा और क्या सबूत है ?
उत्तर :- हनुमान गाँव ( हनुमन हल्लि) और हनुमान जी का घर : (जहाँ बाल हनुमान जी अपने बाल्य लीला की, और श्री हनुमान जी का निवास )

अञ्जन गाँव अञ्जन हल्लि” ( माता अञ्जना देवी का जन्म स्थल) :
कर्नाटक के कोप्पल और बेल्लारी दोनों जिला में पम्पाक्षेत्र किष्किन्धा नगर व्याप्त हैं उसी किष्किन्धा में अंजनी / अञ्जनाद्रि पर्वत है ( उस पर्वत के बगल में एक “अञ्जन हल्लि” नामक बड़ा गाँव हैं जिस गाँव में माता अञ्जना देवी का जन्म हुआ ।

हनुमान गाँव ( हनुमन हल्लि) और हनुमान जी का घर : (जहाँ बाल हनुमान जी अपने बाल्य लीला की और श्री हनुमान जी का निवास ) है :
पम्पाक्षेत्र किष्किन्धा नगर किष्किन्धा अञ्जनाद्रि पर्वत कि पास हनुमान हल्लि नामक एक और बड़ा गांव हैं, जिस जगह में बाल हनुमन अपने बाल्य लीला की और बडे हुये और निवास करते थे ( यह् भी श्री हनुमन जी का घर और अन्य मुख्य कपि/वानरों का घरों काभी मद् वाल्मीकि रामायण मे उल्लेख है, इस के साथ साथ अङ्गद, उन्होंने राजमार्ग अङ्गद का रमणीय भवन देखा साथ ही वहाँ मैन्द, द्विविध, गवय, गवाक्ष, गज, शरभ, विद्युन्माली, सम्पाति, सूर्याक्ष, वीरबाहु, सुबाहु, नल, कुमुद,सुषेण, तारा, जाम्बवन्त, दधिवक्त्र, नील, सुपाटल, सुनेत्र )
अङ्गदस्य गृहं रम्यं मैन्दस्य द्विविधस्य च।
गवयस्य गवाक्षस्य गजस्य शरभस्य च।।4.33.9।।
विद्युन्मालेश्च सम्पाते स्सूर्याक्षस्य हनूमतः।
वीरबाहो स्सुबाहोश्च नलस्य च महात्मनः।।4.33.10।।
कुमुदस्य सुषेणस्य तारजाम्बवतोस्तथा।
दधिवक्त्रस्य नीलस्य सुपाटलसुनेत्रयोः।।4.33.11।।
एतेषां कपिमुख्यानां राजमार्गे महात्मनाम्।
ददर्श गृहमुख्यानि महासाराणि लक्ष्मणः।।4.33.12।।

इन महामनस्वी वानर शिरोमणियों के भी अत्यंत सुदृढ़ श्रेष्ठ भवन लक्ष्मण को दृष्टि गोचर हुए वे सब के सब किष्किन्धा नगर राजमार्ग पर ही बने हुए थे )

जिस जगह मे श्री हनुमान जी अपने बाल्य लीलाए करते थे उस जगह का नाम “हनुमान् गाँव हैं / हनुमन हल्लि” से विख्यात हुआ, आज भी यह गाँव विराजमान् हैं ।
प्रश्न :- आजकल कुछ लोग हनुमान की कुछ तस्वीरें देखकर ऐसा लग रहा है जैसे उनकी शादी हो गई है,
उत्तर :- हनुमान जी शुद्ध आजन्म बाल ब्रह्मचारी, अविवाहित हैं :
श्री हनुमान जी आजीवन ब्रह्मचारी है कुछ लोग अनावश्यक रूप से झूठा कल्पित ग्रंथो का निर्माण करते हुए हनुमान जी को गृहस्थ बताते है कि सूर्य की पुत्री सूवर्चला से विवाह किया है ऐसा दुष्प्रचार कर रहे है | टी.वी (T.V). इंटरनेट के माध्यम से लोग बिना प्रमाणों के स्वकपोल कल्पित कहानियों का प्रचार कर रहे है इससे भक्त लोग भ्रमित हो रहे है इसी लिए ऐसे ग्रंथो को टी.वी. (T.V) इंटरनेट मध्यमों में प्रसार होने वाले विषयों का कोई प्रमाणिकता और मूल नहीं है जब की वेद पुराण में श्री हनुमान जी को शुद्ध ब्रह्मचारी माना है और श्री हनुमान जी चिरंजीवि है और भविष्य के ब्रह्मा जी है |
अप्रामाणिक ग्रंथो का निराकरण : अप्रामाणिक ग्रंथो के श्लोकों का स्वलिखित कपोल कल्पित पुराणों का निराकरण,
किसी भी तरह जो प्रमाणिकता नहीं है ऐसे ग्रंथों का सर्वदा निराकरण करना चाहिए आज कल कुछ नये नये ग्रंथ, कुछ स्वलिखित ग्रंथ आरहे हैं और यह पुराण के रूप मे प्रचारित हो रहे हैं, वैसे ही श्री हनुमान् जी के बारे में लोग दिखानेवाले पराशर संहिता इत्यादि ग्रंथो का कोई प्रामाणिकता नहीं हैं, ऐसे ग्रंथों की सर्वदा निराकरण करते हुए श्री शंकराचार्य गुरु परंपरा में आए हुए भगवान् नारायण से श्री शंकराचार्य तक आने वाले गुरु परंपराओं में श्री पराशर महर्षि संहिता नाम का कोई ग्रंथ उल्लेख नहीं है, आज कल पराशर संहिता के नाम पर जो ग्रंथ प्रचार हो रहे है वह ग्रंथ कोई अन्य व्यक्ति का स्वलिखित ग्रंथ है, इसकी कोई प्रामाणिकता नहीं है और इस में प्रतिपादन करने वाले विषयों ( सूर्य पुत्रि सुवर्चला के साथ श्री हनुमान जी का विवाह इत्यादि ) में भी कोई प्रामाणिकता नहीं है | ऐसे ग्रंथों से भक्त लोग सावधान रहे,
प्रमाणिकता का अर्थ: श्रुति, स्मृति, शास्त्र पुराण इतिहास सम्मत वैदिक सम्प्रदाय आचार्य गुरुपरम्परा से आया हुआ / सर्वमत सम्मत हो, वैदिक सम्प्रदाय आचार्यों से अनुमोदित हो )
धार्मिक निर्णय : कोई भी आध्यात्मिक या धार्मिक निर्णय लेना है तो वह निर्णय परम्परागत धार्मिक आचार्यों का कर्तव्य और अधिकार है, प्रस्तुत विषय में विगत कुछ महीने पहले टि.टि.डि कमेटी ने तिरुपति में श्री हनुमान जी के जन्मस्थल के बारें में अनावश्यक वक्तव्य देना, खुद ही निर्णय लेना सर्वदा अनुचित कार्य है,
और लौकिक कमेटी बना कर धर्माचार्यों के अनुमति विना, अनुमोदन विना निर्णय लेना सर्वदा अनुचित है । यह धर्माचार्यों का कर्तव्य है कि धार्मिक विषयों में देश काल, मान, परिस्थितियों के अनुसार आध्यात्मिक, धार्मिक, आचार, विचार इत्यादि विषयों मे शास्त्र युक्त, इतिहास पुराण वाक्यों में यदि परस्पर विरुद्ध वाक्य आया तो उसका समन्वय करके शास्त्र युक्त, सर्व सम्मत मार्गदर्शन, निर्देशन, निर्णय देश प्रजाओं को प्रदान करें । उनका कर्तव्य है । न आप का ( टि.टि.डि/ अन्य /सरकार/) ।
इन्हिं परिस्थितियों में आप जब श्री हनुमान् जी के विषय में कुछ संदेश / नया नया निर्णय लेने के समय यह आप का कर्तव्य हैं कि आप सर्वप्रथम उन धर्माचार्यों कि दृष्टि में इन विषयों को लेकर जाए , परन्तु ऐसा भी नहीं किया अंतिम में आप के ( टि.टि.डि ) किए गए कार्य से धर्म का संरक्षण नही उसकी हानि ही हुई, सामान्य भक्त भी भ्रमित होने लगे हैं , और हो रहे है, आगे ऐसे अवैदिक कोई भी कार्य भविष्य मे कही भी नहीं होना चाहिए ।
और इस विषय में आप न पुजारी हैं, न धर्माचार हैं केवल एक लौकिक कमेटी बनाकर निर्णय लेना सर्वदा अनुचित हैं , इतना ही नही आप एक कुलपति होकर फकीर मुसलमान् साई को भी गुरू और भगवान के रूप मे वक्तव्य देना और प्रचार करना, आप जैसे लोग श्री हनुमान जी के बारे में बोलना, कुछ काल्पनिक ग्रंथोंको लेकर अनावश्यक रूप से श्री हनुमान जी के भव्य चरित्र को क्षति पहुचाना ये सर्वदा अनुचित कार्य हैं
कोई भी आध्यात्मिक या धार्मिक निर्णय लेना है तो वह निर्णय परम्परागत धार्मिक आचार्यों का कर्तव्य और अधिकार है, इसलिए आद्य शङ्कराचार्य भगवत्पाद जी ने भारत देश में चार दिशाओं में चार पीठों की स्थापना की, प्रस्तुत विषय में विगत कुछ महीने पहले टि.टि.डि कमेटी का तिरुपति में श्री हनुमान जी के जन्मस्थल के बारें में अनावश्यक वक्तव्य देना खुद ही निर्णय लेना सर्वदा अनुचित कार्य था,
टि.टि.डि कमेटी के द्वारा किया गया कार्य प्रोजेक्ट रिपोर्ट इत्यादि सर्वदा अनुचित, अप्रमाणिक है
और इन विषयों को बोलने वाले नये नये पुराण एवं एक कल्पित स्व लिखित – पराशर संहिता नामक ग्रन्थ दिखाना और इस को स्वयं महर्षि पराशर के साथ जोडना- जहां महर्षि पराशर से निर्मित ऐसा कोई ग्रंथ नही है, और “पहले कुछ बोलना, बाद में कुछ लिखना, अंतिम मे कुछ और आचरण करना” स्वप्रयोजन के अनुसार प्रमाणों को बदल देना सर्वदा अनुचित है । उदा:- श्री हनुमान जी के जन्म स्थल और तिथि के विषय को लेकर टि.टि.डि मनमाना आचरण करना।
१) आप के रिपोर्ट में श्री हनुमान जी का नया नया अनेक चार चार जन्म तिथियां बताना, श्रावण इत्यादि, “श्रावणे मासि नक्षत्रे श्रवणे हरिवासरे“ ( यह ज्योतिष सिद्धान्त केभी विरुद्ध है ) बाद मे उस को बदलकर और आप नये तिथि “वैशाख दशमी” मे हनुमद जयन्ति मनाना,
२) टि.टि.डि देवस्थान् ( बोर्ड) को ऐसे कोई कमेटी बनाने का अधिकार ही नही है,
३) तिरुपति कमेटी का कहना है कि “श्री हनुमान जी का सूर्य कि पुत्री सुवर्चला से विवाह हुआ,

कमेटी के अध्यक्ष रा.सं.संस्थान कुलपति जी फकीर मुसलमान साई को गुरु और भगवान कहते है ऐसे लोगों को श्री हनुमान जी के बारे में बोलना और कुछ काल्पनिक ग्रंथोंको लेकर अनावश्यक से श्री हनुमान जी के भव्य चरित्र को क्षति पहुचाना सर्वदा अनुचित कार्य है अंतिम में सामान्य भक्त भी भ्रमित होने लगे है, और हो रहे है, आगे ऐसे अवैदिक कोई भी कार्य भविष्य मे कहीं भी, किसी से भी नहीं होना चाहिए ।
वैदिक परम्पागत समस्त भक्त गण इस उपरोक्त निर्णय को मानकर आचरण करके सत्फलित, और भगवदनुग्रह प्राप्तकरे

श्री हनुमान जी का जन्म – श्री मद्वाल्मीकि रामायण में उल्लेख,
( पम्पाक्षेत्र किष्किंधा ) :
१) समुद्रोल्लंघन के समय श्री जाम्बवन्त जी ने पहलीबार श्री हनुमान जी को उनके जन्म वृत्तान्त के बारे में सुनाया , ( किष्किंधा काण्ड ६६ -८ से २९)
२) जब श्री हनुमान जी लंका मे सीता माता जी से भेंट करते हैं, उस समय अपना परिचय देते हुए अपने जन्म के बारें में बताते हैं ( सुंदर काण्ड ३५ – ८१ से ९०)
३) युद्ध काण्ड :
यम् तु पश्यसि तिष्ठन्तम् प्रभिन्नम् इव कुन्जरम् |
यो बलात् क्षोभयेत् क्रुद्धः समुद्रम् अपि वानरः || ६-२८-८
एषो अभिगन्ता लंकाया वैदेह्यास् तव च प्रभो |
एनम् पश्य पुरा दृष्टम् वानरम् पुनर् आगतम् || ६-२८-९
ज्येष्ठः केसरिणः पुत्रो वात आत्मज इति श्रुतः |
हनूमान् इति विख्यातो लन्घितो येन सागरः || ६-२८-१०
काम रूपी हरि श्रेष्ठो बल रूप समन्वितः |
अनिवार्य गतिः चैव यथा सततगः प्रभुः || ६-२८-११
उद्यन्तम् भास्करम् दृष्ट्वा बालः किल पिपासितः |
त्रियोजन सहस्रम् तु अध्वानम् अवतीर्य हि || ६-२८-१२
आदित्यम् आहरिष्यामि न मे क्षुत् प्रतियास्यति |
इति संचिन्त्य मनसा पुरा एष बल दर्पितः || ६-२८-१३
अनाधृष्यतमम् देवम् अपि देव ऋषि दानवैः |
अनासाद्य एव पतितो भास्कर उदयने गिरौ || ६-२८-१४
पतितस्य कपेर् अस्य हनुर् एका शिला तले |
किंचिद् भिन्ना दृढ हनोर् हनूमान् एष तेन वै || ६-२८-१५
सत्यम् आगम योगेन मम एष विदितो हरिः |
न अस्य शक्यम् बलम् रूपम् प्रभावो वा अनुभाषितुम् || ६-२८-१६
एष आशंसते लंकाम् एको मर्दितुम् ओजसा |
उत्तर काण्ड : श्री राम चन्द्र जी हनुमान जी के जन्म के विषय मैं महर्षि अगस्त्य से पूछते हैं “ है! देववन्द्य महामुने भगवन् ! आप हनुमान जी के विषय मैं ये सब बातें यथार्थ रूप से विस्तार पूर्वक बताईये” : –

४) श्री राम चन्द्र जी हनुमान जी के जन्म विषय में महर्षि अगस्त्य से पूछते हैं( उत्तर काण्ड उ. स ३५-१३॥)
“ हे ! देववन्द्य महामुने भगवान ! आप हनुमान जी के विषय में ये सब बातें यथार्थ रूप से विस्तार पूर्वक बताइए ” तब श्री राम चन्द्र जी के ये युक्ति युक्त वचन सुनकर महर्षि अगस्त्य जी ने हनुमान जी के सामने ही उनके पिता, माता और श्री हनुमान जी के जन्म से लेकर चिरंजीव वर प्रदान और “भविष्य ब्रह्मा” वर प्राप्ति तक ऐसे अनेक सारे वृत्तान्त संपूर्ण रूप से सुनाए ( उत्तर काण्ड ३५ श्लो १३ से २१) आगे ही |
एतन्मे भगवन् सर्वं हनूमति महामुने( मतौ) |
विस्तरेण यथातत्वं कथयाऽमरपूजित । उ. स ३५-१३॥
राघवस्य वच: श्रुत्वा हेतुयुक्तम् ऋषिस्तदा ।
हनूमतः समक्षं तं इदं वचनमब्रवीत् । १४ ॥
सत्यमेतद्रघुश्रेष्ठ यद् ब्रवीषि हनूमत: (ति)।
न बले विद्यते तुल्यो न गतौ न मतौ पर: ॥ १५ ॥
यदि वाऽस्ति (त्व)ह्यभिप्राय: (सं)तत् श्रोतुं तव राघव ।
समाधय मतिम् राम निशामय वदाम्यहम् ॥ १८ ॥
सूर्यदत्तवरस्वर्ण: सुमेरुर्नाम पर्वत: ।
यत्र राज्यं प्रशास्थस्य केसरी नाम वै पिता ॥ १९ ॥
तस्य भार्या बभूवेस्टा(वैषा) ह्यञ्जनेति परि श्रुता ।
जनयामास तस्यां वै वायुरात्मजमुत्तमम् ॥ २०॥
शालिशूकनिभाभासं प्रासूताऽमुं तदाऽञ्जना ।
फलान्याहर्तुकामा वै निष्क्रांता गहनेचरा(वरा)॥ २१॥

देव वन्ध्य महामुने भगवन आप हनुमान जी के विषय में ये सब बाते यथार्थ रूप से विस्तारपूर्वक बताइये । १३
श्री राम चंद्र जी के ये युक्ति युक्त वचन सुनकर महर्षि अगस्त्य जी हनुमान जी के सामने ही उनसे इस प्रकार बोले | १४

हे रघुकुल तिलक ! श्री राम ! हनुमान जी के विषय में आप जो कुछ भी कहते है यह सब सत्य ही है बल बुद्धि और गति में इसकी बराबरी करने वाला दूसरा कोई नहीं है | १५
महाबली श्री राम इन्होंने बचपन में भी जो महान कर्म किया था उसका वर्णन नहीं किया जा सकता है उन दिनों ये बाल भाव से अनजान की तरह रहते थे | १७
हे रघुनंदन ! यदि हनुमान जी का चरित्र सुनने के लिए आपकी हार्दिक इच्छा हो तो चित्त को एकाग्र करके सुनिए मैं सारी बाते बता रहा हूँ | १८

भगवान सूर्य के वरदान से जिसका स्वरूप सुवर्णमय हो गया है ऐसा एक सुमेरु नाम से एक प्रसिद्ध पर्वत है जहां हनुमान जी के पिता केसरी राज्य करते है | १९
उनकी अंजना नाम से विख्यात प्रियतमा पत्नी थी उनके गर्भ ( के अंश से) से वायु देव ने एक उत्तम पुत्र को जन्म दिया | २०

अंजना ने जब इनको जन्म दिया उस समय इनकी अंग क्रांति पिंगल जाड़े में पैदा होने वाले धन के अग्र भाग की भांति पिंगल वर्ण की थी । एक दिन माता अंजना फल लेने के लिए आश्रम से निकली और गहन वन में चली गई | २१
यह केवल प्रासंगिक प्रस्तावन है, यदि संपूर्ण विश्लेषण के लिए हमें रामायण का ही आश्रय लेना चाहिए , पुराणों में अनेक रूप से विविध कथाएं मिलती है जब पुराण और इतिहास में कोई परस्पर भेद कहानियां हैं तो उसमें अंतिम निर्णय के लिए इतिहास का ही आश्रय लेना चाहिए कि और श्री मद् वाल्मीकी रामायण कि यह विशेषता है की यह ग्रन्थ श्री राम जी और हनुमान जी के काल में ही लिखा गया था और महर्षि वाल्मीकि जी ने श्री लव, कुश के द्वारा अयोध्या में श्री राम चंद्र जी के सानिध्य में यह रामायण कथा सभी को सुनाई भी थी, और श्री राम एवं श्री हनुमान जी के जन्म के वृत्तान्त में १७ लाख वर्षों से तीनों युगो से आचरण करते आए है ऐसा संपूर्ण विवरण अन्यत्र कहीं नहीं मिलता है । कुछ पुराणों में अनेक कहानियाँ भी मिल सकती हैं । परंतु यह सभी असम्पूर्ण हैं । कुछ कल्प भेद से भी मिलते हैं । वे असम्पूर्ण हैं ।
आदेश : इस विषय को लेकर भविष्य में कोई भी अनावश्यक वक्तव्य देना या व्याख्यान करने केलिए जरूरत नहीं है, सम्पूर्ण इतिहास, पुराण और अन्य विविध ग्रंथो विविध रामायण ग्रंथो का संपूर्ण विश्लेषण करने के बाद हनुमान जी की जन्म स्थली किष्किंधा में स्थित अञ्जनाद्रि पर्वत पर ही है, वायु के अनुग्रह से केसरी एवं अञ्जना देवी दम्पतियों से चैत्र शुक्ल पूर्णिमा को श्री हनुमान जी का जन्म हुआ, यही परम्परा से अभी तक आचरण करते आ रहे हैं । और भविष्य में भी यही प्रमाण रूप में आचरण करने योग्य है. और अन्य विषय प्रामाणिक नहीं है, और ना होंगें,
निर्णय : श्री हनुमान जी श्री रुद्र के अवतार हैं, श्री वायु देवता के अनुग्रह से औरस पुत्र के रूप में, श्री केसरी एवं माता अञ्जनी दम्पतियों से किष्किंधा ( गुहा) नगरी में, चैत्र शुल्क पूर्णिमा तिथि को पुत्र के रूप में जन्म लिया ।
श्री रामचन्द्र भगवान का जन्म जैसे अयोध्या में हुआ श्री सीता माता जी का जन्म जनकपुरी मे हुआ ये जितना सत्य हैं, वैसे ही श्री हनुमान जी का जन्म किष्किंधा मे हुआ ये भी उतना ही सत्य हैं ।
नास्ति रामायणात् परम् १.५.२१।, वाल्मीकिर्भगवान् ऋषि: (१.३.३८) :
सनातन धर्म के लिए मूल आधार वेद हैं | वह भगवत् स्वरूप है , साक्षात चतुर्मुख ब्रह्मा जी की प्रेरणा से
वेद वेद्ये परे पुंसे जाते दशरथात्मजे ।
वेद: प्राचेतसादासीत् साक्षाद्रामायणात्मना ॥
तमुवाच ततो ब्रह्मा प्रहसन्न् मुनिपुंगवम् |
श्लोक एव त्वया बद्धो नात्र कार्या विचारणा ||
मच्छंदादेव ते ब्रह्मन् प्रवृत्तेयं सरस्वती ।
रामस्य चरितम् सर्वं कुरु त्वम् ॠषिसत्तम ॥
तत: पश्यति धर्मात्मा तत्सर्वं योगमास्थित: ।
पुरा यत् तत्र निर्वृत्तं पाणावामलकं यथा ॥
उनकी कृपा से महर्षि वाल्मीकि धर्मेणान्वेषते गतिम्,
तत्सर्वं तत्वतो दृष्ट्वा धर्मेण स महा द्युति: ।
वाल्मीकिर्भगवान् ऋषि: १.३.३८ )
के मुख से वेदों का सार रामायण के रूप में निकला (
वेद: प्राचेतसादासीत् साक्षाद्रामायणात्मना ॥ राम महा . २१,२२,२३ )
यह वेद तुल्य है , महर्षि वाल्मीकि कि कृपा से वेद सूक्ष्म धर्मों का ग्रहण, धारण करने वाले
सतु मेधाविनौ दृष्ट्वा वेदेषु परिनिष्ठितौ |
वेदोपबृंहणार्थाय ताव ग्राहयत प्रभु:, ॥ १.४.६,
राम जी के जो प्रतिबिम्ब रूप है बिंबादिवो द्धृतौ बिंबौ रामदेहात् तथा परौ ॥ १.४.११,
उन लव कुश को उपदेश दिया, अयोध्या में अश्वमेध यज्ञ के समय दिव्य सभा मे समस्त अयोध्या वासियों के देखते हुए, साक्षात् श्रीराम जी कि उपस्थिति मे गायन आसीनः काञ्चने दिव्ये स च सिंहासने प्रभुः ।
उपोपविष्टः सचिवैर्भ्रातृभिश्च परन्तपः । 1.4.25 ॥
दृष्ट्वा तु रूपसम्पन्नौ तावुभौ नियतस्तदा ।
उवाच लक्ष्मणं रामः शत्रुघ्नं भरतं तथा । 1.4.26 ॥ किया,
यहाँ श्री राम, और माता सीता देवी का तथा समस्त देवताओं केअवतार रूप वानरों का समस्त दिव्य चरित्र को विस्तार रूप से बताने वाली ग्रंथ ( काव्यं रामायणं कृत्स्नं सीतायास्श्चरितं महत् )श्रीमद् वाल्मीकि रामायण हैं ॥
नास्ति रामायणात् परम् | ऐसे श्री रामायण कर्ता।
वाल्मीकिर्भगवान् ऋषि: है

पम्पाक्षेत्र – राजाधिराज भगवान श्री पम्पा विरुपाक्षेश्वर मंदिर
पम्पाक्षेत्र तुंगभद्रा नदी तट पर, श्री हेमकूट पर्वत पर विराजमान विजयनगर साम्राज्य राजधानि (हम्पी) – अधि देवता राजाधिराज भगवान श्री पम्पा विरुपाक्षेश्वर मंदिर

हेमकूट पर्वत पर वराजमान श्री हनमान् मन्दिर
पंपक्षेत्र विजयनगर साम्राज्य राजधानी

Group of Monuments at Hampi (India)

https://whc.unesco.org/en/documents/109357
       https://whc.unesco.org/en/documents/109330

   Lord Sri Hanuman – Pampakshetra Kishkindha 
 https://whc.unesco.org/en/documents/109362

Pampakshetra Kishkindha Hampi
https://whc.unesco.org/en/documents/109360

उत्तर दिशा प्रवेश द्वार के सामने से श्री किष्किंधा अंजनाद्री
Kiऋष्यमूक पर्वत से श्री किष्किंधा अंजनाद्री पहाड़ी का दृश्य,

भगवान सूर्य की कृपा से हनुमान को नव व्याकरण का ज्ञान हुआ।
ष्किंडा में सूर्यनारायण मंदिर श्री सूर्यनारायण की कृपा का प्रतीक है।
श्री पम्पाक्षेत्र हनुमद् जन्मभूमि किष्किन्धा अंजनाद्रि पर्वत पर विराजमान मूल मन्दिर मे बाल स्वरुप हनुमान जी

श्री पम्पाक्षेत्र हनुमद् जन्मभूमि किष्किन्धा मे निर्माण होनेवाले
नवीन “श्री बाल हनुमद् समेत माता अंजनी मन्दिर – प्रारूप”
भगवान हनुमान जी के बारे में झूठा प्रचार करने वाले कुछ अप्रमाण ग्रंथ पुराण, संहिता, पी.एच.डी और अन्य शोध कार्यों के नाम पर प्रचार होनेवाली इस नकली पुस्तकों से सावधान रहें

श्री हनुमान जन्मस्थान पर टीटीडी की नकली पुस्तकें,
नकली दस्तावेज, नकली शोध

टीटीडी फर्जी रिसर्च,
पहली किताब 13-04 -2021
टीटीडी फर्जी रिसर्च,
दूसरी किताब 21-04-2021
,

टीटीडी फर्जी रिसर्च तीसरा किताब 16-02-2022
మొదటి పుస్తకము 13-04-2021

  1. Pampa Sarovar , 2. Kishkindha Anjanadri Hills , 3. Anjanahalli, 4. Hanumana Halli,1,
  2. Chikkarampura Village, 6. Dodda Rampura, Village, 7. Ayodhya Village,
    Anjanahalli, ( Birth Place of Mata Anjana Devi, there is big village village with the name of Mata Anjanadevi in kishkinhda left side to the Kishkindha Anjanadri Hills )
    Kishkindha Anjanadri Hills – ( Birthplace of Lord Sri Hanuman,)
    Hanumana Halli the place where Lord hanuman gronup – just opposite to Kishkindha Anjanadri Hills there isa village dedicated to lord hanuman
    Anjanadri Halli Village 1, 2 Pampa Sarovar – Kishkindha Anjanadri Hills Description: Picture: shows the mountains and wood of Kishkindha where Rama and Lakshman met Sugriva and made friendship with him with the help of Hanuman. Four scenes relating their friendship have been depicted here. It is made with line drawing.
    C.18-19th Century C.E. AM-MIN-162, Allahabad Museum, Allahabad
    https://www.indianculture.gov.in/museum-paintings/rama-and-sugriva-friendship-scene Description: Picture depicts a scene of Kishkindha Kand of Ramayana. On the left top corner, Rama and Lakshman taking both in the Pampasar, next Hanuman met them in the guise of a Brahman, then Hanuman is shown coming to see and examine Rama and Lakshman who they were. Below on the left corner, Hanuman exposed himself and next he is seen taking them on his shoulders. Finally Hanuman is shown before Sugriva with Rama and Lakshaman. The style of painting is Rajasthani. C.18-19th Century C.E. AM-MIN-164
    https://www.indianculture.gov.in/museum-paintings/rama-and-sugriva-friendship-scene

Queastin : Where is Kishkindha ?
वाल्मीकि रामायण में ऋषि वाल्मीकि द्वारा इसका स्पष्ट रूप से वर्णन किया गया है जब श्री वाल्मीकि रामायण लिख रहे थे, तब उन्होंने एक काण्ड का नाम किष्किन्धा रखा। यह स्थान भारत सरकार के एएसआई और यूनेस्को द्वारा अन्य सभी विभागों द्वारा पहचाना और संरक्षित किया गया है
अब श्री हनुमद जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट इस प्राचीन राजधानी वन किष्किंधा की सुरक्षा के लिए काम कर रहा है

we have plenty of evidencess from Sri Valmiki Ramayana, and other vedic texts which can glorify about this pace as the captial city of tretayuga’s kishkindha nagara, established by Vanaras
in a recnt ( Dwaparayuga anta) days king Janamejeya King Vikramaditya also mentions Pampakshetra kishkindha in their Shasanas
Sri Satya Harishchandra also visits this place,
Not only during tretayuga even in dwapara yuga also there was a relatons between Hastinapur and Kishkindha
before the Mahabharata War Bhagavan Lord Sri Krishna sends Pandavas to Pampakshetra kishkindha for tapasya,

चक्रवर्ती राजा जनमेजय शसन (शिलालेख)

Hampi-Group of monuments at Hampi (1986), Karnataka,
Source : https://asi.nic.in/hampi/
Hampi-Group of monuments at Hampi (1986), Karnataka Traditionally known as Pampakshetra of Kishkindha, Hampi is situated on the southern bank of the river Tungabhadra. Once it was the seat of the mighty Vijayanagara empire.
The monuments of Vijayanagara city, also known as Vidyanagara in honour of the sage Vidyaranya were built between AD 1336-1570, from the times of Harihara-I to Sadasiva Raya. A large number of royal buildings were raised by Krishnadeva Raya (AD 1509-30), the greatest ruler of the dynasty. The period witnessed resurgence of Hindu religion, art, architecture in an unprecedented scale. The contemporary chroniclers who came from far off countries-such as Arabia, Italy, Portugal and Russia visited the empire, have left graphic and glowing accounts of the city. It covers an area of nearly 26 sq km and is stated to be enclosed by seven lines of fortifications.
Extensive remains of the palaces can be seen within innermost enclosure of the ancient Vijayanagara. The various religious and secular structures which include Hindu and Jaina temples, audience hall of the king, the magnificent throne platform to witness the festivals and other events, the king’s balance (tulabhara) are awe-inspiring.
Temples of this city are noted for their large dimensions, florid ornamentation, bold and delicate carvings, stately pillars, magnificent pavilions and a great wealth of iconographic and traditional depictions which include subjects from the Ramayana and the Mahabharata. The largest extant temple is that of Pampapati (now in worship) was extensively renovated. Its magnificent entrance tower was caused by Krishnadeva Raya. The Vitthala temple is an excellent example of Vijayanagara style. The monolithic statues of Lakshmi, Narasimha and Ganesa are noted for their massiveness and grace.
The Krishna temple, Pattabhirama temple, Hazara Ramachandra and Chandrasekhara temple as also the Jaina temples, are other examples. Majority of these temples were provided with widespread bazaars flanked on either side by storeyed mandapas. Among secular edifices mention may be made of the Zenana enclosure wherein a massive stone basement of the Queen’s palace and an ornate pavilion called ‘Lotus-Mahal are only remnants of a luxurious antahpura. The corner towers of arresting elevation,

the Dhananayaka’s enclosure (treasury), the Mahanavami Dibba carrying beautifully sculptured panels, a variety of ponds and tanks, mandapas, the elephant’s stables and the row of pillared mandapas are some of the important architectural remains of this city.
Recent excavations at the site have brought to light a large number of palatial complexes and basements of several platforms. Interesting finds include a large number of stone images, both in round and relief, beautiful terracotta objects and stucco figures that once embellished the palaces. In addition many gold and copper coins, household utensils, a square stepped-tank (sarovara) at the south-west of Mahanavami Dibba, and a large number of ceramics including the important variety of porcelain and inscribed Buddhist sculptures of 2nd -3rd century AD have also been unearthed.,

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In 1972, the General Conference of UNESCO adopted a resolution with overwhelming enthusiasm creating thereby a ‘Convention concerning the protection of the World Cultural and Natural Heritage’. The main objectives were to define the World Heritage in both cultural and natural aspects; to enlist Sites and Monuments from the member countries which are of exceptional interest and universal value, the protection of which is the concern of all mankind; and to promote co-operation among all Nations and people to contribute for the protection of these universal treasures intact for future generations.
The List of recorded sites on the World Heritage now stands at 981 which include both cultural and natural wonders, and endowment that is shared by all mankind and the protection of which is the concern of the entire mankind. These include 759 cultural, 193 natural and 29 mixed properties in 137 state parties. India is an active member State on the World Heritage from 1977 and has been working in close co-operation with other International agencies like ICOMOS (International Council on Monuments and Sites), IUCN (International Union for the Conservation of Nature and Natural Resources) and ICCROM (International Centre for the study of Preservation and Restoration of Cultural Property).
There are 40 World Heritage Properties in India out of which 32 are Cultural Properties and 7 Natural and 1 Mixed Properties.

Attractions in Anegundi – Anjanadri Hill: Climb 570 steps to visit Anjaneya Temple, said to be the birthplace of Lord Hanuman.
Just across the Tungabhadra River is the fortress town Anegundi, pre-dating Vijayanagara and the city’s 14th-century headquarters. More ancient than Hampi, Anegundi lies in the mythical kingdom of Kishkinda, ruled by monkey king Sugriva (from the Epic Ramayana). The Anjaneya Hill is, believed to be the birthplace of the monkey god Hanuman, can be easily spotted from Anegundi, thanks to the temple at the hilltop and a white trail of steps zigzagging all the way to the top. Anegundi and its tranquil surroundings are dotted with forgotten temples and fortifications. The dilapidated Huchappayana Matha Temple, near the river, is worth a visit for its black stone lathe-turned pillars and fine panels of dancers. The other places of tourist interest are the sacred Pampa Sarovara, Chintamani Temple and the Ranganatha Temple. https://www.karnataka.gov.in/new-page/TOURISM/kn,
हम्पी चट्टानी पहाड़ियों के इस क्षेत्र की पहचान रामायण के किष्किंधे के रूप में की जाती है।
Hampi This area of rocky hills is identified as Kishkindhe of Ramayana. https://www.karnatakatourism.org/tour-item/anegundi/
www.karnatakatourism.org/lord-hanumans-largest-statue-to-come-soon/

This Train Covers holy places Sri Sita Janmabhoomi ( Janakpuri) to
Sri Ramajanmabhoomi( Ayodhya) to Sri Hnumad Janmabhpppmi ( Kishkindha )
https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1836061,
7 नवम्बर से भारतीय रेलवे शुरू करने जा रहा है रामायण यात्रा ट्रेन, दिल्ली से चल कर रामेश्वरम तक रामायण से जुड़े सभी तीर्थस्थलो का 17 दिन का टूर, ट्रेन दिल्ली के सफरदरजंग रेलवे स्टेशन से चलेगी. ये ट्रेन यात्रियों को भगवान श्रीराम से जुड़े सभी धार्मिक स्थलों के दर्शन कराएगी. पूरी यात्रा में कुल 17 दिन लगेंगे. यात्रा का पहला पड़ाव अयोध्या होगा, अयोध्या: राम जन्मभूमि मंदिर, हनुमान गढ़ी, सरयू घाट। नंदीग्राम: भारत-हनुमान मंदिर और भरत कुण्डी जनकपुर: राम-जानकी मंदिर। सीतामढ़ी: सीतामढ़ी और पुनौरा धाम में जानकी मंदिर। वाराणसी: तुलसी मानस मंदिर, संकट मोचन मंदिर और विश्वनाथ मंदिर। सीता संहिता स्थल, सीतामढ़ी: सीता माता मंदिर। प्रयाग: भारद्वाज आश्रम, गंगा-यमुना संगम, हनुमान मंदिर। श्रृंगवेरपुर: श्रृंग ऋषि समाधि और शांता देवी मंदिर, राम चौरा। चित्रकूट: गुप्त गोदावरी, रामघाट, भरत मिलाप मंदिर, सती अनुसुइया मंदिर। नासिक: त्रयंबकेश्वर मंदिर, पंचवटी, सीता गुफा, कालाराम मंदिर। पंपाक्षेत्र हम्पी किष्किन्धा : श्री पंपा विरूपाक्ष मंदिर , श्री हनुमाद् जन्मभूमि अंजनाद्री हिल, ऋषिमुख द्वीप, सुग्रीव गुफा, चिंतामणि मंदिर, माल्यवंत रघुनाथ मंदिर। रामेश्वरम: शिव मंदिर और धनुषकोडी
तिरुपति – ( आन्ध्रप्रदेश )
टि.टि.डि. कमेटी की हार हनुमान जन्मभूमि ट्रस्ट का जीत :
टि.टि.डि कमेटी का निराकरण :
On 21 April 2021 TTD,
TTD Fake committee conducted a Meeting in Tirupati

https://www.indiatoday.in/magazine/up-front/story/20210503-the-many-birthplaces-of-hanuman-1794390-2021-04-23,
1) April 21, on the occasion of Sri Rama Navami, the Tirumala Tirupati Devasthanams (TTD), custodian of the richest Hindu shrine, unveiled “mythological, epigraphic and geographic evidence” to claim that Tirumala is the birthplace of the Hindu god Hanuman. To bolster the claim, the TTD had constituted an eight-member committee, including Sanskrit and Vedic scholars and even a scientist from the Indian Space Research Organisation (ISRO), in December 2020 to produce “irrefutable” evidence on the purported Hanuman janmabhoomi. This came after questions were raised during the special religious discourses the TTD held in June last year when participants asked why there were uncertainties about the birthplace. It seems bhakts were mentioning several places with similar-sounding names.
2) https://www.thehindu.com/news/national/andhra-pradesh/tirumala-to-stake-claim-as-birthplace-of-lord-hanuman/article34290398.ece
The panel consists of the Vice-Chancellor of National Sanskrit University Prof. Muralidhar Sharma, Vice-Chancellor of SV Vedic University Prof. Sannidhanam Sharma, ISRO scientist Remella Murthy, Deputy Director of State Archaeology Vijaykumar, professors Ranisadasiva Murthy, J. Ramakrishna and Sankara Narayana with the TTD SV Higher Vedic Studies project director Akella Vibhishana Sharma as the convener. After several rounds of discussions and research, the committee finally declared to have collected adequate evidences to establish that Anjanadri is the original birthplace of Lord Hanuman.
3) In December, the Tirumala Tirupati Devasthanams (TTD), which manages the temples together with the Tirumala Venkateswara Temple in Andhra Pradesh, shaped an professional panel comprising Vedic students, archaeologists, and an ISRO scientist to examine and submit a report by April 21 pinpointing the actual birthplace of Hanuman.

First Book Released by TTD on 13-04-2021
ఇది టి.టి.డి వారు నాలుగు నెలలు తయారుచేసిన రిపోర్ట్
ఈ విషయములు ఎంత ప్రామాణికమో ముందర ఖండనములో చూసెదరు

On 30-04-2021 from SHJBTKTrust Sri Swamiji Wrote a letter to TTD

जय विरूपाक्ष – जय श्रीराम – जय हनुमान्
श्री हनुमद् जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट् (रि)
Sri Hanumad Janma Bhoomi Teertha Kshetra Trust (Reg.135/20),
Kishkindha – Pampakshetram –Koppal Dist , Karnataka – 583234, BHARAT,
 8500411115/8,

Ref le no: 8/1 Date: 8-05-2021, Place: Pampkshetra Kishkindha,
From: H.H. Office of the Administration& P.S
To
Sri Dr. K. Sivan, Chairmen ISRO
Headquarters Bangalore,
Copy to P.M’s Office Govt of INDIA
URJENT Most immediate
Sub : Misuse of I.S.R.O with the name of Scientific Research by T.T.D Seeking clarification from I.S.R.O regarding “TTD’s claim that I.S.R.O Scientists help T.T.D for finding out the birthplace of lord hanuman according to geologically, scientifically with their scientific research and provided the evidences to T.T.D and helped finding out the birthplace of Lord Hanuman,
Recently the “T.T.D administration conducted a public press meet in Tirupati saying that they have formed a committee for finding out the Hanuman Janmabhoomi and they are claiming that scientists from I.S.R.O also worked and did 4 months research on our request and gave the scientific evidences” even the same published by the all print and electronic media and spreading all over Indian
Here when we came to know this immediately we condemned this, now we wanted to know the facts weather you people “I.S.R.O involved in this task or not? And some organizations misusing the name of I.S.R.O and misleading the devotees and society for their selfishness which causes the very bad impact on I.S.R.O and the society
We again request the I.S.R.O authorities to give a immediate proper replay on this matter for us as early as possible
Requesting answers for our query :
1) Any Tirupati Officials approached I.S.R.O ? Yes or No
2) If approached what did they requested I.S.R.O,
3) Have you appointed any person officially to do research on this matter and give a report to T.T.D
4) Have you or your I.S.R.O did any survey in finding Sri Hanuman Janmabhoomi with the request of T.T.D
5) We request the concerned authorities to provide a reply immediately without any delay
6) Have your any employee or appointed by you worked with T.T.D
7) If you appoint a person on the request of T.T.D regarding finding out the birthplace of lord Hanuman can you tell me the appointment of that person and his details
8) We wanted to know what research you have done and scientifically evidence research papers with proofs along with team members and their names from ISRO by the request of T.T.D
Our mail ID : hanumadjanmabhoomitrust@gmail.com
With the orders of H.H With blessings
Regards,

                                                                          Office of the Admin & P.S to H.H    

Sri Pampakshetra Kishkindha Swarnahampi – Bhaktinagara Samrajya,
Sri Hanumad Janmabhoomi Teertha Kshetra Trust ®
Office: Kishkindha, Sri Hanumad Janmabhoomi , Anegondi, Gangavati T.Q, Koppal District, Karnataka – 583234, : 8500411115/8
Ashram: SwarnaHampi (New Hampi), Hospet TQ. Bellary Dist, Karnataka 583239,  : 8762711113/6,
hanumadjanmabhoomitrust@gmail.com, kishkindhasamsthanam@gmail.com,
www.kishkindha.org Sri Hanumad Janmabhoomi Teertha Kshetra Trust @ SHJBTKTrust
On 08-05-2021 from SHJBTKTrust Sri Swamiji Wrote a letter to ISRO for knowing the facts

On 12-05-2021 from SHJBTKTrust Sri Swamiji Wrote 2nd letter to TTD

టి.టి.డి వారు వారి నకిలీ సంశోధనమును తెలుగులో మాత్రమే చేసినారు, ఇందులో వారు చెప్పేవి అంతా బూటకపు మాటలు పౌరాణిక, వాఙ్మయ, శాసన ఆధారాలు అని చెబుతారే కానీ అవి ఎక్కడా కనబడవు, సత్యములు కావు వీరు ఈ పుస్తకమునందు వివరించు అంశములు ఏరకముగా అసత్యములో ప్రస్తుతము నిరూపింపబడును,
మొట్టమొదటిగా ఇది కమిటీ నివేదిక ఇందు 8 సభ్యులు కలరు, అసలు ఇక్కడ ముఖ్య విషయము ఏమిటి అనగా టి.టి.డి దేవస్థానము నియమములు, చట్టము ప్రకారము, అ సలు అచ్చట వారి అధికారములు ప్రకారము, టి.టి.డి వారికి ఇటువంటి ఏదైనా ఒక ధార్మిక విషయముపై కమిటీని వేసే అధికారము గాని, అందునా రెండు రాష్ట్రముల మధ్య గల సంబంధములను శంతిభద్రతలను పాడుచేయు విధముగా తమంతటతామే వారే నిర్ణయించుకుని, ఒక ధార్మిక ఆచార్యుల వారి కర్తవ్యము అయిన భౌగోళిక అంశాలతో ముడిపడిఉన్న ఇటువంటి విషయాలలో తలదూర్చే అహికారమే లేదు

TTD is givien a letter to Sri Swamiji accepecting for open debate

26-05-2022 राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान तिरुपति में आयोजित शास्त्रार्थ

https://www.youtube.com/watch?v=KMlsT2772aU&t=20s https://www.youtube.com/watch?v=4KcjMqnjFUI&t=124s https://www.youtube.com/watch?v=C1ebUNC4pW0&t=201s https://www.youtube.com/watch?v=L1I0C_dus2U&t=9s https://www.youtube.com/watch?v=0nL2H5rCH14

श्री हनुमान जी के जन्म के बारे में टी.टी.डी कमिटी वाले लोग अनावश्यक रूप से विवादों को खडा करके संपूर्ण शास्त्र ज्ञान के बिना अनावश्यक कार्य कर रहे हैं जबकि अंजना देवी के पति और हनुमान जी के पिता केसरी को एक राक्षस के रूप में बता रहे है इतना ही नहीं अंजना देवी के पिता का नाम केसरी बता रहे हैं | यह सर्वदा अनुचित है और हनुमान जी की जन्म तिथि को लेकर भी भ्रम फैला रहे है | कुछ समय श्रावण बोलेंगे कुछ समय वैशाख बोलेंगे कुछ समय कार्तिक बोलेंगे
ऐसे अनेक सारे विषयों को लेकर प्रमाणों को छोड़कर स्वयं ही असली इतिहासों को क्षति पहुंचा रहे है कुछ लोगों का लिखा हुआ प्रक्षिप्त पन्क्तियों का उल्लेख कर रहे हैं, जिसमे श्री वेङ्कटाचल माहात्म्य ( सङ्कलन ग्रंथ ) में श्लो : श्रावणे मासि नक्षत्रे श्रावणे हरि वासरे । यह श्लोक अप्रमाणिक है असम्बद्ध है ज्योतिष सिद्धान्त के अनुसार सर्वत्र विरुद्ध है |

फकीर मुसलमान शिर्डी वाले साईं को गुरु और भगवान् मानने वाले लोगो को रामायण के बारे या हिंदू देवी देवता के बारे में बोलने का अधिकार ही नहीं है |

तिरुपति कमेटी का अभिप्राय यह है कि“ श्री हनुमान जी का जन्म तिरुपति में हुआ है” जबकि संपूर्ण रामायण में हनुमान जी के जन्म का वृत्तान्त आता है वहां कही भी टि.टि.डि तिरुपति का और उस क्षेत्र का कही भी एक मात्र प्रामणिक उल्लेख नहीं मिलता है, तिरुपति वाले लोग सब कुछ आसत्य बोल रहे है |
उदा : तिरुपति कमेटी का कहना है कि “ पितरो केसरी नाम राक्षस:
श्री हनुमान जी के पिता केसरी त्रेतायुग में एक राक्षस थे ! और अञ्जनी के पिता केसरी हैं ! और पति भी केसरी हैं , यहां २ केसरी कहा से आए ? यह सर्वदा अनुचित है, श्री मद्वाल्मीकि रामायण के और अनेक प्रमाणों के अनुसार केसरी एक वानर राजा थे और वानर श्रेष्ठ, प्रज्ञाशाली थे ।
पद्मकेसर संकाश: तरुणार्क निभानन: ।
बुद्धिमान् वानर: श्रेष्ठ: सर्ववानरसत्तम: ॥ ( वा.रा कि.३९ सर्ग श्लो १७)
अनीकैर्बहु साहस्रै:वानराणां समन्वित: ।
पिता हनुमत: श्री मान् केसरी प्रत्यदृश्यत ॥ १८
माल्यवान्नाम वैदेहि गिरीणामुत्तमो गिरिः।
ततो गच्छति गोकर्णं पर्वतं केसरी हरिः। 5.35.80 ॥
पर्वतों में माल्यवान (किष्किन्धा में माल्यवान् / प्रस्रवण गिरि)नाम से एक प्रसिद्ध उत्तम पर्वत है, वहां केसरी नामक वानर निवास करते थे, एक दिन वे देवर्षियों की आज्ञा से गोकर्ण क्षेत्र पर्वत पर गए,
स च देवर्षिभिर्दिष्टः पिता मम महाकपिः।
तीर्थे नदीपतेः पुण्ये शम्बसादनमुद्धरत्। 5.35.81॥
देवर्षियों की आज्ञा से मेरॆ पिता केसरी ने समुंद्र के तट पर विद्यमान उस पवित्र गोकर्ण तीर्थ में शंबसादन नामक दैत्य का संहार किया था |
और शम्बसादन जैसे राक्षस का संहार करने वाले वानर श्रेष्ठ राजा केसरी थे ।
टि.टि.डि वाले येभी कहते है कि श्री राम जी किष्किन्धा से लंका जानेके समय और वहा से सीता माता जी के साथ फिर अयोध्या जाने के समय पुष्पक विमान में तिरुपति आये यह भी असत्य है ऐसा कही भी उल्लेख नहीं हैं श्री मद् वाल्मीकि रामायण में स्पष्ट लिखा है कि “श्री राम भगवान् ने किष्किंधा से लंका जाने के मार्ग और लंका से किष्किंधा होते हुए अयोध्या आने वाले मार्ग तक” यहा संपूर्ण रामायण में तीन काण्ड सुंदर काण्ड /किष्किंधा काण्ड / युद्ध काण्ड मे कही भी ऐसा उल्लेख नहीं है कि श्री राम जी “तिरुपति”/ वेंङ्कटाचल” गये यहा किष्किंधा का ही सब जगह उल्लेख है

वा.रा यु.सर्ग १२५, १२६ ॥ १२५,१२६,१२७
एषा सा दृश्यते सीते ! किष्किंधा चित्र कानना ।
सुग्रीवस्य पुरी रम्यायत्र वाली मया हत: १९
एवम् उत्कोऽथ वैदेह्या: राघव: प्रत्युवाच ताम्।
एवमस्त्विति किष्किंधा प्राप्य संस्थाप्य राघव: ॥
विमानं प्रेक्ष्य सुग्रीवं वाक्यमेतदुवाच ह । २२
एषा सा दृश्यतेऽयोद्या राजधानी पितुर्मम ।
अयोध्यां कुरु वैदेहि ! प्रणामं पुनरागत ॥ ५२

21-04-2021 को टीटीडी द्वारा जारी पहली पुस्तक
शास्त्रार्थ के बाद टीटीडी के जेईओ व कमेटी सदस्यों ने की प्रेस मीट
राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय – तिरुपति में प्रेस मीट https://www.youtube.com/watch?v=TKToP1P0xaA&t=444s

https://www.youtube.com/watch?v=0nL2H5rCH14&t=7s
26-05-2022 श्री गोविंदानंद सरस्वती स्वामीजी ने तिरुपति में प्रेस मीट में टीटीडी द्वारा प्रस्तुत पूरी फर्जी परियोजना रिपोर्ट की निंदा की,
https://www.youtube.com/watch?v=JqKRR16w6fE&t=9359s
https://www.youtube.com/watch?v=C1ebUNC4pW0&t=39s https://www.youtube.com/watch?v=6h-2581f6FU https://www.youtube.com/watch?v=V8-PHrTSXs8
https://www.youtube.com/watch?v=9sZ47zo-A4k&t=9s
अगले दिन राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय में बहस के बाद और श्री स्वामीजी तिरुपति प्रेस क्लब में प्रेस मीट
After losing the Debeate with Govindananda Saraswati Swamijii,
TTD released Marphing Video, it’s not a wonder
nobody will believe this …but…. the next day only TTD entire team got redhandedly caught the Next day only Sri Swamijis team released the original video ,
गोविंदानंद सरस्वती स्वामीजी के साथ बहस हारने के बाद, टीटीडी ने मार्फिंग वीडियो जारी किया, यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है, इस पर कोई विश्वास नहीं करेगा…लेकिन…. अगले दिन केवल टीटीडी की पूरी टीम रंगे हाथों पकड़ी गई अगले दिन केवल श्री स्वामीजी की टीम ने मूल वीडियो जारी किया, यह घटना बताती है कि स्वार्थ के लिए कौन और क्या कर सकता है,

టి.టి.డి వారి నయ వంచన, మోసము, దగా, కుట్ర పూరిత చర్య, పరువు కోసము ఎంతకైనా బరితెగించే టి.టి.డి కమిటీ ఇప్పటివరకూ టి.టి.డి వారు చేసిన గ్రాఫిక్స్ వీడియో చూసారుగా…. ఇప్పుడు చూడండి అసలు వీడియో… ,
బయట పడిన టి.టి.డి వారి నయ వంచన, మోసము, దగా, కుట్ర పూరిత చర్య, పరువు కోసము ఎంతకైనా బరితెగించే టి.టి.డి కమిటీ బహిరంగ సవాలు అని పిలిచి బహిరంగ చర్చ చేస్తామని చెప్పి వ్రాతపూర్వకముగా పత్రము ఇచ్చి నమ్మించి, మోసము చేసి, ౩౦ మంది పత్రికా విలేఖరులను గేటు దగ్గల తాళము వేసి, కేవలము స్వామివారినే లోపల పెట్టి వారి ప్రశలకు సమాధానము ఇవ్వకుండగా…స్వామివారు టి.టి.డి వాదననను పుస్తకములను ప్రమాణములుగా లేవని ఒప్పుకోక కమిటీవారి పుస్తకములను ఖండన చేస్తూ ఉంటె ….
సహించలేక…..వాళ్ళ సొంత కెమేరాలు పెట్టి గ్రాఫిక్స్ తో వీడియోలు తీస్తూ ….వారికి కావలసిన విధముగా ఎడిట్ చేస్తూ సమాజానికి మేము ఓడిపోయేము అని చెప్పుకోలేక తిరిగి స్వామివారే టి.టి.డి వారి తో ఏకీభవిస్తున్నారని దొంగ వీడియే ఒకటి తీసి గ్రాఫిక్స్ తో రిలీస్ చేయటము వారి పరువు కాపాడుకొనుటకు కుట్రతో స్వామివారిని అడ్డుకొనలేక,
పక్కదారులలో ఇటువంటి వీడియోలు రిలీస్ చేస్తూ వేంకటేశ్వరునిని, శ్రీ హనుమంతుని, సమస్త భక్తులను మోసము చేస్తున్న టి.టి.డి కమిటీ ఇలాంటివారిని ఏమని అనాలి…? చూడండి ….? స్వామివారిని మాట్లాడనివ్వకుండగా… స్వామివారి శిష్యుడు వీడియో తీస్తూఉంటే ఏ రకముగా అడ్డుకుంటున్నారో …. ఇది అసలు వీడియో

TTD द्वारा नकली मॉर्फिंग वीडियो,

अगले ही दिन टीटीडी बहस हारने के बाद टीटीडी ने श्री गोविंदानंद सरस्वती स्वामीजी पर नकली वीडियो मॉर्फिंग वीडियो जारी करते हुए कहा “श्री स्वामीजी टीटीडी से सहमत थे,
श्री स्वामीजी की टीम से तुरंत मूल वीडियो जारी किया गया, हमने कभी उम्मीद नहीं की थी कि टीटीडी ऐसा करेगा लेकिन यह कलियुग है,
https://www.youtube.com/watch?v=Tqyp3nhb4ss, https://www.youtube.com/watch?v=uEhFOEyEAOY
Original Video from Sri Swamijis Student

श्री “आकेल्ला विभीषण” शर्मा हमारे छात्र को वीडियो लेने से रोकने के लिए आ रहे हैं
श्री अकेला विभीषण शर्मा ने हमारे छात्र को वीडियो लेने के लिए रोका, और “सेल फोन कैमरा” के सामने खड़ा हो गया, लेकिन हमारे छात्र ने वीडियो ले लिया
Complete video: https://www.youtube.com/watch?v=Tqyp3nhb4ss, https://www.youtube.com/watch?v=BAXyFPKxRLE
यह वास्तव में टीटीडी समिति पर शर्म की बात है

यह वास्तव में टीटीडी समिति पर शर्म की बात है

Dr K. Muniratna Director , Epigraphy, ASI, Mysore,

Dr K. Muniratna Director , Epigraphy, ASI, Mysore,

Official letter from Dr K. Muniratna Director,
Epigraphy, ASI, Govt of India , Mysore,

Sub: till now we did get any evidences for providing tirupati is birthplace of lord hanuman
https://www.youtube.com/watch?v=XClKNdhK0u8
“ यह हमारा विश्वास है, हमें विश्वास है, हम इसे सुधारेंगे अभिव्रुद्धि करेंगे – जिनको विश्वास है वे आएंगे,

  • श्री वाई.वी सुब्बा रेड्डी टीटीडी चेयरमैन – 19 जून 2021
    ( सभापति स्वयं बता रहा है कि यह उसका विश्वास है, विश्वास वास्तविक सत्य से भिन्न है, कल कोई अन्य व्यक्ति दूसरी जगह से कुछ और कहता है – इसे प्रमाण या सत्य नहीं माना जाएगा )

पहली बहस हारने के बाद दूसरी बार टीटीडी ने फर्जी पीठाधिपति के साथ वेबिनार किया,
ttd ने जनता को धोखा दिया, कि वे दूसरी बैठक अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार कर रहे हैं, लेकिन तथ्यों को जानने के बाद तिरुपति में कमरे के अंदर बैठे केवल 10 सदस्यों ने 2 घंटे बर्बाद कर दिया, कुछ नहीं किया, लोगों को फिर से धोखा देते हुए कहा कि सभी पीठाधिपति ने हमारे शोध को मंजूरी दे दी है, वास्तविक तथ्य यह है कि ttd तमिलनाडु से कुरतलम के एक नकली 2 जगद्गुरु के 1 नकली शंकराचार्य को लाया, और दूसरा चित्रकूट से, इस तरह से पूरा ttd अपने स्तर पर साबित करने की पूरी कोशिश कर रहा है लेकिन अंत में ttd असफल रहा
“The Union Government on Tuesday clarified that it was not considering announcing one of the seven sacred hills of Lord Venkateswara in Tirumala, Anjanadri, as the birthplace of Lord Hanuman.”

Govt of India rejected and denided the demand of
TTD,
Union minister of culture and tourism G Kishan Reddy said that government was aware of the release of a booklet on Anjanadri Hills. “But, there is no proposal under government’s consideration to declare it as the birthplace of the lord,” he said while replying to a question in the Rajya Sabha.
YSRC MP V Vijayasai Reddy ( from Andhra ) demanded that the Centre declare Anjanadri Hills as the birthplace of Lord Anjaneya Swamy at the national level. The Tirumala Tirupati Devasthanams (TTD) released a 20-page booklet titled ‘Tirumala’s Anjanadri’, terming it as Lord Hanuman’s birthplace. The booklet carrying epigraphical, scientific and mythological evidence projected Anjanadri, one of the seven hills at Tirumala, as the birthplace of the lord.
The TTD said it will develop an Anjaneya temple at the hills near Akasha Ganga in Tirumala soon.

“No Proposal is under consideration”
Govt of India Orders
After the clashes between A.P and Karnataka the issue went to Parliament Sri Sanganna who is the local M.P from Kishkindha asked Govt then the Govt of India completely rejected the fake TTD activities and said we are not considering
“No Proposal is under consideration” श्री हनुमद जन्मभूमि के संबंध में भारत सरकार का बहुत महत्वपूर्ण संदेश, भारत सरकार इस मुद्दे में प्रवेश नहीं कर सकती है, उसी तरह कोई भी राज्य सरकार भी इसमें शामिल नहीं है, विषय यह विशुद्ध रूप से धर्मिका निर्णय से संबंधित है, और यह हिंदू धर्म आचार्यों की जिम्मेदारी है
किसी सरकार को नहीं
टि.टि.डि. कमेटी की हार हनुमान जन्मभूमि ट्रस्ट का जीत :
श्री गोविंदानन्द स्वामी जी द्वारा पूछे गए प्रश्नों का उत्तर देने में टि.टि.डि कमेटी पूरी तरह विफल रहे,
अंतिम परिणाम – टि.टि.डि के चैयरमेन ने (19 जून, 2021 – टीटीडी बोर्ड की बैठक में) खुद हार की घोषणा की और स्वीकार किया कि वे भविष्य में इस तरह के कार्यक्रम, घोषणा, चर्चा, इत्यादि नहीं करेंगे,
भारत मे सनातन वैदिक धर्म आचार्यों ने भी टि.टि.डि कमेटी को निराकरण किया, भारत सरकार ने भी संसद में टि.टि.डि के विचारों को खारिज किया,
अब टि.टि.डि कमेटी के हारने पर श्री हनुमद जन्मभूमि ट्रस्ट विजय उत्सव मना रहा है, इस संदर्भ में आज
“स्वस्ति श्री प्लव नाम सं आश्वीयुज शुक्ल दशमी ‘15-10-2021’
श्री हनुमद् जन्मभूमि अञ्जनाद्रि पर्व पर पुस्तक विमोचन
स्थल : श्री हनुमान जन्मभूमि किष्किन्धा,
जय विरूपाक्ष – जय श्रीराम – जय हनुमान
Fake Bhoomi Pooj Drama By TTD

నిరంతర ఓటములతో అవమానాలతో తాము చేసిన తప్పును కప్పిపుచ్చుకోవటానిక, జనాలని ఏదో ఒకటి చేసి నమ్మంచటానికి చేసే ఇంకొక నాటము
ఈ భూమిపూజ ,
ఎవరినైనా వాళ్ళ వలలో వేసుకోవాలి అంటే ఇంకేముంది ముందర శ్రీ వేంకటేశ్వరుని ఉపయోగించుకుని, వారిని తిరుపతి పిలిపించి వారికి విశేష దర్శనములు, సన్మానములు, పూర్ణ కుంభ స్వాగతాలు, ధ్యురోధనుడు శ్రీ కృష్ణు నిని ఎరవేసి పట్టుకోవటానికి ఏరకముగా ప్రయత్నించాడో అదేరకముగా వీళ్ళ స్వార్థానికి ఎవ్వరినైనా శ్రీ స్వామివారి గర్భగుడిలోకి పంపించటానికి కూడా వెనుకాడరు, ఈ నకిలీ అధికారులు, నకిలి పండితులు,
ఇంకే ముంది ముందర వేంకటేశ్వరస్వామి ఇంకేమి మాట్లాడ గలరు ఇలా వేంకటేశ్వరస్వామివారిని ముందర పెట్టుకొని చేసే వ్యాపారము తప్ప ఇందులో ఏదీ లేదు,

अंजनीगर्भ संभूत कपीन्द्र सचिवोत्तम । रामप्रिय नमस्तुभ्यं हनुमन् रक्ष सर्वद ॥
ಶ್ರೀ ಹನುಮದ್ ಜನ್ಮಭೂಮಿ ತೀರ್ಥ ಕ್ಷೇತ್ರ ಟ್ರಸ್ಶ್ ( ರಿ.135/2020) – ಕಿಷ್ಕಿಂಧಾ,
Sri Hanumad Janma Bhoomi Teertha Kshetra Trust (Reg.135/20),
Sri Pampakshetra Kishkindha Swarnahampi Bhaktinagarasamraj Samsthanam – Karnataka Kishkindha – Pampakshetram –Koppal Dist , Karnataka – 583234, BHARAT,  8500411115/8,

Ref le no: 01/1 Date: 10-02-2022,
Place/Camp: Kishkindha
From: H.H . Office of the Administration& P.S

పత్రికా ప్రకటన తేదీ: 10-02-2022, స్థళము: శ్రీ హనుమత్ జన్మభూమి – కిష్కింధా ( కర్నాటక)
విషయము, నిర్ణయము : తి.తి.దే, కమిటీ వారు తిరుపతి లో చేప్పే హనుమత్ జన్మభూమి నకిలీగా నిర్ధారణ,
……………………..
Sri Hanumad Janmabhoomi Kishkindha Sri Hanuman Ratham inauguration in Tirupati TTD’s foolish so called Bhoomi pooja Khandanam Sri Hanumad Janma Bhoomi Masters Plan Inaguration in Tirupati, Press conference
1) ఇస్రో పెరు దుర్వినియోగం చేస్తున్న తి.తి.దె దీనిపై తి.తి.దే, కమిటీ పై భారత దేశ ప్రభుత్వం సంస్ధ పేరును స్వప్రయోజనం కోసం దుర్వినియోగం చేస్తున్నందుకు చట్టనేరం, ఇది క్రిమినల్ కేసులు గా నమోదు,
2) భక్తి పేరుతో నకిలీ, తప్పుడు వ్యాఖ్యానాలు, నకిలీ సృష్టించిన పత్రాలతో వ్రాసిన ప్రోజెక్ట్ రిపోర్ట్ చేసిన కమిటీ వారిపై క్రిమినల్ కేసు, ఒకసారి తి.తి.దే బోర్డు మీటింగ్ లో ఇకముందు ఇటువంటి తప్పిదములు చేయమని వారి తప్పులను తెలుసు కొని చైర్మన్ కమిటీలు మూలకంగా ఒప్పుకోని మరలా తిరిగి తప్పుడు పనులు ఆరంభిచుట,
4) భారత ప్రభుత్వం కూడా తిరుపతి లో ఒక అంజనాద్రి ఉన్నదని, అది శ్రీ హనుమంతుని జన్మభూమి అని చెప్పుటకు గాని, తి.తి.దే ని సంపూర్ణంగా నిరాకరించింది
5) భారత ప్రభుత్వ ఎపిగ్రఫీ శాఖ మైసూర్ వారు కూడా తి.తి.దే వాదనని దీనిని ఖండిస్తూ తిరుపతి శ్రీ హనుమతుల వారి జన్మభూమి అనుటకు ఎటువంటి ఆధారాలు లేవు అని తేల్చి చెప్పినారు,
6) భారత పార్లమెంటులో కూడా చర్చ వచ్చి పార్లమెంటులో ప్రభుత్వం ఈ విషయం తమ దృష్టికి వచ్చినట్లు చెబుతూ తి.తి.దే నకిలీ ప్రస్తావనను సంపూర్ణంగా తిరస్కరించారు,
7) జగద్గురువులు శ్రీ శంకరాచార్యులు శృంగేరీ, ద్వారకా, పురి, బదరీ, మరియూ కాంచీ, అలాగే శ్రీ రామానుజ, శ్రీ రామానందీయ సాంప్రదాయ ఆచార్యులు, అయోధ్య లో ని ఆచార్యులు శ్రీ మధ్వాచార్యులు ఉడుపీ, మఠం ఆచార్యులు భారత దేశం లో ఉన్న సమస్త ఆచార్యులు స్పష్టంగా తిరుపతి ని నిరాకరించినారు , పంపాక్షేత్రము కిష్కింధ మాత్రమే శ్రీ హనుమత్ జన్మభూమి గా నిర్ణయము చేసి రి”
8) శృంగేరీ, ద్వారకా, బదరీ, జగద్గురువు లు వారి స్వహస్తాలతో ఈ విషయం సమస్త జనాలకు తెలియుటకు నిజమైన ” శ్రీ హనుమత్ జన్మభూమి” పంపాక్షేత్ర కిష్కింధ- శ్రీ హనుమత్ జన్మభూమి జన్మభూమి కిష్కింధా రథయాత్రను జగద్గురువు లు వారి చేతులమీదుగా ఆరంభము చేసిరి,
9 ) అసలు రాజ్యాంగ భద్ధముగా, గానీ సుప్రీంకోర్టు ఆదేశాల మేరకు గాని తి.తి.దే నియమాలు మేరకు వారికి ఇటువంటి కమిటీలు చేయటం గాని నిర్ణయాలు తీసుకునే హక్కు గాని లేదు,
10) కాంట్రాక్టు పేర లతో డబ్బులు సంపాదించడానికే ఈ ప్రాజెక్టు,
తి.తి.దే వారి ధ్యేయం కేవలం హనుమతుల వారి పేరు చెప్పుకుని ” కోండపై కోన్ని జీర్ణోద్ధార పనులు అని పేరు పెట్టి సివిల్ కాట్రాంక్ట బిజినెస్ తో డబ్బులు సంపాదించడానికే ఈ నకిలీ తిరుపతి హనుమత్ జన్మభూమి సృష్టించ బడినది,
11) దీనిపై శ్రీ హనుమత్ జన్మభూమి తీర్థ క్షేత్ర ట్రస్ట్ శ్రీ గోవిందానంద సరస్వతీ స్వామి వారే సాక్షత్ భారత దేశం లో ఉన్న, జగద్గురువులు శంకరాచార్యులు, శ్రీ రామానుజ ఆచార్యులు, శ్రీ మధ్వాచార్యులు ఇలా అనేక మంది సనాతన ధర్మ హిందూ ధర్మాచార్యులను స్వతహాగా కలిసి సప్రామాణిక శ్రీ మద్ వాల్మీకి రామాయణం, ఇత్యాది, ఆనందరామాయణం, శ్రీ శివమహాపురాణం, స్ధళ పురాణం ఆచార్యులు పరంపరా, భౌగోళిక ప్రమాణము లతో, ఇతిహాసముల తో, పంపాక్షేత్ర కిష్కింధా అంజనాద్రి యే అసలైన శ్రీ హనుమత్ జన్మభూమి గా, చైత్ర పూర్ణిమ శ్రీ హనుమత్ జయంతి తిథి గా, నిరూపణ చేయుట జరిగినది,
12) తిరుపతి, తి.తి.దే కమిటీ వారు చేప్పేవి నకిలీగా భారత సనాతన హిందూ ధర్మాచార్యులచే, నిరూపణ, నిర్ణయించ బడినవి
13) శ్రీ గోవిందానంద సరస్వతీ స్వామివారి యొక్క వీడియోలు మార్ఫింగ్ చేసి ప్రచారము చేస్తున్న టి.టి.డి మరియు వారి చానల్, మరుయు చైర్మన్, ఈ.ఓ, జే.ఈ.ఓ, కమిటీ లపై క్రిమినల్ కేసు,
14) కొన్ని అంశములు :
“తిరుపతి నకిలీ హనుమత్ జన్మభూమి” పుస్తకం విడుదల,
పుస్తకం లోని విషయములు, ఏవిధముగా ఈ చర్చ అరంభమైనది ?
ఏమి కావిలని, దేని గురించి ఏవిధముగా, తి.తి.దే వారు ఈ చర్చ అరంభిచారు ?
ఏవిధముగా శ్రీ హనుమతుల వారి ఇతిహాసము తిరిగి వ్రాయటము మరియూ తప్పుడు పుస్తకములను ప్రచురణ చేయటం జరిగినది,
ఏవిధముగా, తిరుపతి లో ని పండితులు అధికారులు కు తమ స్వార్ధములకు, పదవులకు అమ్ముడుపోయి ఈ కార్యములొ అధికారులు కు సహకరించినారు,
అసలు తి.తి.దే వారికి ఇటువంటి కమిటీలు వేసే అధికారము గాని నిర్ణయాలుతీసుకునే అధికారము గానీ లేవు, అది చట్టవిరుద్ధం,
ఏరకముగా భారత దేశములో ని సమస్త ఆచార్యులు స్పష్టంగా తిరుపతి ని తిరస్కరించారు,
ఏవిధముగా భారత దేశ ప్రభుత్వము, పార్లమెంటులో కూడా తిరుపతి ని తిరస్కరించారు,
ఈ మెత్తం లో తిరుపతి కమిటీ వారి పరాజయము ఇలా అనేక విషయాలతో కలిసి సప్రామాణిక
ఏరకముగా తిరుపతి, కమిటీ వారు వారు వ్రాసే పుస్తకాలు కు జగద్గురువు లు ను సైతం మోసంచేయటానికి చేసిన ప్రక్రియలో, జగద్గురువు లు ఏ రకముగా తి.తి.దే, కమిటీ వారిని, వారి యొక్క కృతులను జగద్గురువు లు సంపూర్ణముగా తిరస్కరించారు,
ఏరకముగా శ్రీ గోవిందానంద సరస్వతీ స్వామి వారు తి.తి.దే వారి తప్పుడు నివేదిక లను, నకిలీ కమిటీ, నకిలీ సృష్టించి న పుస్తకాలు ను నిరాకరించారు, ఖండించి నారు
15) ఈ తిరుపతి నకిలీ హనుమత్ జన్మభూమి విషయంపై సమగ్ర నివేదిక, పుస్తకం, విడుదల,
16) ప్రామాణిక ” శ్రీ హనుమత్ జన్మభూమి – పంపాక్షేత్ర కిష్కింధా అంజనాద్రి ” స ప్రమాణాలతో పుస్తకము విడుదల…………….
అధీకృత కార్యాలయము,
శ్రీ హనుమత్ జన్మభూమి తీర్థ క్షేత్ర ట్రస్ట్ (రి)
By the Order of His Holiness
,

                                                                                               Office of the Admin & P.S

Sri Hanumad Janma Bhoomi Teertha Kshetra Trust (Reg.135/20),
Sri Pampakshetra Kishkindha Swarnahampi – Bhaktinagara Samrajya, Sri Kishkindha Trust (Reg.136/20),
Office: Kishkindha, Hanuman Halli, Anegondi, Gangavati T.Q, Koppal District, Karnataka – 583234, : 8500411115/8
Reg Office : Ashram: SwarnaHampi (New Hampi), Hospet TQ. Bellary Dist, Karnataka 583239,  : 8762711113/6,
hanumadjanmabhoomitrust@gmail.com,
www.kishkindha.org Sri Hanumad Janmabhoomi Teertha Kshetra Trust @ SHJBTKTrust

https://www.youtube.com/watch?v=MdD4It7jo9E&t=675s
https://www.youtube.com/watch?v=MKVqhQLwKGw&t=43s

तिरुपति (आन्ध्र )

AP.High court


https://www.newindianexpress.com/states/andhra-pradesh/2022/feb/16/dont-build-any-temple-on-anjanadri-andhra-hc-2420073.html
https://timesofindia.indiatimes.com/city/vijayawada/hc-stays-ttds-hanuman-temple-on-anjanadri-hill/articleshow/89602772.cms
तीसरी किताब-2022,

TTD Counter Affidavit in A.P High Court

TTD Counter Affidavit in A.P High Court

तिरुपरि कमेटी, टि.टि.डि ई.ओ अन्ध्र हैकोर्ट मे समर्पिति किया गया अफडिबिट्,

टि.टि.डि वाले येभी कहते है कि श्री राम जी किष्किन्धा से लंका जानेके समय और वहा से सीता माता जी के साथ फिर अयोध्या जाने के समय पुष्पक विमान में तिरुपति आये
यह भी असत्य है ऐसा कही भी उल्लेख नहीं हैं
श्री मद् वाल्मीकि रामायण में स्पष्ट लिखा है कि “श्री राम भगवान् ने किष्किंधा से लंका जाने के मार्ग और लंका से किष्किंधा होते हुए अयोध्या आने वाले मार्ग तक”
यहा संपूर्ण रामायण में तीन काण्ड सुंदर काण्ड /किष्किंधा काण्ड / युद्ध काण्ड मे कही भी ऐसा उल्लेख नहीं है कि श्री राम जी “तिरुपति”/ वेंङ्कटाचल” गये यहा किष्किंधा का ही सब जगह उल्लेख है
वा.रा यु.सर्ग १२५, १२६ ॥ १२५,१२६,१२७
एषा सा दृश्यते सीते ! किष्किंधा चित्र कानना ।
सुग्रीवस्य पुरी रम्यायत्र वाली मया हत: १९
एवम् उत्कोऽथ वैदेह्या: राघव: प्रत्युवाच ताम्।
एवमस्त्विति किष्किंधा प्राप्य संस्थाप्य राघव: ॥
विमानं प्रेक्ष्य सुग्रीवं वाक्यमेतदुवाच ह । २२
एषा सा दृश्यतेऽयोद्या राजधानी पितुर्मम ।
अयोध्यां कुरु वैदेहि ! प्रणामं पुनरागत ॥ ५२
श्री गोविंदानन्द स्वामी जी द्वारा पूछे गए प्रश्नों का उत्तर देने में टि.टि.डि कमेटी पूरी तरह विफल रहे,
अंतिम परिणाम – टि.टि.डि के चैयरमेन ने (19 जून, 2021 )- टीटीडी बोर्ड की बैठक में) खुद गल्लत् की घोषणा की और स्वीकार किया कि वे भविष्य में इस तरह गल्लत् कार्यक्रम, घोषणा, चर्चा, इत्यादि नहीं करेंगे,
भारत मे सनातन वैदिक धर्म आचार्यों ने भी टि.टि.डि कमेटी को निराकरण किया, भारत सरकार ने भी संसद में टि.टि.डि के विचारों को खारिज किया,
अब टि.टि.डि कमेटी के हारने पर
श्री हनुमद जन्मभूमि ट्रस्ट विजय उत्सव मना रहा है, इस संदर्भ में आज
“स्वस्ति श्री प्लव नाम सं आश्वीयुज शुक्ल दशमी ‘15-10-2021’
श्री हनुमद् जन्मभूमि अञ्जनाद्रि पर्व पर पुस्तक विमोचन
स्थल : श्री हनुमान जन्मभूमि किष्किन्धा,
जय विरूपाक्ष – जय श्रीराम – जय हनुमान
हनुमद् जन्मभूमि श्री किष्किंधा हनुमान कि जय हो
तिरुपति कमिटी “मेरु पर्वत” खणनम्,
तमतिक्रम्य शैलेन्द्रं महेन्द्रपरिपालितम् ।
षष्टिं गिरिसहस्राणि काञ्चनानि गमिष्यथ ।। 4.42.34 ।।

तरुणादित्यवर्णानि भ्राजमानानि सर्वतः ।
जातरूपमयैवृक्षैः शोभितानि सुपुष्पितैः ।। 4.42.35 ।।

तेषां मध्ये स्थितो राजा मेरुरुत्तरपर्वतः ।
आदित्येन प्रसन्नेन शैलो दत्तवरः पुरा ।। 4.42.36 ।।
विश्वेदेवाश्च मरुतो वसवश्च दिवौकसः ।
आगम्य पश्चिमां सन्ध्यां मेरुमुत्तरपर्वतम् ।। 4.42.39 ।।

आदिच्यमुपतिष्ठन्ति तैश्च सुर्यो ऽभिपूजितः ।
अदृश्यः सर्वभूतानामस्तं गच्छति पर्वतम् ।। 4.42.40 ।।

योजनानां सहस्राणि दश तानि दिवाकरः ।
मुहूर्तार्धेन तं शीघ्रमभियाति शिलोच्चयम् ।। 4.42.41 ।।

शृङ्गे तस्य महद्दिव्यं भवनं सूर्यसन्निभम् ।
प्रासादगणसम्बाधं विहितं विश्वकर्मणा ।। 4.42.42 ।।

टि.टि.डि कमेटी का निराकरण : हमने टि.टि.डि के शोध सामग्री का विश्लेषण किया जो टि.टि.डि साबित करना चाहता था कि भगवान हनुमान ने तिरुपति में जन्म लिया था लेकिन अंत में निराधार और झूठा निकला, भगवान हनुमान ने तिरुपति में जन्म नहीं लिया

Conclusion
అన్నిరకాలుగా తిరుపతి కమిటీ వారు సంపూర్ణముగా పరాజయమును పొందినారు,
గత ౨ సంవత్సరముల నుండి, నిరంతరముగా తప్పుడు సాక్షాలతో తప్పుడు ( ౩ సార్లు మార్చి ) నివేదికలతో తిరుపతి లో శ్రీ హనుమంతులవారి జన్మస్థలమని నిరూపించటానికి చాలా ప్రయత్నములు చేసారు కానీ సర్వవిధములా పరాజితులైనారు ,
చివ్వరకు ఏమి నిర్ణయము ఐనది అనగా !, అది మేము చెప్పే కంటే టి.టి.డి వారే చెబితే బావుంటుంది,
టి.టి.డి వారి యొక్క అధర్మాన్ని చూసి, వారిని కట్టడి చేయటకు హైకోర్ట్ లో కేసు వేయబడినది,
తిరుపతి కమిటీ వారిని కోర్ట్ మూలకముగా ప్రశ్నించటము జరిగినది,
దానికి ఇంక ఏమి చేయాలో తెలియక చెవ్వరికి కోర్ట్ లో
టి.టి.డి ఏమి చెప్పారో మీరే చూడండి
,
ఇది సాక్షాత్ తిరుపతి ఈ.ఓ ఆంధ్రా హైకోర్ట్ లో సమర్పించిన అధికారిక అఫడవిట్

All india Yatra Started from Tirupati
After TTD losed the debeate then SHJBTKT announced their victory and contiuned the all india Yatra,

After TTD losed the debeate then SHJBTKT announced their victory and contiuned the all india Yatra,

ಶ್ರೀ ಹನುಮದ್ ಜನ್ಮಭೂಮಿ – ಕಿಷ್ಕಿಂಧಾ ಅಂಜನಾದ್ರಿ – ವಿಜಯೋತ್ಸವ
ತಿರುಪತಿ(ಟಿ.ಟಿ.ಡಿ) ಅವರ ಘೋರ ಪರಾಜಯ – ಪಂಪಾಕ್ಷೇತ್ರ ಕಿಷ್ಕಿಂಧಾ ಅವರ ದಿಗ್ವಿಜಯ

ಶ್ರೀ ಹನುಮದ್ ಜನ್ಮಭೂಮಿ ಕಿಷ್ಕಿಂಧಾ ವೈಭವ ಭಕ್ತಿಯಾತ್ರೆ ೨ ತಿಂಗಳು, ೨೪ ಜೂಲೈ ದಿಂದ ೨೦ ಸೆಪ್ಟೆಂಬರ್ ವರೆಗೂ ಸಂಪೂರ್ಣ ಬೆಂಗುಳೂರು ಮಹಾನಗರದಲ್ಲಿ ಕಿಷ್ಕಿಂಧಾ ರಥ ಯಾತ್ರೆ
ಶ್ರೀ ಪಂಪಾಕ್ಷೇತ್ರ – ಕಿಷ್ಕಿಂಧಾ ಜೀರ್ಣೋದ್ಧಾರ ಪುನರ್ವೈಭವ ಮಹಾಕಾರ್ಯ
ಶ್ರೀ ರಾಮದೂತ ಶ್ರೀ ಹನುಮಂತನ ಜನ್ಮಸ್ಥಳ ಪುಣ್ಯಭೂಮಿದಲ್ಲಿ ತುಂಗಭದ್ರಾ ನದೀ, ಪಂಪಾಸರೋವರ ತಟದಲ್ಲಿ ಪವನ ಸುತ, ಅಂಜನಾ ಪುತ್ರ ಶ್ರೀ ಹನುಮಂತನ
215 ಮೀಟರ್ ದಿವ್ಯ ವಿಗ್ರಹ, ಶ್ರೀ ಹನುಮದ್ ಜನ್ಮಭೂಮಿ ಕಿಷ್ಕಿಂಧಾ ಮಂದಿರ ನಿರ್ಮಾಣವು
೩೧ ಕೋಟಿ ವರ್ಷಗಳ ಆಧ್ಯಾತ್ಮಿಕ ಪೌರಾಣಿಕ,ರ್ ಸಾಂಸ್ಕ್ರುತಿಕ, ನಾಗರಿಕತೆಗಳೆಗೆ ಐತಿಹಾಸಿಕ ಮಹಾಸಾಮ್ರಾಜ್ಯಗಳ ಐತಿಹಾಸಿಕ ರಾಜಧಾನಿಯಾಗಿ ಭವ್ಯ ಚರಿತ್ರ ಉಳ್ಳ ಈ ದಿವ್ಯ ಭೂಮಿ ಶ್ರೀ ಪಂಪಾವಿರೂಪಾಕ್ಷ ದೇವರು ನೆಲಿಸಿದಂತಹ ಪುಣ್ಯ ಭೂಮಿ ಪಂಪಾಕ್ಶೇತ್ರವಾಗಿ ಸಪ್ತಋಷಿಗಳ ಸಾನ್ನಿಧ್ಯದಿಂದ, ಸತ್ಯಸಂಧ ನಾದ ಸತ್ಯಹರಿಶ್ಚಂದ್ರನ, ತ್ರೇತಾಯುಗದಲ್ಲಿ ದರ್ಮಮೂರ್ತಿ ಆದ ಶ್ರೀರಾಮಚಂದ್ರ ನಡೆಯಾಡಿ ಧರ್ಮಸಾಮ್ರಾಜ್ಯವನ್ನು ಸ್ಥಾಪಿಸಿದ ಧರ್ಮ ಭೂಮಿಯಾಗಿ, ಶ್ರೀ ಜಾಂಬವಂತ, ಸುಗ್ರೀವ, ಶ್ರೀ ಹನುಮ, ಅಂಗದಾದಿ ಮಹಾಭಾಗವತರ ಜನ್ಮಸ್ಥಲವಾಗಿ ಹೇಮಕೂಟ, ಅಂಜನಾದ್ರಿ, ಋಷ್ಯಮೂಕ, ಮಾತಂಗ, ಗಂಥಮಾದನ ಪರ್ವತಗಳ ಪವಿತ್ರ “ಕಿಷ್ಕಿಂಧಾ ಸಾಮ್ರಾಜ್ಯ” ಭಕ್ತಿಭೂಮಿ ಆಗಿ ದ್ವಾಪರಯುಗದಲ್ಲಿ ಪಂಚಪಾಂಡವರನ್ನು ಪುನೀತಗೊಳಿಸಿದ ಪುಣ್ಯಭೂಮಿ ಆಗಿ ಕಲಿಯುಗದಲ್ಲಿ ಭಗವಾನ್ ವೇದವ್ಯಾಸರ, ಶ್ರೀ ವಿದ್ಯಾರಣ್ಯರ ವಿದ್ಯಾ, ವಿಜಯನಗರ ಸಾಮ್ರಾಜ್ಯ ಆಧ್ಯಾತ್ಮಿಕ ಭೂಮಿ ಆಗಿ , ಶ್ರೀ ಕಷ್ಣದೇವರಾಯರ ಕರ್ಮ ಭೂಮಿಯಾಗಿ ಪ್ರಸಿದ್ಧಿಹೊಂದಿದ ಈ ಪವಿತ್ರಕ್ಷೇತ್ರವು ಪ್ರಸ್ತುತ ಕಲಿಯುಗ ಪ್ರಭಾವದಿಂದ ಕಣ್ಮರೆಯಾಗಿರುವ ಪೂರ್ವವೈಭವವನ್ನು ಭಗವಂತನ ಪ್ರೇರಣಾ, ಸಂಕಲ್ಪಗಳಿಂದ ಭವಬಂಧನಗಳಿಂದ ಮುಕ್ತಿಯನ್ನು ಅನುಗ್ರಹಿಸುವ ಭಗವಂತನೇ ಲಕ್ಷ್ಯವಾಗಿ, ಅದರ ಸಾಧನೆ ಭಕ್ತಿಯಾಗಿ ಮಹಾಭಾಗವತರ ನಡೆದಿರುವ ದಾರಿಯಲ್ಲಿ ಸಮಸ್ಥ ಭಗವದ್ಭಕ್ತರಗಾಗಿ ಭಗವಂತನೆಯಿಂದ ನಿರ್ಮಿತವಾಗಿ ತನ್ನ ೩೧ ಕೋಟಿ ವರ್ಷಗಳ ಪೂರ್ವ ವೈಭವವನ್ನು ಮತ್ತೆ ಹಿಂತರಲು ಈ ೩೧ ಕೋಟಿ ಸಂ|| ಪಂಪಾಕ್ಷೇತ್ರ ೧೭ ಸಂ|| ಕಿಷ್ಕಿಂಧಾ ಸಾಮ್ರಾಜ್ಯ ೬೦೦ ಸಂ|| ವಿದ್ಯಾ, ವಿಜಯನಗರ ಸಾಮ್ರಾಜ್ಯ ರಾಜಧಾನಿ ಆದಈ ಪಾವನ ಪುಣ್ಯ ಭೂಮಿ ಯ ಜೀರ್ಣ್ಣೊದ್ಧಾರ ಕಾರ್ಯಕ್ರಮವು ಆ ಪರಮಾತ್ಮನ ಪ್ರೇರಣೆಯಿಂದ ಜಗದ್ಗುರುಗಳವರ ಆಶೀರ್ವಾದದಿಂದ ಪರಮಪೂಜ್ಯ ಶ್ರೀ ಗೋವಿಂದಾನಂದ ಸರಸ್ವತೀ ಸ್ವಾಮಿಗಳವರ ಮಾರ್ಗದರ್ಶನದಲ್ಲಿ ೧೫ ಸಂ ಹಿಂದೆ ಆರಂಭವಾಗಿ ಶ್ರೀ ಪಂಪಾಕ್ಷೇತ್ರ – ಕಿಷ್ಕಿಂಧಾ ಜೀರ್ಣೋದ್ಧಾರ ಪುನರ್ವೈಭವ ಮಹಾಕಾರ್ಯ ತ್ರೇತಾಯುಗದಲ್ಲಿ ಯಾವಧರ್ಮ ಮೂರ್ತಿ ಧರ್ಮ ಸ್ಥಾಪನೆಕ್ಕಾಗಿ ಅಯೋಧ್ಯೆಯಿಂದ ಕಿಷ್ಕಿಂದೆ ಗೆ ಬಂದು ಜಾಂಬವಂತ, ವಾಲಿ,ಸುಗ್ರೀವ, ಹನುಮಂತ, ಅಂಗದ ಶಬರೀ ಇತ್ಯಾದಿ ಮಹಾಭಾಗವತರನ್ನು ಉದ್ದರಿಸಿ ಅವರ ಪ್ರಿಯವಾದ ಶ್ರೀ ಹನುಮಂತರನ್ನು ಚಿರಂಜೀವಿ ಯಾಗಿ, ಭವಿಷ್ಯದ್ ಬ್ರಹ್ಮ ಯಾಗಿ ಅನುಗ್ರಹಿಸಿದ ಶ್ರೀ ರಾಮದೂತನಾದ ಶ್ರೀ ಹನುಮಂತನ ಜನ್ಮಸ್ಥಳವಾದ ಈ ಪುಣ್ಯಭೂಮಿದಲ್ಲಿ ತುಂಗಭದ್ರಾ ನದೀ, ಪಂಪಾಸರೋವರ ತಟದಲ್ಲಿ ಪವನ ಸುತ, ಅಂಜನಾ ಪುತ್ರ ಶ್ರೀ ಹನುಮಂತನ 215 ಮೀ ಭಕ್ತಿ ವೈಭವ ವಿಗ್ರಹ ನಿರ್ಮಾಣವು ಭವಿಷ್ಯದ್ ಬ್ರಹ್ಮಗೆ ಭಗವಂತನ ಸ್ಫುರಣೆಯಿಂದ ಭಾಗವತ ಭಕ್ತಾದಿಗಳ ಭಕ್ತಿದಿಂದ ಅರ್ಪಿಸುವ ಭಕ್ತಿ ಪುಷ್ಪಾಂಜಲಿ ತದಂಗ ಸಂಪೂರ್ಣ್ ಭಾರತ ೧೨ ವರ್ಷ, ನಮ್ಮ ಬೆಂಗುಳೂರು ಮಹನಗರದಲ್ಲಿ ೨ ತಿಂಗಳು, ಕಿಷ್ಕಿಂಧಾ ರಥ ಯಾತ್ರೆ

శ్రీ హనుమద్ జన్మభూమి తీర్థక్షేత్ర ట్రస్ట్ (రి) పంపాక్షేత్రము – కిషింధా
( శ్రీ ప్లవనామ సం.ఆశ్వీయుజ దశమీ విజయదశమి – 15, అక్టోబర్ 2012 )
12 సంవత్సరముల శ్రీ హనుమద్ జన్మభూమి కిష్కింధా రథ యాత్ర లో
మొదటి సంవత్సరము ముఖ్య విషయములు, నివేదిక

  1. శ్రీ హనుమద్ జన్మభూమి కిష్కింధ లో నిర్మించబోవు హనుమద జన్మభూమి మందిరము నకు విజయదశమి పర్వదినమున నన్దా, భద్రా, జయా రిక్తా శిలలకు పంపాక్షేత్ర కిష్కింధా స్వర్ణహంపి యందు శోభాయాత్ర, మరియూ శిలాన్యాసము కార్యము సంపన్నము
    (11 -03-2021)
  2. అయోధ్య లో శ్రీ హనుమద్ జన్మభూమి తీర్థక్షేత్ర ట్రస్ట్ కార్యాలయము ఉధ్ఘాటన,
  3. హరిద్వార్ లో మహాకుంభములో శ్రీ హనుమద్ జన్మభూమి కిష్కింధ రథము ఉద్ఘాటన, శోభాయాత్ర,
  4. అయోధ్య లో శ్రీ హనుమద్ జన్మభూమి కిష్కింధ రథానికి విశేష పూజ ఉత్సవ మూర్తులకు శ్రీరామనవమి రోజున శ్రీ రామ జన్మభూమి ప్రథాన అర్చకులచే చర ప్రతిష్ఠ, అయోధ్య లొ కిష్కింధా తరపున శ్రీ రామనవమి మహోత్సవము ఆచరణ,
    శ్రీ రామజన్మభూమి లో గర్భ గృహమునందు విరాజమైన శ్రీరామ, భరత,లక్ష్మణ,శతృజ్ఞులకు రజత యజ్ఙోపవీతములు, శ్రీ బాలరాములవారికి రజత ధనుష్యు సమర్పణము,
  5. అయోధ్య నుండి కిష్కింధ కు అయోధ్యా శ్రీరాముల వారి పాదుకలు శ్రీ హనుమద్ జన్మభూమి కిష్కింధా అంజనాద్రి పై గర్భగృహము లో మహ శివరాత్రి పర్వదినములో ప్రతిష్ఠ,
  6. పంపాక్షేత్రము లో హనుమద్ జన్మభూమి శ్రీ కిష్కింధా రథము ఉద్ఘాటన,
  7. శ్రీ హనుమద్ జన్మభూమి విషయములో తిరుపతి వారు చేస్తున్న అవైదిక కార్యక్రములను ఖండిస్తూ పత్రము
  8. శ్రీ గోవిందానంద సరస్వతీ స్వామివారిచే తిరుపతి కమిటీ కి సవాలు, ఖండనా పత్రము, మరియు తిరుపతిలో శాస్త్ర సభా తిరుపతి కమిటీ పండితులతో ఈ విషయముపై చర్చ
  9. శ్రీ హనుమద్ జన్మభూమి విషయములో తిరుపతి కమిటీ వారి ఘోర పరాజయము కిష్కింధా వారి విజయము, హనుమద్ జన్మభూమి ట్రస్ట్ సప్రమాణములుతో రెండుసార్లు తిరుపతి యందే ప్రెస్ మీట్,
  10. వివిధ శ్రీ జగద్గురు శంకరాచార్య, శ్రీ రామానుజ, శ్రీ మధ్వ పరంపరా ఆచార్యుల సాన్నిధ్యం లో శాస్త్ర పరిషత్ లో హనుమద్ జన్మభూమి ట్రస్ట్ ప్రతిపాదన త్రిమతస్థ ఆచార్యులు ఏక ముక్త కంఠముతో పంపాక్షేత్ర కిష్కింధా అంజనాద్రి పర్వతమే శ్రీ హనుమంతుని జన్మస్థలమని నిర్ధారణ,
  11. రెండు రాష్ట్రములలోని, భారత దేశములోని మరియూ సమస్త భక్తులను తప్పుదారి పట్టిస్తూ శ్రీ హనుమంతులవారి భవ్య చరిత్రను వక్రీకరించిన టి.టి.డి వారిపై వారి నివేదికలపై కేంద్రము, వివిధ యంత్రాంగములు టి.టి.డి వారి వైఖరిని సంపూర్ణముగా ఖండన నిరాకరణ,
  12. చివ్వరకు ఈ విషయము రెండు రాష్ట్రముల మధ్య అనవసర గోడవలకు దారితీస్తూ పరిణామములు
  13. భారత పార్లమెంట్ లో కూడా దీనిపై చర్చ అంధ్ర ప్రభుత్వము మరియూ టి.టి.డి కమిటీ ని వారి నివేదికలను, సంపూర్ణాముగా తిరస్కరించిన భారత ప్రభుత్వము మరియూ భారత సాంస్కృతిక శాఖ
    ( 02.08.2021)
  14. నిరంతర ఓటములతో చివ్వరకు అనేక దుష్పరిణామములకు దారి తీస్తున్న టి.టి.డి వారి అజ్ఞానపు చర్యలతో

చివ్వరకు వారు చేసిన తప్పును తెలుసుకుని “ఇకముందర ఇటువంటి కార్యములు” కార్యములు అనవసరపు గందరగోళాలు సృష్టించుట, అనవసరపు నివేదికలు ఇచ్చుట ఇటువంటి కార్యక్రమములు చేయబోమని తప్పు ఒప్పుకునుట, ( ఇప్పటివరకూ అసలు హంపి కి హనుమంతులవారి సంబంధమే లేదనే వారు అనేక మాటలు మార్చి) చివ్వరకి మేము అనుకుంటుంన్నాము తిరుపతిలో పుట్టేడు అని దిని పై విశ్వాసము ఉన్న వాళ్ళు ఇక్కడికి రావచ్చ అనే స్థితి కి రావలసి వచ్చినది..ఇది కూడా ఇంకొక నాటకము ఇక్కడ వీరు చేప్పేది ఇది కూడా తప్పే ఒక సంస్థకి చైర్మెన్ గా ఉంటూ ఇలా అభిప్రాయాలు చేప్పడానికి అధికారము లేదు ఒక ఒకవేళ అభిప్రాయము చెప్పాలంటే చైర్మెన్ పదవికి రాజినామా చేసి బయటకి వెళ్ళి చెప్పాలి అప్పుడుకూడా కాదు ఎందుకంటే అది ఒక “వ్యక్తి అభిప్రాయమే” అభిప్రాయాలు సత్యాలు కావు ! ఇక్కడ చైర్మెన్ గా ఉంటూ నా అభిప్రాయము చెబుతానంటే కుదరదు, సత్యము అని నిర్థారించిన తరువాత మాత్రమే అది కూడా ధర్మా చార్యుల నుండి అమోదనము పొండిన వాటి నుండి మాత్రమే, వీరు చెప్పచుగానీ ఈ రకముగా వీరి సొంత అభిప్రాయాలు చెప్పటానికి గాని ఇటువంటి అనావశ్యక కార్యములు చేయుట కు కానీ వీరికి అధికారము లేదు కనుక ఈ రకముగా వారు చేసిన తప్పును ఒక్కసారే ఒప్పుకోవటనికి అభిమానముతో ఇలా ఇంకొక భూటకము చివ్వరకి తమ తప్పును తెలుసుకొని ఇటువంటి కార్యములను ఇక ముందర చేయబోమని ఓటమిని అంగీకరించుట,

  1. టి.టి.డి కమిటీ పరాజయము, కిష్కింధా దిగ్విజయము న కర్నాటకా లో కిష్కింధా విజయోత్సవములు ఆచరణ
    ( రెండునెలలు – బెంరుళూర్ లో )
  2. శ్రీ శ్రీ పరమహంస పరివ్రాజక గోవిందానంద సరస్వతీ స్వామివారిచే శ్రీ హనుమద్ జన్మభూమి పంపాక్షేత్ర కిష్కింధా అంజనాద్రి – కర్నాటక పుస్తకము ఉద్ఘాటన, ( ప్లవ. విజయదశమి 5102021 ) శ్రీ హనుమద్ జన్మభూమి తీర్థక్షేత్ర ట్రస్ట్ (రి) అధికార ప్రతినిధి ముఖ్య కార్యాలయము,
    Sri Pampakshetra Kishkindha Swarnahampi – Bhaktinagara Samrajya,
    Sri Hanumad Janmabhoomi Teertha Kshetra Trust ®
    Office: Kishkindha, Sri Hanumad Janmabhoomi , Anegondi, Gangavati T.Q, Koppal District, Karnataka – 583234, : 8500411118/5
    Ashram: SwarnaHampi (New Hampi), Hospet TQ. Bellary Dist, Karnataka 583239,  : 8762711113/6,
    hanumadjanmabhoomitrust@gmail.com,
    www.kishkindha.org Sri Hanumad Janmabhoomi Teertha Kshetra Trust @ SHJBTKTrust ಪಂಪಾಕ್ಷೇತ್ರ – ಕಿಷ್ಕಿಂಧಾ – ಕರ್ನಾಟಕ.
    ( ಶ್ರೀ ಪ್ಲವನಾಮ ಸಂ. ಆಶ್ವೀಯುಜ ದಶಮೀ – ವಿಜಯದಶಮೀ – 15, ಅಕ್ಟೋಬರ್ 2012 )
    ೧೨ ವರ್ಷಗಳ ಶ್ರೀ ಹನುಮದ್ ಜನ್ಮಭೂಮಿ ಕಿಷ್ಕಿಂಧಾ ರಥ ಯಾತ್ರೆ ಅಂಗಭಾಗವಾಗಿ
    ಮೊದಲೆನೇಯ ವರ್ಷದಲ್ಲಿ ನಡಿದ ಮುಖ್ಯ ಘಟನೆಗಳು, ಕಾರ್ಯಗಳು – ನಿವೇದಿಕೆ
  3. ಶ್ರೀ ಹನುಮದ್ ಜನ್ಮಭೂಮಿ ಕಿಷ್ಕಿಂಧ ಯಲ್ಲಿ ನಿರ್ಮಾಣಮಾಡಲಿರುವ ಹನುಮದ್ ಜನ್ಮಭೂಮಿ ಮಂದಿರಕ್ಕೆ ವಿಜಯದಶಮಿ ಪರ್ವದಿನದಲ್ಲಿ ನನ್ದಾ, ಭದ್ರಾ, ಜಯಾ, ರಿಕ್ತಾ ಶಿಲಗಳೆಗೆ ಪಂಪಾಕ್ಷೇತ್ರ ಕಿಷ್ಕಿಂಧಾ ಸ್ವರ್ಣಹಂಪಿ ಯಲ್ಲಿ ಶೋಭಾಯಾತ್ರೇ ಮತ್ತು ಶಿಲಾನ್ಯಾಸ ಕಾರ್ಯಕ್ರಮ ಸಂಪನ್ನ ಗೊಂಡಿದೆ,
  4. Sri Hanumad Janmabhoomi Kishkindha Ratha Yatra from Pampakshetra ,
    15-03-2021
      1. ಅಯೋಧ್ಯೆ ಯಲ್ಲಿ ಶ್ರೀ ಹನುಮದ್ ಜನ್ಮಭೂಮಿ ತೀರ್ಥ ಕ್ಷೇತ್ರ ಟ್ರಸ್ಟ್ ಕಾರ್ಯಾಲಯ ಉದ್ಘಾಟನೆ,

      Sri Hanumad Janmabhoomi Branch Office in Ayodhya
      Sri Sita Raja Mahala

      1. ಹರಿದ್ವಾರ್ ಮಹಾ ಕುಂಭದಲ್ಲಿ ಶ್ರೀ ಕಿಷ್ಕಿಂಧಾ ರಥ ಉದ್ಘಾಟನೆ, ಶೋಭಾಯಾತ್ರೆ,
      2. ಅಯೋಧ್ಯೆ ಯಲ್ಲಿ ಶ್ರೀ ಕಿಷ್ಕಿಂಧಾ ರಥಕ್ಕೆ ವಿಶೇಷ ಪೂಜೆ, ಉತ್ಸವ ಮೂರ್ತಿಗಳೆಗೆ ಶ್ರೀರಾಮನವಮಿ ದಿವಸ ಶ್ರೀ ರಾಮಜನ್ಮಭೂಮಿ ಪ್ರಥಾನ ಅರ್ಚಕರ ದಿಂದ ಚರ ಪ್ರತಿಷ್ಠೆ
        ಅಯೋಧೆ ಯಲ್ಲಿ ಕಿಷ್ಕಿಂಧಾ ಪರವಾಗಿ ಶ್ರೀ ರಾಮ ನವಮಿ ಮಹೋತ್ಸವ ಆಚರಣೆ ಶ್ರೀ ರಾಮ ಜನ್ಮಭೂಮಿ ಯಲ್ಲಿ ವಿರಾಜಮಾನರಾದ ಬಾಲ ಶ್ರೀ ರಾಮ, ಭರತ, ಲಕ್ಷ್ಮಣ,ಶತ್ರುಜ್ಙ್ನ ರಗೆ ರಜತ ಯಜ್ಞೋಪ ವೀತ, ಶ್ರೀ ರಾಮದೇವರೆಗೆ ರಜತ ಧನುಷ್ ಕಿಷ್ಕಿಂಧಾ ಹನುಮಂತ ದೇವರ ಪರವಾಗಿ ಸಮರ್ಪಣೆ, ( 21st Aprl 2021 )
      3. ಅಯೋಧ್ಯೆ ಯಿಂದ ಕಿಷ್ಕಿಂಧ ಗೆ ಶ್ರೀ ರಾಮ ದೇವರ ಪಾದುಕೆಗಳು ಶ್ರೀ ಹನುಮದ್ ಜನ್ಮಭೂಮಿ ಕಿಷ್ಕಿಂಧಾ ಅಂಜನಾದ್ರಿ ಮೇಲೆ ಗರ್ಭ ಗ್ರುಹದಲ್ಲಿ ಮಹಾ ಶಿವರಾತ್ರಿ ಪರ್ವದಿನದಲ್ಲಿ ಪ್ರತಿಷ್ಠೆ,
        1. ಪಂಪಾಕ್ಷೇತ್ರದಲ್ಲಿ ಶ್ರೀ ಹನುಮದ್ ಜನ್ಮಭೂಮಿ ಶ್ರೀ ಕಿಷ್ಕಿಂಧಾ ರಥ ಉದ್ಘಾಟನೆ,
      4. ಶ್ರೀ ಹನುಮದ್ ಜನ್ಮಭೂಮಿ ವಿಷಯದಲ್ಲಿ ತಿರುಪತಿ ಅವರು ಮಾಡುತ್ತಿರುವಾವೈದಿಕ ಕಾರ್ಯಕ್ರಮಗಳನ್ನುಖಂಡಿಸುತ್ತಾ ತಿರುಪತಿ kamiti ge ಪತ್ರ, ( 02 – May 2021 )
      5. Sri Hanumad Jayanti Chaitra Poornima 27th Sri Hanumad Jayanti in Anjanadri Kishkindha Parvata – pampasarover
      6. ಶ್ರೀ ಶ್ರೀ ಪರಮಹಂಸ ಪರಿವ್ರಾಜಕ ಗೋವಿಂದಾನಂದ ಸರಸ್ವತೀ ಸ್ವಾಮಿಗಳವರಿಂದ ತಿರುಪತಿ ಕಮಿಟೀಗೆ ಸವಾಲ್ , ಖಂಡನಾ ಪತ್ರ, ಮತ್ತು ತಿರುಪತಿದಲ್ಲಿ ಶಾಸ್ತ್ರ ಸಭಾ ಟಿ.ಟಿ.ಡಿ ಪಂಡಿತರ ಜೊತೆ ಈ ವಿಷಯವಾಗಿ ಶಾಸ್ತ್ರ ವಿದ್ವಾಂಸರ ಜೊತೆ ಚರ್ಚೆ, ( 26-05-2021)
      7. 14-05-2021ಅಕ್ಷಯ ತೃತಿಯ ದಂದು ಜರಗಿತು, ರಥಶಿಲ್ಪಿ ಶ್ರೀ ರಾಜಗೋಪಾಲ ಆಚಾರ್ಯ ನೇತ್ರತ್ವದಲ್ಲಿ ಜರಗಿತು ಇದಕ್ಕೆ “ಅಯೋಧ್ಯೆ ಶ್ರೀ ರಾಮ ರಥ” ಎಂದು ನಾಮಕರಣ ಮಾಡಲಾಯಿತು,
      8. ಶ್ರೀ ಹನುಮದ್ ಜನ್ಮಭೂಮಿ ವಿಷಯದಲ್ಲಿ ತಿರುಪತಿ ಕಮಿಟೀ ಅವರ ಘೋರ ಪರಾಜಯ ಮತ್ತು ಕಿಷ್ಕಿಂಧೆ ಯ ವಿಜಯ, ಶ್ರೀ ಹನುಮದ್ ಜನ್ಮಭೂಮಿ ಟ್ರಸ್ಟ್ ಸ ಪ್ರಮಾಣಗಳಿಂದ ಎರಡು ಸಾರಿ ತಿರುಪತಿಯಲ್ಲೇ ಪ್ರೆಸ್ ಮೀಟ್, 27th May 2021
      9. ಶ್ರೀ ಜಗದ್ಗುರು ಶಂಕರಾಚಾರ್ಯ, ಶ್ರೀ ರಾಮಾನುಜ, ಶ್ರೀ ಮಧ್ವ, ಪರಂಪರಾಗತ ಆಚಾರ್ಯರ ಸಾನ್ನಿಧ್ಯದಲ್ಲಿ ಶಾಸ್ತ್ರ ಪರಿಷತ್ ದಲ್ಲಿ ಹನುಮದ್ ಜನ್ಮಭೂಮಿ ಟ್ರಸ್ಟ್ ಪ್ರತಿಪಾದನೆಗೆ ತ್ರಿಮತಸ್ಥ ಆಚಾರ್ಯರು ಏಕ ಮುಕ್ತ ಕಂಠ ದಿಂದ ಪಂಪಾಕ್ಷೇತ್ರ ಕಿಷ್ಕಿಂಧ ಅಂಜನಾದ್ರಿ ಪರ್ವತವೇ ಶ್ರೀ ಹನುಮಂತ ದೇವರ ಜನ್ಮ ಸ್ಥಳ ಅಂತ ನಿರ್ಧಾರಣೆ, 12-08-2021
      10. ಓಪನ್ ಚಾಲೆಂಜ್ TTD ಅವರ ಈ ಪುಸ್ತಕದ ಪ್ರಕಾರ, ಶ್ರೀ ಹನುಮಾನ್ ತಿರುಪತಿಯಲ್ಲಿ ಜನಿಸಿದರು, TTD ಅವರ ಈ ಪುಸ್ತಕದ ವಿಷಯಗಳು ನಿಜವೆಂದು ಸಾಬೀತು ಪಡಿಸುವವರಿಗೆ .1,00,000/- ಒಂದು ಲಕ್ಷ ರೂಪಾಯಿ ಬಹುಮಾನ, ಸಾರ್ವಜನಿಕ ಪ್ರಕಟಣೆ (07-08-2021)
      11. 30, 31 -07-2021, webneer khandanam
      12. ಎರಡು ರಾಷ್ಟ್ರಗಳಲ್ಲಿ ಭಾರತ ದೇಶದಲ್ಲಿ ಮತ್ತು ಇನ್ನಿತರ ಸಮಸ್ತ ಭಕ್ತರನ್ನು ತಪ್ಪು ದಾರಿ ಪಟ್ಟಿಸುವ ಮತ್ತು ಶ್ರೀ ಹನುಮಂತ ದೇವರ ಭವ್ಯ ಚರಿತ್ರೇ ಯನ್ನು ಅನಾವಶ್ಯಕವಾಗಿ ವಕ್ರೀಕರಿಸಿದ ಟಿ.ಟಿ.ಡಿ ಅವರ ನಿವೇದಿಕಗಳನ್ನು ಭಾರತ ಸರಕಾರ ಸಾಂಸ್ಕ್ರುತಿಕ ಶಾಖೇ ನಿರಾಕರಣೆ,
      13. ಕೊನೆಗೂ ಎರಡು ರಾಷ್ಟ್ರಗಳ ನಡುವೆ ಅನಾವಶ್ಯಕ ವಾದ ಗೊಂದೆಲೆಗಳು, ದುಷ್ಪರಿಣಾಮಗಳು ಸ್ರುಷ್ಠಿ,
      14. ಭಾರತ ಪಾರ್ಲಮೆಂಟ್ ದಲ್ಲಿಯೂ ಸಹಾ ಈ ವಿಷಯವಾಗಿ ಚರ್ಚೇ ಆಂಧ್ರ ಪ್ರಭುತ್ವದ ಮತ್ತು ಟಿ.ಟಿ.ಡಿ ಕಮಿಟೀ ನನ್ನು ಅವರ ನಿವೇದಿಕೆಗಳನ್ನು ಸಂಪೂರ್ಣವಾಗಿ ತಿರಸ್ಕರಿಸಿದ ಭಾರತ ಸರಕಾರ, ಅಧಿ ಕ್ರು ತ ಪತ್ರ ಜಾರಿ, ( Govt of India Min of Culture Lok Sabha U.Q.No Dt. 02.08.2021)
      15. ಟಿ.ಟಿ.ಡಿ ಅವರ ಅನೇಕ ಅಜ್ಙ್ಜಾ ನದ ಕಾರ್ಯಗಳಿಂದ ಕೊನೆಗೂ ಟಿ.ಟಿ.ಡಿ ಚೈರ್ಮೆನ್ ಟಿ.ಟಿ.ಡಿ ಸಭಾಮುಖವಾಗಿ ಇಂತಹ ಕೆಲಸಗಳಿ ಇನ್ನುಮೇಲೆ ನಾವು ಮಾದುವದಿಲ್ಲ ಅಂತ ತಪ್ಪು ಒಪ್ಪಿಗೆ
      16. ಟಿ.ಟಿ.ಡಿ ಕಮಿಟೀ ಅವರ ಪರಾಜಯ ಕಿಷ್ಕಿಂಧಾ ದಿಗ್ವಿಜಯ ಕರ್ನಾಟಕದಲ್ಲಿ ಆಚರಣೆ, ( 24 ಜೂಲೈ ದಿಂದ 20 ಸೆಪ್ಟೆಂಬರ್ 2021)
      17. ನಮ್ಮ ಕರ್ನಾಟಕದಲ್ಲಿ ಪಂಪಾಕ್ಷೇತ್ರ ಕಿಷ್ಕಿಂಧ ಶ್ರೀ ಹನುಮದ್ ಜನ್ಮಭೂಮಿ ದಲ್ಲಿ ನಿರ್ಮಾಣ ವಾಗಲಿರುವ ಶ್ರೀ ಹನುಮದ್ ಜನ್ಮಭೂಮಿ ದೇವಸ್ಥಾನ , ೨೧೫ ಮೀ “ಭಕ್ತಿವೈಭವ ವಿಗ್ರಹ” ಬಗ್ಗೆ ಕರ್ನಾಟಕ ರಾಜ್ಯಪಾಲರ ಜೊತೆ ಚರ್ಚೆ, 06-Sept-2021
      18. ಪೂಜ್ಯ ಶ್ರೀ ಗೋವಿಂದಾನಂದ ಸರಸ್ವತೀ ಸ್ವಾಮಿಗಳಾವರಿಂಡ “ಶ್ರೀ ಹನುಮದ್ ಜನ್ಮಭೂಮಿ ಪಂಪಾಕ್ಷೇತ್ರ ಕಿಷ್ಕಿಂಧಾ – ಅಂಜನಾದ್ರಿ” , ಕರ್ನಾಟಕ ಪುಸ್ತಕ ಉದ್ಘಾಟನೆ, ( ವಿಜಯದಶಮಿ ೧೫-೧೦-೨೦೨೧)
      19. ವಿಜಯದಶಮಿ ಪರ್ವದಿನ ಪಂಪಾಕ್ಷೇತ್ರದಲ್ಲಿ ವಿಜಯದಶಮಿ ಆಚರಣೆ ಪೂರ್ವಭಾವಿ ಕಾರ್ಯಕ್ರಮದ ಅನುಸಾರವಾಗಿ ಯಾಥಾವತ್ತಾಗಿ ಕಿಷ್ಕಿಂಧಾ ರಥ ಯಾತ್ರೆ
        ಶ್ರಿ ಹನುಮದ್ ಜನ್ಮಭೂಮಿ ತೀರ್ಥ ಕ್ಷೇತ್ರ ಟ್ರಸ್ಟ್ (ರಿ) ಅಧಿಕಾರ ಪ್ರತಿನಿಧಿ – ಮುಖ್ಯ ಕಾರ್ಯಾಲಯ Sri Pampakshetra Kishkindha Swarnahampi – Bhaktinagara Samrajya,

      Office: Kishkindha, Sri Hanumad Janmabhoomi , Anegondi, Gangavati T.Q, Koppal District, Karnataka – 583234, : 8500411118/5
      Ashram: SwarnaHampi (New Hampi), Hospet TQ. Bellary Dist, Karnataka 583239,  : 8762711113/6,
      hanumadjanmabhoomitrust@gmail.com,
      www.kishkindha.org Sri Hanumad Janmabhoomi Teertha Kshetra Trust @ SHJBTKTrust

      Marphing video from ttd, ttd commitee,
      https://www.youtube.com/watch?v=uEhFOEyEAOY
      SVBC TTD
      @svbcttdofficial
      https://www.facebook.com/svbcttdofficial/posts/2924431227877874
      Sri govindananda saraswati swamiji totally condemed ttd’s view and fake books which claims hanuman took birth in tirupati and rejected so called fake ttd commitee
      when the ttd commitee cheated sri swamiji @ National Sanskrit University
      immedeately sri swamiji came out and conducted press meet next day also sri swamiji conducted open press meet in Tirupati press club for 4 hrs
      https://www.youtube.com/watch?v=F7KTM-CySXs&t=11s
      https://www.youtube.com/watch?v=eb3q–Earhk
      https://www.youtube.com/watch?v=KMlsT2772aU&t=11s https://www.youtube.com/watch?v=JqKRR16w6fE&t=13139s
      https://www.youtube.com/watch?v=BQ_bUgLO5O0
      https://www.youtube.com/watch?v=UMaJqf8E6YM https://www.youtube.com/watch?v=_Pv7ePU27rE&t=3031s https://www.youtube.com/watch?v=MdD4It7jo9E
      https://www.youtube.com/watch?v=rEprl04GWY0&t=11s
      https://www.youtube.com/watch?v=-i6ZooGV5iA&t=300s https://www.youtube.com/watch?v=8GIfQAei75Y
      https://www.youtube.com/watch?v=sjkM2IUJdno
      Hence through this letter I request you initiate appropriate action against the said persons in accordance with law.

      . मुनीरथनम रेड्डी निदेशक ए.एस.आई. एपिग्राफी द्वारा मैसूर से एपिग्रॉफी विभाग का पत्र दस्तावेज़

      भारत सरकार के पुरालेख विभाग ने स्पष्ट रूप से घोषणा की कि ऐसा कोई सबूत नहीं है जो तिरुपति में हनुमान के जन्म को साबित कर सके, अब तक हमें ऐसा कोई सबूत / शिलालेख नहीं मिला है जो यह साबित कर सके कि तिरुपति भगवान हनुमान का जन्मस्थान है

      बैंगलोर पेजावर मठ में श्री पूर्णप्रज्ञा विद्यापीठ शास्त्र चर्चा विद्वानों के साथ

      श्री गोविंदानंद सरस्वती स्वामीजी ने श्रीमद वाल्मीकि रामायण के अनुसार सत्य की स्थापना की, भगवान हनुमान ने किष्किंधा में जन्म लिया था https://www.youtube.com/watch?v=3Py3lZgkaHU&t=222s

      किष्किंधा में पुस्तक का विमोचनM

      Meeting with Endowment Minister, M.P Koppal , M.L.A Gangavati eniminet scholors form different colleges

      किष्किंधा के विकास को लेकर कर्नाटक के राज्यपाल श्री थावरचंद गहलोत से चर्चा
      बी बोम्मई सीएम कर्नाटक के साथ चर्चा, श्री हनुमद जन्मभूमि-किष्किंधा से संबंधित महत्वपूर्ण दस्तावेज सौंपे गए – 29 जनवरी 2022 बंगलौर में , 215 मीटर भक्ति की मूर्ति परियोजना के बारे में समझाया ,
      Karnataka scholars point to inscriptions, paintings to prove Hanuman was born in Kishkinda, The TTD claims that Lord Hanuman was born in Tirumala. The Board’s plans to construct a temple has been stayed by the High Court.
      महाराष्ट्र के नासिक में अंजनेरी, गुजरात के नवसारी में अंजन हिल और झारखंड में अंजन गांव शामिल हैं।, जल्द ही हमारे अखिल भारतीय “श्री हनमद जन्मभूमि श्री किष्किंधा हनुमान – राम भक्ति वैभव यात्रा” होगी।
      After Karnataka Chief Minister Basavaraj Bommai announced Rs 100 crore for the development of Anjanadri Hills in Gangavati taluk of Koppal district, which is believed to be the birthplace of Lord Hanuman, the district administration is preparing a masterplan to develop it as a world-class pilgrimage site. This development comes after Tirumala Tirupati Devasthanams (TTD) announced a mega project claiming that Hanuman was born on Tirumala Hills. However, the TTD project has been stayed by the Andhra Pradesh High Court.
      The discussion on the birthplace of Lord Anjaneya began after the Supreme Court settled the long-standing Ayodhya issue in 2019. In December 2020, TTD had formed a committee led by experts to study in detail about the evidence that Anjanadri was the birthplace of Hanuman. The then Vice-Chancellor of the National Sanskrit University V Muralidhara Sharma, who was also the member of the TTD committee to conduct study on the birthplace of Hanuman, had concluded that the monkey god was born in Tirumala.
      “After four months of extensive research, it has been established, based on puranic anthologies, literary and epigraphic evidence and geographic details that Venkatachalam is also known as Anjanadri and 19 other names and Hanuman was born on Anjanadri in Treta Yuga,” Sharma had told media persons in April 2021. Based on these findings, the TTD had planned a mega project for the development of the area. However, the TTD’s claims were challenged in the High Court and the court ordered a stay on the project, a day before the ground breaking ceremony of the project was scheduled on February 15 this year.
      Govindananda Saraswati Swamiji of Pampa Kshetra, Hampi and the founder of Hanumad Janmabhoomi Teertha Kshetra Trust, who is fighting legally with the TTD said, “TTD failed to prove their case in the court.”
      “We had approached the High Court against the so-called mega project at the alleged birth place of Lord Hanuman in Tirumala. With several fake documents, they tried to go ahead with their plans. The court gave a stay order on any construction on the hills. They were caught red-handed in the court,” Govindananda seer told News9.
      Karnataka has denied the claims of TTD and maintained that the Anjaneya was born in Kishkinda region, which is currently the Hampi and Anegundi areas. Speaking on the issue, Muzrai Minister Shashikala Jolle said, “TTD can’t alter myths. The Ramayana clearly mentions the Anjanadri Hill in Kishkinda region as the birthplace of Hanuman.
      ” According to the historians in the region, Anegundi was the centre of Vijayanagara empire before Hampi was chosen as its capital. Hampi is believed to be the place where Lord Ram, who came in search of Sita, met Hanuman for the first time. Dr Sharanabasappa Kolkar, a noted historian says, “There is no dispute about the birthplace of Hanuman and he was born in Kishkinda, the current day Hampi.”
      “Anjanadri is the original birthplace of Hanuman. We have documents, including Ramayana written by Valmiki. It is clearly mentioned that Hanuman was born in Kishkinda, which is now known as Hampi, Anegundi and surrounding areas. In Ramayana, it is mentioned that Kishkinda is situated near the river Pampa. The same river is now called Tungabhadra. As proof of this, there are several inscriptions and literary works. In the Ramayana epic, several places have been mentioned, like Pampa Sarovara, Vali Killa, Vrusha Parvata, Sugriva Guha, Madhubana, and Anjanadri. All these places are situated in this area and they still continue to exist. Vanaras were the tribal people of this region and they had depicted their paintings in the caves which can be seen till now. All these support our theory that this area was Kishkinda and Hanuman was born here.” Dr Vasudev Badiger, professor of ancient history and archaeological studies in Kannada University, Hampi, says, “There are several inscriptions in the regions which proves that lord Hanuman was born in Anjanadri Hills.” People perform pooja to a portion of the mountain believing that Hanuman was born at this particular place.
      It is interesting to note that on the foothills of Anjanadri, there is a village named Hanumanahalli, there is a 16th century inscription, which says, “Anjanadeviya Anjayanege datti bittiddu,” (It is gifted to Anjaneya). There are inscriptions in various places across India but nowhere is it mentioned as Anjadeviya Anjaneya. In various religious texts it has been mentioned that Hanuman was born in Kishkinda region, Hampi and surrounding areas were known as Kishkinda. There is also evidence in the form of stone inscriptions that this area was known as Kishkinda.
      These inscriptions are at least more than 1,000 year old. These inscriptions are not only in Hampi but also in various other districts of Karnataka.” Dr Ram Avtar, head of the National Committee on Ramayana circuit, said, “All places mentioned in Ramayana are in Kishkinda and not in Tirumala. There is no mention of Hanuman visiting any other place.” Speaking on the proof demanded by the TTD, Govindananda seer claims, there are four instances in Ramayana which mentions about the birth of Anjaneya. “In Valmiki Ramayana, Lord Hanuman’s birthplace has been mentioned four times. First one was how Hanuman was born, in second instance, Jambavantha himself tells Hanuman about his birth, in the third instance, Hanuman himself speaks about his birth and other details to goddess Sita in Lanka and finally, Agastya Muni explains about Lord Hanuman to Shree Ram.
      What other proof does anyone want?” When asked about the claims made by the TTD, Badiger said, “TTD doesn’t have concrete evidence to prove their claims.” “Tirupati Sthala purana (historical stories) was written after Tirumala was developed. In this there is a mention of Anjanadri, which was added later, hence it is not related to Hanuman’s birth. It is also mentioned that Hanuman stayed in Anjana Giri, even Melukote in Mandya has been called as Anjanadri, so it signifies that just because it is mentioned does not necessarily mean that Anjaneya was born there. Apart from TTD, several states in north India claim that Hanuman was born there but they don’t hany any proof in the form of inscriptions as we have in Hampi.” Echoing the sentiments of Dr Badiger, historian Dr Kolkar said, “Places mentioned in the Ramayana are not found near Tirumala but in Hampi.”
      “TTD claims Tirupati-Tirumala is known by 16 names, Anjanadri is one of them, based on this theory they put forth a story that it is the birthplace of Anjaneya. There are no areas in Tirupati that were mentioned in Ramayana. Here, concrete evidences like cave paintings of contemporary period Ramayana epics are found in the Anegundi region. The symmetry of the native people here are similar to that of Hanuman and Vali (king of Kishkinda).
      TTD makes their claims based on the Venkatachala Purana, which was written in the 17th century. But Skanda Purana, which was written in the 13th century, clearly mentions Kishkinda and Anjanadri Betta, which is the birthplace of Hanuman.” He also added that the, “The villages surrounding Anjanadri Hills are known as Anjanahalli, Hanumanahalli, Rampura. Anjanahalli is the original village of Anjanadevi. She gave birth to Hanuman on top of the hill and hence it was called as Anjana Parvata. There are several folks who prove this theory.
      The TTD is doing it for commercial purposes. It wants to attract devotees from north India and hence they started this theory.” Govindananda seer, who in May last year had debated with the experts from TTD committee over the issue, which ended in a stalemate, expressed his unhappiness over the Karnataka government’s stance on the development of the region till now. “If the government had woken up two years ago and had started some work none of this would have happened, but nobody bothered about it. Now, they have woken up, and they have decided to do it.
      We met the Chief Minister and submitted all the documents related to Lord Hanuman’s birth place at Anjanadri Hills. We also gave details of how TTD was trying to gain by claiming that Anjaneya was born in Tirumala. All the seers have accepted that Hanuman was born in Kishkinda. With a lot of effort, a master plan has been prepared and it will be started soon.
      TTD has failed to prove that Lord Hanuman was born in Tirupati. We are going to Ayodhya on April 9 to bring sand which will be used in the construction works in Lord Hanuman temple in Hampi.” Apart from Karnataka, TTD, there are a few other states that claim to be Hanuman’s birthplace. These include Anjaneri in Nashik, Maharashtra, Anjan Hill in Navsari, Gujarat, and Anjan village in Jharkhand.

      हमने मुख्यमंत्री से मुलाकात की और अंजनाद्री हिल्स में भगवान हनुमान के जन्म स्थान से संबंधित सभी दस्तावेज जमा किए। हमने यह भी विवरण दिया कि कैसे टीटीडी यह दावा करके हासिल करने की कोशिश कर रहा था कि अंजनेय का जन्म तिरुमाला में हुआ था। सभी ऋषियों ने स्वीकार किया है कि हनुमान का जन्म किष्किंधा में हुआ था। काफी मशक्कत के बाद मास्टर प्लान तैयार किया गया है और जल्द ही इसे शुरू कर दिया जाएगा। टीटीडी यह साबित करने में विफल रहा है कि भगवान हनुमान का जन्म तिरुपति में हुआ था। हम नौ अप्रैल को अयोध्या जा रहे हैं, हम रेत लाने के लिए जिसका उपयोग हम्पी में भगवान हनुमान मंदिर के निर्माण कार्यों में किया जाएगा। कर्नाटक, टीटीडी के अलावा, कुछ अन्य राज्य हैं जो हनुमान की जन्मभूमि होने का दावा करते हैं। इनमें

      https://www.youtube.com/watch?v=uN3fqPvrxjc&t=34s
      अब तिरुपति से गोकर्ण
      गोकर्ण ( कर्नाटक )

      श्री गणेशाय नम:
      जय विरूपाक्ष , जय श्री राम , जय हनुमान
      । रामे चित्तलय: सदा भवतु मे ।
      | श्री रुद्र अवतार, वायु पुत्र, केसरी अञ्जनी नन्दन हनुमान |
      श्री हनुमद् जन्मभूमि किष्किन्धा अञ्जनाद्रि पर्वत
      टि.टि.डि. कमेटी, गोकर्ण श्री रामचंद्रापुर मठ की हार
      हनुमद् जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट (रि) का जीत

      टि.टि.डि कमेटी, कर्नाटक मे गोकर्ण, श्री रामचंद्रापुर वाले और अन्य लोगोंका निराकरण : हमने टि.टि.डि कमेटी का कर्नाटक मे गोकर्ण, श्री रामचंद्रापुर मठ वाले लोगों का शोध सामग्री और वक्तव्य का संपूर्ण विश्लेषण किया जो टि.टि.डि/ गोकर्ण श्री रामचंद्रापुर मठ वाले अन्य लोग साबित करना चाहते थे कि भगवान हनुमान ने तिरुपति / गोकर्ण में जन्म लिया था लेकिन अंत में भगवान श्री हनुमान जी का जन्म तिरुपति / गोकर्ण नही है, परम प्रमाण श्री वाल्मीकि रामायण ही है, श्री हनुमान जी कि जन्म किष्किंधा मे ही हुआ

      “स्वस्ति श्री शुभ कृत चैत्र शुक्ल प्रतिपदा – बुधवार (02-04-2022)

      30 वीं 31 मार्च 2022 श्री गोविंदानंद सरस्वती स्वामीजी शास्त्र चर्चा गोकर्ण वैदिक विद्वानों के साथ

      माल्यवान्नाम वैदेहि गिरीणामुत्तमो गिरिः।
      ततो गच्छति गोकर्णं पर्वतं केसरी हरिः। 5.35.80॥
      पर्वतों में माल्यवान (किष्किन्धा में माल्यवान् / प्रस्रवण गिरि)नाम से एक प्रसिद्ध उत्तम पर्वत है, वहां केसरी नामक वानर निवास करते थे, एक दिन वे वहा से गोकर्ण क्षेत्र पर गए
      स च देवर्षिभिर्दिष्टः पिता मम महाकपिः।
      तीर्थे नदीपतेः पुण्ये शम्बसादनमुद्धरत्।5.35.81॥
      देवर्षियों की आज्ञा से मेरे पिता “केसरी”, उन्होंने समुंद्र के तट पर विद्यमान उस पवित्र गोकर्ण तीर्थ में शंबसादन नामक दैत्य का संहार किया था |

      • * यहा प्रकरण समाप्त हुआ –
        ( सूचना : इसी श्लोको को लेकर कर्नाटक मे गोकर्ण, श्री रामचंद्रापुर वाले गोकर्ण मठ स्वामी गलत अर्थ व्याख्यान निकाला और लोगों को गुमराह किया )
        तस्याहं हरिणः क्षेत्रे जातो वातेन मैथिलि।
        हनुमानिति विख्यातो लोके स्वेनैव कर्मणा।5.35.82॥
        ( गो .टी. तस्येति – हरिण: हरे: केसरिण: क्षेत्रे पत्न्यामञ्जनायां जात: पितुर्देशान्तरगमन काले जात: अनेनान्य क्षेत्रे कथमन्येनोत्पादनमिति शङ्का पराकृता )
        उन्हीं कपिराज केसरी की स्त्री के गर्भ से वायु देवता के द्वारा मेरा जन्म हुआ है | मैं लोगो मैं अपने ही कर्म के द्वारा हनुमान नाम से विख्यात हू,

      हतेऽसुरे संयति शम्बसादने कपिप्रवीरेण महर्षिचोदनात्।
      ततोऽस्मि वायुप्रभवो हि मैथिलि प्रभावतस्तत्प्रतिमश्च वानरः। 5.35.89॥
      महर्षियों की प्रेरणा से कपिवर केसरी द्वारा युद्ध में शम्बसादन नामक असुर के मारे जाने पर मैंने पवनदेवता के द्वारा जन्म ग्रहण किया | अतः मैथिली ! मैं उन वायुदेवता के समान ही प्रभावशाली वानर हूं ||

      1 अप्रैल 2022 गोकर्ण वैदिक विद्वानों के साथ श्री गोविंदानंद सरस्वती स्वामीजी शास्त्र चर्चा

      तिरुपति / नासिक / झारखंड के गुमला/ गुजरात का नवसारी / हरियाणा का कैथल/ कर्नाटक मे गोकर्ण, श्री रामचंद्रापुर वाले लोगोंका , टि.टि.डि कमेटी का निराकरण : श्री हनुमान जी के जन्म के बारे में टी.टी.डी कमिटी वाले लोग अनावश्यक रूप से विवादों को खडा करके संपूर्ण शास्त्र ज्ञान के बिना अनावश्यक कार्य कर रहे हैं जबकि अंजना देवी के पति और हनुमान जी के पिता केसरी को एक राक्षस के रूप में बता रहे है इतना ही नहीं अंजना देवी के पिता का नाम केसरी बता रहे हैं | और हनुमान जी की जन्म तिथि को लेकर भी भ्रम फैला रहे है यह सर्वदा अनुचित है | कुछ समय श्रावण बोलेंगे कुछ समय वैशाख बोलेंगे कुछ समय कार्तिक बोलेंगे
      ऐसे अनेक सारे विषयों को लेकर प्रमाणों को छोड़कर स्वयं ही असली इतिहासों को क्षति पहुंचा रहे है कुछ लोगों का लिखा हुआ प्रक्षिप्त पन्क्तियों का उल्लेख कर रहे हैं, जिसमे श्री वेङ्कटाचल माहात्म्य ( सङ्कलन ग्रंथ ) में श्लो : “श्रावणे मासि नक्षत्रे श्रावणे हरि वासरे।“ यह श्लोक अप्रमाणिक है असम्बद्ध है ज्योतिष सिद्धान्त के अनुसार सर्वत्र विरुद्ध है |
      तिरुपति कमेटी का , कर्नाटक मे गोकर्ण, श्री रामचंद्रापुर वाले लोगोंका , , अभिप्राय यह है कि“ श्री हनुमान जी का जन्म तिरुपति में / गोकर्ण हुआ है” जबकि संपूर्ण रामायण में हनुमान जी के जन्म का वृत्तान्त आता है वहां कही भी टि.टि.डि तिरुपति का और उस क्षेत्र का कही भी , वही ही हुआ करके एक मात्र प्रामणिक उल्लेख नहीं मिलता है, तिरुपति, गोकर्ण, श्री रामचंद्रापुर वाले लोग दिखाने वाले विषय परम प्रमाण नही है सब कुछ मिथ्या मात्र है |
      उदा : तिरुपति कमेटी का कहना है कि “ पितरो केसरी नाम राक्षस: श्री हनुमान जी के पिता केसरी त्रेतायुग में एक राक्षस थे ! और अञ्जनी के पिता केसरी हैं ! और पति भी केसरी हैं , यहां २ केसरी कहा से आए ? यह सर्वदा अनुचित है, श्री मद्वाल्मीकि रामायण के और अनेक प्रमाणों के अनुसार केसरी एक वानर राजा थे और वानर श्रेष्ठ, प्रज्ञाशाली थे ।
      पद्मकेसर संकाश: तरुणार्क निभानन: ।
      बुद्धिमान् वानर: श्रेष्ठ: सर्ववानरसत्तम: ॥( वा.रा कि.३९ सर्ग श्लो १७)
      अनीकैर्बहु साहस्रै:वानराणां समन्वित: ।
      पिता हनुमत: श्री मान् केसरी प्रत्यदृश्यत ॥ १८
      माल्यवान्नाम वैदेहि गिरीणामुत्तमो गिरिः।
      ततो गच्छति गोकर्णं पर्वतं केसरी हरिः। 5.35.80 ॥
      पर्वतों में माल्यवान (किष्किन्धा में माल्यवान् / प्रस्रवण गिरि)नाम से एक प्रसिद्ध उत्तम पर्वत है, वहां केसरी नामक वानर निवास करते थे, एक दिन वे देवर्षियों की आज्ञा से गोकर्ण क्षेत्र पर्वत पर गए,
      स च देवर्षिभिर्दिष्टः पिता मम महाकपिः।
      तीर्थे नदीपतेः पुण्ये शम्बसादनमुद्धरत्। 5.35.81॥
      देवर्षियों की आज्ञा से मेरॆ पिता केसरी ने समुंद्र के तट पर विद्यमान उस पवित्र गोकर्ण तीर्थ में शंबसादन नामक दैत्य का संहार किया था |
      और शम्बसादन जैसे राक्षस का संहार करने वाले वानर श्रेष्ठ राजा केसरी थे ।,
      श्री गोविंदानन्द स्वामी जी द्वारा पूछे गए प्रश्नों का उत्तर देने में टि.टि.डि कमेटी गोकर्ण श्री रामचंद्रापुर मठ पूरी तरह विफल रहे,
      अंतिम परिणाम – टि.टि.डि के चैयरमेन ने (19 जून, 2021 – टीटीडी बोर्ड की बैठक में) खुद हार की घोषणा की और स्वीकार किया कि वे भविष्य में इस तरह के कार्यक्रम, घोषणा, चर्चा, इत्यादि नहीं करेंगे,
      भारत मे सनातन वैदिक धर्म आचार्यों ने भी टि.टि.डि कमेटी को गोकर्ण श्री रामचंद्रापुर मठ वाले लोगों को निराकरण किया,
      भारत सरकार ने भी संसद में टि.टि.डि के विचारों को खारिज किया,
      अब टि.टि.डि कमेटी, गोकर्ण श्री रामचंद्रापुर मठ वाले लोगों को हारने पर श्री हनुमद जन्मभूमि ट्रस्ट विजय, इस संदर्भ में आज
      “स्वस्ति श्री शुभ कृत चैत्र शुक्ल प्रतिपदा – बुधवार (02-04-2022)
      “श्री हनुमद् जन्मभूमि किष्किन्धा अञ्जनाद्रि – पर पुस्तक विमोचन “
      स्थल : श्री गोकर्ण, जय गोकर्ण महाबल – जय विरूपाक्ष – जय श्रीराम – जय हनुमान

          अब गोकर्ण से नासिक   

      ३. नासिक – ( महाराष्ट्र )
      श्री हनुमद् जन्मभूमि किष्किन्धा रथ यात्रा – त्र्यंबकेश्वर नसिक पुर प्रवेश

      श्री हनुमद जन्मभूमि किष्किंधा हनुमान रथ यात्रा
      ज्योतिर्लिंग भगवान् श्री त्र्यंबकेश्वर क्षेत्र पहुंची, https://www.youtube.com/watch?v=Tt3UNNqxgaw&t=189s
      त्रयंबकेश्वर नगर निगम के अध्यक्ष श्री पुरुषोत्तम लोहगांवकर ने रथ का स्वागत किया

      त्र्यंबकेश्वर नगर निगम के अध्यक्ष श्री पुरुषोत्तम लोहगांवकर ने रथम का स्वागत किया
      श्री त्र्यंबकेश्वर मंदिर प्रशासन न्यास ने विशेष प्रबंध कर श्री हनुमद जन्मभूमि किष्किंधा रथ का स्वागत कर पूजा-अर्चना की।

      ज्योतिर्लिंग भगवान श्री त्र्यंबकेश्वर के दर्शन के बाद,,

      नासिक में अंजनेरी नामक एक पहाड़ी है, कुछ लोगों का मानना है कि भगवान श्री हनुमान ने नासिक अंजनेरी पर्वत में जन्म लिया था, लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है,
      • अभी हम ज्योतिर्लिंग नासिक त्र्यंबकेश्वर पहुंचे
      • इस यात्रा का मुख्य कारण इस विषय से संबंधित सभी शंकाओं का समाधान करना है,
      तथ्यों को लाओ (नासिक के लोगों के सामने और, वैदिक विद्वानों के सामने प्रमाण के साथ, यह कहते हुए कि भगवान हनुमान ने किष्किंधा में नासिक, तिरुपति जैसे किसी अन्य स्थान पर नहीं लिया था)
      • त्र्यंबकेश्वर नासिक में 5 दिवसीय शिविर,
      • इस विषय से संबंधित महाराष्ट्र के सभी विभागों के साथ वैदिक विद्वानों, सरकारी अधिकारियों के साथ बातचीत
      • हम 5 दिन नासिक त्र्यंबकेश्वर में रहेंगे, नासिक के सभी विद्वानों और विभागों को ठोस सबूतों के साथ खुद को साबित करने का समय दिया जाएगा (यह कहते हुए कि भगवान हनुमान ने नासिक में जन्म लिया था)
      • किष्किंधा से हम सिद्ध करेंगे कि हनुमान जी ने पूरे प्रमाण के साथ किष्किंधा में जन्म लिया था

      • इस विषय से संबंधित लोगों को 5 दिन का समय दिया जाएगा, कोई भी निकाय या कोई संगठन या कोई सरकारी विभाग या कोई अधिकारी हमारे पास आकर चर्चा कर सकता है और अपने पक्ष को साबित कर सकता है,

      • यदि 5वें दिन में कोई नहीं आता है और कोई सिद्ध नहीं होता है, तो 5वें दिन हम आधिकारिक रूप से यह कहते हुए घोषित कर देंगे कि “वास्तविक तीर्थ स्थान किष्किंधा है नासिक में ही नहीं
      • हम नासिक क्यों आ रहे हैं ? और नाइक लोगों को खुद को साबित करने के लिए 5 दिन का समय देना?
      • आज हम नासिक आए, इसके बाद हम गुजरात, छत्तीसगढ़ जैसे अन्य स्थानों पर भी जाते हैं, जहां अन्य लोग भी भगवान हनुमान के जन्म स्थान का दावा क
      • जो समाज में भ्रम पैदा कर रहा है और भटका समूह में ऐसा नहीं होना चाहिए
      हमें अब वास्तविक जन्म स्थान शास्त्र प्रमाणों के साथ करना चाहिए,
      • हमारा प्रयास: वास्तविक तथ्यों को पूरे साक्ष्य के साथ लाएं
      • प्रमाण परंपरा के अनुसार भगवान श्री हनुमान के शुद्ध इतिहास को एक स्वर से एक जन्म स्थान, एक जन्म तिथि के साथ लाना, क्योंकि आजकल
      • कुछ लोगों ने अपने स्वार्थ के लिए तथाकथित नकली समितियों और संगठनों को तिरुपति की तरह नकली समितियों ने नकली दस्तावेजों के साथ नई नई कहानियां बनाना शुरू कर दिया और अनावश्यक विवाद पैदा किया,
      • अंत में चर्चा के बाद हमें “भगवान हनुमान का वास्तविक जन्म स्थान” सत्य को बिना किसी लालच या राग दवेश या किसी प्रतिज्ञा भेद के स्वीकार करना चाहिए।

      • मंदिर अध्यक्ष नासिक जिला न्यायाधीश श्री कुलकर्णी ने किया विशेष इंतजाम,
      • मंदिर के न्यासियों ने रथम का स्वागत किया और विशेष पूजा अर्चना की
      • श्री गोविंदानंद सरस्वती स्वामीजी ने ज्योतिर्लिंग भगवान त्र्यंबकेश्वर के दर्शन
      किए थे
      त्र्यंबकेश्वर के वैदिक विद्वानों ने श्री स्वामीजी को आमंत्रित किया
      श्री त्र्यंबकेश्वर मंदिर प्रबंधक ने रथ के लिए किया विशेष स्वागत
      नासिक त्र्यंबकेश्वर में श्री हनुमान जन्मभूमि किष्किंधा हनुमान रथ का भव्य स्वागत

      शास्त्र चर्चा शुरू
      https://www.youtube.com/watch?v=dxICCzlw7po
      https://www.youtube.com/watch?v=URUWa0PQacs&t=16s https://www.youtube.com/watch?v=y4xK1LjTN10&t=11s https://www.youtube.com/watch?v=_7FodsrMk7g&t=114s
      https://www.youtube.com/watch?v=uCCo4UGp8bY
      https://www.youtube.com/watch?v=65PV-8r3Szc&t=378s https://www.youtube.com/watch?v=AQS5Gr7RqCE https://www.youtube.com/watch?v=AQ7f4KJOKUc

      What happened in Nasik?
      1st day morning 10.00 Sabha started
      On behalf of Kishkindha Sri Govindananda Saraswati swamiji placed his arguments and pramanas from Srimad Valmiki Ramayana,
      1st day Nasik scholoers placed 5 topics from 5 different angles infront of the sabha to counter Kishkindha

      1. Brahmanda purana,
      2. Google ocuments
      3. Another birthplace claim from Solapur
      4. Department of climate,
      5. Another claim saying that kishkindha is there in Nasik
        Brahmanda purana: the content avalible in this purana is completely controdectory to other puranas and Srimad Valmiki Ramayana, lak of complete refrancess, the Nasik people could not the answer for some of the questions like “Kala” time period, if they don’t have any answer then they will use “Kalpabedha” this is for just escaping form actual truth , Nasik scholoers failed to answer the question from Kishkindha,
        Some nasik scholoers requested swamiji saying that “ we are not rejecting or not telling that lord hanuman did not took birth in kishkindha , we also believe lord hanuman took birth in kishkindha,
        Google documents: rejected (google is not pramana)
        Another birthplace claim from Solapur: Nasik people only rejected
        Department of climate: this is claimate department; this subject is not related to claimate dept, so rejected, Another claim saying that kishkindha is there in Nasik : then we asked where is Tungabhadra river, then entire nasik scholores logic is totally failed, the entire humanity knows kishkindha is there in Karnataka , so
        5th point is also rejected, Then Sri Gangadhar Pathak ji requested the sabha and placed his views
        He says in the kalpa lord hanuman took birth in kishkindha,
        And why cont we see in different angle for accepting kalpabhedha,
        Then Kishkindha Paksha raised the question regarding Kala Pramana,
        There is no answer for kala pramanam, and govindananda saraswati swamiji pointed out just by telling kalpa bedha its not perfect if you don’t have any anser then you people are using kalpa behda, its not the perfect way , so there is no othet option axepect accepecting kishkindha only, The main problem is in Nasik Paksha they cont go againest Sri Ramayana and without the Ramayana you can not establish the truth, if you want to establish only through puranas its not possible, and if there is any dispute or contradiction between Itihasa and Purana , then Itihas is considered the final authority not puranam ,
        https://www.youtube.com/watch?v=hAk7nAATUlw&t=26s
        https://www.youtube.com/watch?v=pMA8oztQJeI https://www.youtube.com/watch?v=URUWa0PQacs

      2nd Day the Nasik scholoers paksha is totally rejected because of imperfect answers from the Nasik paksha, its announced in Open press meet, Note: from the entire nasik paksha no bodey rejected Kishkindha Every body accepects lord hanuman took birth in kishkindha And their claim and request to sri swamiji is to accepect even nasik is also as the birthplace of lord hanuman
      Sri swamiji said without complete athontic evedincess we can not accepect , Sri swamiji pointed out gave lot of examples and concluded the sabha with

      निष्कर्ष: श्रुतिस्मृतिविरोधे तु श्रुतिरेव गरीयसि – “आनयोरुभयोर्मध्ये इतिहास: प्रबल:” इतिहास और पुराण दोनों मे इतिहास ही प्रबल है” श्रीमद वाल्मीकि रामायण “भगवान हनुमान के जन्म इतिहास” के लिए एकमात्र परम प्रमाण है
      श्रीमद वाल्मीकि रामायण की घोषणा किष्किंधा भगवान हनुमान की जन्मभूमि है

      अब नासिक से डांग
      जय त्रयंबकेश्वर – जय विरूपाक्ष – जय श्रीराम – जय हनुमान
      ज्येष्ठ शुक्ल द्वितीया बुधवार – १ जून् – २०२२
      “श्री हनुमद् जन्मभूमि किष्किन्धा अञ्जनाद्रि – पर पुस्तक विमोचन “
      स्थल : नासिक् (महाराष्ट्र)

      ४. डांग – ( गुजरत )

      1. शबरी धाम , 2. पम्पा सरोवर , 3. अंजनकुंड
        गुजरात डोंग जिले में
        (नोट: इन बोर्डों को देखने के बाद मत सोचो कि ये सभी मूल स्थान हैं और श्री रामायण काल से संबंधित हैं, कोई भी कहीं भी कोई भी मंदिर बना सकता है, और कोई भी नाम दे सकता है, इसका मतलब यह है कि यह मूल हो जाएगा, यदि आप सरकारी विभागों से अनुरोध करेंगे तो वे एक बोर्ड लगा देंगे, यह हुआ था, कुछ साल पहले ये सभी आदिवासी लोगों को ईसाईयों से बचाने के लिए बनाए गए मंदिर और धाम हैं इस प्रकार के बोर्ड आपको भारत में हर जगह मिल सकते हैं
        फिर कैसे तय करें कि जन्मस्थान कहां है? अब हमें वैदिक ग्रंथों के पास जाना है, अब हमें विभिन्न ग्रंथों में देखना है और हमें उच्चतम प्रमाण लेना है फिर हमें यह देखना होगा कि उस पुस्तक में इस विशेष स्थान का उल्लेख है या नहीं, उस प्रक्रिया में (श्री वाल्मीकि और उनके कार्यों जैसे मूल रामायण, आनंद रामायण …) हनुमान जन्म इतिहास बताने के लिए सर्वोच्च अधिकार, रामायण में जो भी जगह लिखी गई है, हमें उसे स्वीकार करना होगा क्योंकि यह ऋषि वाल्मीकि द्वारा लिखी गई थी, वह भी त्रेतायुग के दौरान भगवान श्रीराम की अवधि, और वही हनुमान की कथा भी हनुमान के सामने श्री श्रीराम को सुनाई नवनिर्मित शबरी धाम
        https://www.youtube.com/watch?v=GXfrwgwnSFM&t=11s
        अञ्जनि कुंड https://www.youtube.com/watch?v=Gu4exg3u6es&t=231s

      जब हम इस शबरी धाम कि बारे मे पूजारी से प्रमाण पूछा
      उत्तर :- “ इस मंदिर को बनाकर 17 साल हुआ।
      हम को इतनाही पता है कि यह दण्डकारण्य है और श्री राम यहा आऎ
      आप हमसे रामायण/पुराण साक्ष्य पूछें! तो हमें पता नहीं।

      • श्री शबरी मन्दिर आदिवासी पूजारि मन्सु भायि – डांग गुजरात,
        https://www.youtube.com/watch?v=n2Lp4knoxZo

      a
      Forest Department Office at Ahva in Dang District

      हम वन विभाग गए और वन विभाग के संरक्षकों से इन 3 स्थानों के बारे में पूछा और उनसे प्रमाणों के बारे में पूछा लेकिन उन्होंने कहा कि हमारे पास नहीं है

      निष्कर्ष: इन धामों का निर्माण 15वें वर्ष से पहले आदिवासियों को धर्मांतरण से बचाने के लिए ही किया गया था। वास्तविक हनुमान जन्मभूमि से कोई संबंध नहीं, यहाँ कोई पौराणिक, ऐतिहासिक शास्त्र प्रमाण नहीं है
      ५. कैथल् – (हरियाणा)
      श्री हनुमान टीला मंदिर – कैथल में एक मंदिर जिसे श्री हनुमान् जी का जन्म स्थान कहा जाता है

      “हम सबूत खोज रहे हैं अब तक हमें कोई सबूत नहीं मिला,
      हमारे पास यह कहने का कोई प्रमाण नहीं है कि कैथल श्री हनुमान जी का जन्म स्थान है”

      • श्री बाबू राम शांडिल्य, श्री हनुमान टीला पुजारी जी,
        कैथल, हरियाणा,-
        https://www.youtube.com/watch?v=_Pang5KJuM0 ,

      Meeting Senior most Monks, and Mahants in Kaithal Hariyana discussion regarding Sri Hanuman Janmabhoomi

      कैथल श्री महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय में “श्री हनुमद जन्मभूमि किष्किंधा” पर सम्मेलन,

      https://mvsu.ac.in/

      निष्कर्ष: कैथल मे कोई प्रमाण नहीं है
      श्रीमद वाल्मीकि रामायण की घोषणा “किष्किंधा” भगवान हनुमान की जन्मभूमि है
      https://mvsu.ac.in/
      https://www.facebook.com/MVSUOfficial/videos/347855380841722

      गोरखपूर ( उ.प्र्)
      गोरक्षनाथ संस्कृत महाविद्यालय में “श्री हनुमद जन्मभूमि किष्किंधा”
      पर विद्वानों के साथ सभा,
      https://www.youtube.com/watch?v=2Ljs8TQEVks

      श्री हनुमान् जी का जन्मस्थान – किष्किन्धा ही है –
      पूज्य श्री वासुदेवाचार्य विद्याभास्कर जी महराज अयोध्या
      https://www.youtube.com/watch?v=iij3j9HphlE
      ६. गुमला (झारखण्ड)
      गुमला में एक मंदिर जिसे श्री हनुमादी का जन्मस्थान कहा जाता है

      “भगवान हनुमान ने किष्किंधा में ही जन्म लिया था”
      “परम प्रमाण श्री मद वाल्मीकि रामायण यही स्पष्ट रूप से कहते हैं”

      • श्री केदारनाथ पाण्डेय, अंजनी माता मंदिर पुजारी
        अंजनी गांव, गुमला जिला झारखंड,
        https://www.youtube.com/watch?v=0MIyP_R33FE&t=5s

      Question: Now Where is Kishkindha ?
      Ans: It’s in Karnataka
      “Pampakshetra Kishkindha” is the birthplace of Lord Hanuman

      • Sri Kedarnath Pandey, (Priest of Anjani Mata Temple in Gumla District)
        Totally 3 days came to Anjan village which is said to be the birth place of Hanuman in Gumla district of Jharkhand and there was a complete review. 3 generations ago there was nothing here, if it was like a small cave on a hill, someone placed an idol of Hanuman there, after that the hill was named Anjanagiri. , getting so popular, this also started to be promoted as the birth place of Hanuman, in a way, this Gumla area is a tribal area, so to protect them from interfaith, and to stop the many animal sacrifices that take place here, an idol of Anjani Devi along with child Hanuman was established here on the hill.
        Such is the case with the newly constructed 3 dhams in “Dhang” district of Gujarat, and also here and there, the village people and the priests for 3 days continuously.
        They also say that “Srimad Valmiki Maharishi’s only oath in the matter of Sri Hanuman is Sri Mad Ramarayana” and that “Sri Hanuman’s birth place is Pampaksheta Kishkindha”.,
        Anjani village in Gumla district of Jharkhand state (Once this state of Jharkhand was an integral part of Bihar state, after the formation of new state of Jharkhand, Gumla district came into Jharkhand, )
        झारखंड के गुमला जिले के हनुमान जी की जन्मस्थली कहे जाने वाले अंजन गांव में पूरे 3 दिन आ गए और वहां पूरी समीक्षा हुई. 3 पीढ़ी पहले यहां कुछ भी नहीं था, अगर यह एक पहाड़ी पर एक छोटी सी गुफा की तरह था, तो किसी ने रखा वहां हनुमान की एक मूर्ति थी, उसके बाद पहाड़ी का नाम अंजनगिरी रखा गया, इतना लोकप्रिय होने के कारण इसे हनुमान के जन्म स्थान के रूप में भी प्रचारित किया जाने लगा, एक तरह से यह गुमला क्षेत्र एक आदिवासी क्षेत्र है, इसलिए उन्हें अंतरधार्मिक से बचाने के लिए , और यहाँ होने वाले कई पशु बलि को रोकने के लिए, यहाँ पहाड़ी पर अंजनी देवी की एक मूर्ति और बच्चे हनुमान की स्थापना की गई थी।
        ऐसा ही हाल गुजरात के “ढांग” जिले में नवनिर्मित 3 धामों का है, और यहाँ-वहाँ, गाँव के लोग और पुजारी लगातार 3 दिनों तक।
        वे यह भी कहते हैं कि “श्री मद रामायण श्री मद रामायण लिखने वाले श्री हनुमान, श्रीमद वाल्मीकि महर्षि के मामले में श्री मद रामरायण ही एकमात्र मानक हैं” और यह कि “श्री हनुमान का जन्म स्थान पम्पाक्षे त्र किष्किंधा है”।
        https://www.youtube.com/watch?v=0MIyP_R33FE&t=5s
        निष्कर्ष: कैथल मे कोई इतिहास श्री रामायण इत्यादि या पौरणिक कोई भि एक प्रमाण नहीं है, गुमला में मंदिर के अलावा उनके पास और कोई सबूत नहीं है।
        उस मंदिर के मुख्य पुजारी ने खुले तौर पर कहा कि भगवान हनुमान ने किष्किंधा में ही जन्म लिया था, और उन्होंने यह भी कहा कि हनुमान के जन्म इतिहास से संबंधित श्रीमद वाल्मीकि रामायणम ही एकमात्र प्रामाणिक ग्रंथ है।
        वहां के लोग बहुत ही मासूम, और बहुत ईमानदार हैं, जो हमने दो जगहों पर देखा है एक दांग जिला और दूसरा गुमला, और कैथल के लोग बहुत ही महान हैं, पूरी तरह से भगवान को समर्पित हैं, इन 3 जगहों के पुजारियों ने खुलकर स्वीकार की सच्चाई,

      अयोध्या –(उ.प्र) )

      किष्किंधा भगवान श्री हनुमान का जन्मस्थान है, मुख्य पुजारी, अयोध्या
      श्री रामजन्मभूमि,

      Ayodhya Sri Ramajanmabhoomi Chief Priest
      Sri Satyendra Das Performing Prana Pratishtha to
      Sri Hanumad Janmabhoomi Kishkindha Sri Sitarama Lakshmana Utsava Murty and to Sri Kishkindha Ratham during Sri Ramanavami in Adyodhya 2021
      And said
      “Lord hanuman took birth in Pampakshetra Kishkindha only”

      Government of Karnataka
      Karnataka Chief Minister Basavaraj Bommai directed officials Saturday to start work next month on his pet project of developing the Anjanadri Hill in Koppal, the fabled birthplace of Hanuman, into a pilgrimage spot doubling up as a tourist destinatio…
      Bommai, who reveres Hanuman, chaired a meeting here to take stock of the project’s progress. He has set aside Rs 100 crore for this. The BJP government wants to connect the Hanuman temple atop the Anjanadri Hill with the Ram Mandir coming up at Ayodhya.
      The CM asked the Koppal deputy commissioner to finish the process of acquiring land fast. “The project needs 60 acres of land. Of this, 58 acres are private lands belonging to farmers. Acquire the lands after taking farmers’ consent or purchase them through the Karnataka Industrial Areas Development Board (KIADB),” Bommai said, according to a statement from his office.
      In the first phase of the Anjanadri development project, improvement of roads and development of alternative routes will be done. The Public Works department will widen the national highway up till Gangavati for which Bommai sought a detailed project…
      Bommai also directed authorities to start work on parking and other infrastructure works at the base of the hill. He also asked officials to send a proposal to the government seeking financial approval for the project.
      The Anjanadri Hill overlooks the Tungabhadra river. On the other side of the river stands Hampi, the world heritage site that is believed to be ‘Kishkindha’, the mythological kingdom of vanaras or monkeys. Anjanadri Hill and Hampi are some 20 km apart.
      Karnataka has rejected the claim by Tirumala Tirupati Devasthanams (TTD) that Hanuman was born in the Anjanadri Hill in Tirumala.
      There are mythological references to Anjanadri, the birthplace of Hanuman, and the reference of ‘Kishkindha’ in Ramayana. With many places in and around Hampi that have references in the epic, it is believed that Kishkindha and Hampi are the same.
      The temple hill will also get a 430-metre ropeway. “The tender process for this should be completed in two months,” Bommai told the tourism department. “The base of the ropeway should have facilities for tourists,” he said.
      Bommai said he would visit the Anjanadri Hill on July 15 for another review.
      अंजनाद्री पहाड़ियों का व्यापक विकास : सीएम बोम्मई ने जुलाई में काम शुरू करने के दिए निर्देश

      कर्नाटक के सीएम बसवराज बोमैन ने श्री किष्किंधा हनुमाद जन्मभूमि पंपक्षेत्र किष्किंधा में अंजनाद्री में विकास कार्यों के लिए पूजा की

      https://www.youtube.com/watch?v=vqL0m0AWKiM
      Seers from Kishkinda take up all India tour to reaffirm Anjanadri as birthplace of Lord Hanuman
      The seer said that the government has sanctioned funds for the development of Anjanadri and the site will be developed as a religious site and not as a tourist destination By Amit S Upadhye
      Express News Service
      HUBBALLI: The claims made by different states in India about the birthplace of Lord Hanuman will now be put to rest as a team of seers and scholars from Kishkinda in Koppal district have visited each and every temple in India which has made false claims about Hanuman birthplace.
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      The team led by seer Govindananda Saraswati, the head pontiff of Kishkinda Hanumad Janmabhoomi Teertakshektra Trust visited six states and a temple in Karnataka to argue with the temple trusts who were claiming right on the birthplace of Lord Hanuman. The team debated and provided the proofs mentioned in the epics and other religious books about Kishkinda being the actual birthplace of Hanuman.
      The team visited Maharashtra, Gujarat, Haryana, Jharkhand, Bihar and Andhra Pradesh in pursuit of claiming rights for Hanuman Janma Bhoomi. The team also met trustees of Gokarna and temple heads to support Anjanadri as the rightful birthplace.
      “It’s good news for the entire Karnataka. Now people will think twice before claiming rights on the birthplace of Lord Hanuman. We have visited different states and temples to explain to those who claimed otherwise, about the importance of Kishkinda, Pampa Sarovar and Anjanadri hill. We travelled for over a year from Anegundi and we returned a few days ago,” seer Govindananda Saraswati told TNIE.
      The seer pointed out that the claims of Tirupati Trust about Lord Hanuman being born in the hills of Tirumala were not true. “Several political leaders, mutts and prominent seers from Karnataka and Andhra Pradesh joined hands to take away the sheen of Anjanadri Hills. We shall expose all of them soon. We will be organising a mega rally on this in Bengaluru or Anegundi which will be attended by seers and scholars all over the country. We will request the state government to make an announcement about our findings and Anjanadri as the only birthplace of Lord Hanuman,” he said.
      The seer said that the government has sanctioned funds for the development of Anjanadri and the site will be developed as a religious site and not as a tourist destination. “While the government will take up the improvement of the region, we will form a trust and will take up work to popularise the destinations. We need to create awareness in the country about Kishkinda so that false claims about the birthplace of Lord Hanuman will end. We will also demand the government to rename Koppal district as Kishkind district,” seer added.

      This Train Covers holy places Sri Sita Janmabhoomi ( Janakpuri) to
      Sri Ramajanmabhoomi( Ayodhya) to Sri Hnumad Janmabhpppmi ( Kishkindha )
      https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1836061,

      “ಹನುಮ ಜನಿಸಿದ ನಾಡು,
      ಕರ್ನಾಟಕದಲ್ಲಿ ತುಂಗಭದ್ರಾ ನದಿಯ ಉತ್ತರ ಭಾಗ ಉತ್ತರ ಕರ್ನಾಟಕ ದಲ್ಲಿ ಶ್ರೀ ಹನುಮಂತ ದೇವರ ಜನನ ವಾಗಿರುವ ಕಾರಣ ಮತ್ತು ಇತಿಹಾಸದಲ್ಲಿ ಅನೇಕ ಸಾಮ್ರಾಜ್ಯಗಳು ನಿರ್ಮಾಣ ವಾಗಿದ್ದ ಕಾಲದಲ್ಲಿ ಆಯಾ ಸ್ಥಳದಲ್ಲಿ ನಿರ್ಮಾಣವಾಗಿರುವ ಆಯಾ ರಾಜ್ಯದ ರಾಜರು ಆಯಾ ಸ್ಥಳದಲ್ಲಿ ಜನಿಸಿದ ದೇವರ ಹೆಸರು ಮೇಲೇ ರಾಜ್ಯವನ್ನು ಆಳುವದು, ಮತ್ತು ದೇವಸ್ಥಾನಗಳನ್ನು ನಿರ್ಮಿಸುವದು, ಆದೇವರ ಚಿತ್ರದ ನಾನ್ಯಗಳನ್ನೂ ಮುದ್ರಿಸುವದು ಬಹಳ ವಿಶಿಷ್ಠ ವಾದ ಪರಂಪರೆ ಉತ್ತರ ಕರ್ನಾಟಕದಲ್ಲಿ ಸ್ಥಾಪನೆ ಆಗಿದ್ದ ಎರಡು ಸಾಮ್ರಾಜ್ಯಗಳ ರಾಜರು, ಮಹಾರಾಜರು ಶ್ರೀ ಹನುಮಂತ ದೇವರ ಜನಿಸಿದ ನಾಡಿನಲ್ಲಿ ತಮ್ಮ ರಾಜ್ಯ, ರಾಜಧಾನಿ ಗಳು ಸ್ಥಾಪಿಸಿ ಭಗವಂತನ ಅನುಗ್ರಹವನ್ನು ಪಡೆದು ಕಾರಣ ಚಿನ್ನದ ಶ್ರೀ ಹನುಮಂತದೇವರ ನಾನ್ಯಗಳನ್ನು ಮುದ್ರಿಸಿದರು

      Coin of Vijayanagar Empire,
      Bukka Raya I, Gold pagoda, 1344-1377 King striding right, in a pose to resemble Hanuman.

      Mahabali Hanuman on Bukka I’s coins

      Mahabali Hanuman on Bukka I’s coins – 01 Nov 2016 Tue
      We know that Vijay Nagar simply means the city of victory! This Empire came into existence in 1336 CE.

      The Vijayanagar Empire was ruled by four major Dynasties- Sangama Dynasty, Saluva Dynasty, Tuluva Dynasty and Aravidu Dynasty.

      The founder of the Sangama Dynasty was Harihara I, also known as Hakka. He was succeeded by his son Bukka I (1354- 1377 CE). He was the ablest ruler of Sangama Dynasty. He conquered many South Indian territories
      He issued many gold, silver and copper coins.
      One of his fabulous Gold Pagoda coin weighs around 3.35g. The obverse depicts the Hanuman

      Coins of Kadamba Empire, 500 AD,

      . The Kadambas of Hangal was a South Indian dynasty during the Late Classical period on the Indian subcontinent, which
      riginated in the region of Hangal in Karnataka.
      https://en.wikipedia.org/wiki/Kadamba_dynasty

      Lord Sri Hanuman on Kadamba coins
      Coinage of the Kadambas of Hangal. Circa 12th-13th century. Obverse with a depiction of Hanuman, reverse with floral spray

      Kadamba (345 – 525 CE) was an ancient royal brahmin dynasty of Karnataka, India that ruled northern Karnataka and the Konkan from Banavasi in present-day Uttara Kannada district. At the peak of their power under King Kakushtavarma, the Kadambas of Banavasi ruled large parts of modern Karnataka state.

      Ramayana is an epic that does not need any introduction and neither does lord Hanuman. This beloved deity of Hindu culture is worshiped by millions throughout the Indian subcontinent. He is worshiped as a protector, giver of good luck and health. But apart from this, Hanuman is the symbol of our mind (Maan) and of the strength of devotion and discipline.

      Hanuman is depicted in Indian culture through sculpture, painting, coins, etc. The best example of lord Hanuman depicted on coins is the Hanuman pagoda. This coin belongs to the Kadambas of Hangal.

      The obverse of this coin depicts a seated lord Hanuman facing right, flanked by two ‘chowries’ and a conch above the moon on left and sun to right with the Kannada legend ‘ NA, KA, RA’ below. The reverse depicts ornamented scroll of Kadambas within a dotted and linear circle.

      Lord Hanuman was also depicts on the coins of Vijaynagar minted in the reign of Bukka Raya I and on the coinage of Princely State of Ratlam. Other than coins he is also depicted in the architecture of Indian temple and also on Pillars of the Ellora caves. There are many temples in South India which are devoted to this devotee of Lord Ram.
      Hanuman is adorned with many different names illustrating his different personality traits. In Indian philosophy, he is the symbol of pure devotion, complete surrender, and absence of ego. This son of Kesari and Anjana and godson of lord Vayu (God of wind) also represent the ‘chitta’ (consciousness), discretionary intelligence which is also considered the highest ‘tattva’ (Principle of Nature).

      The ancient and first superhero of Indian culture and philosophy dwarf all others by his intelligence, power, and strength of character.

      Vijayanagar Silver Tara – Hanuman with dagger, Vijaynagara Empire, Harihara I(1336-1354 AD). Sri Hanuman.
      Weight: 0.15g Diameter: 7mm

      Gold Varaha Coin of Bukkaraya I of Vijayanagara Empire of Sangama Dynasty, Hanuman Moving to right with Knee

      Silver Tara of Two Coins of Harihara I of Vijayanagara Empire.

      Vijayanagara Empire, Harihara I (1336-1354 AD), Silver Tara(2) , Obv: hanuman moving to right with a dagger in the rear, Rev: a single nagari letter “HA” is inscribed, 0.15g, 0.12g, 6.35mm, 6.85mm,

      Silver Tara Coin of Bukkaraya I of Vijayanagara Empire.
      Vijaynagara Empire, Sangama Dynasty, Bukkaraya I (13 Century AD), Silver Tara, Obv: lord Hanuman to right, Rev: Kannada letter “Bu”, 0.09g, 5.10mm, .
      VIJAYANAGARA

      Sri hanuman

      https://www.coinarchives.com/w/results.php?results=100&search=vijayanaga r
      Vijayanagara Empire, Sangama Dynasty, Bukkaraya I (1354-1377 CE), Gold Varaha, Obv: Hanuman moving to right with knees slightly bent, left hand resting on left knee and right hand raised up, dagger in the rear, Rev: Kannada legend “Sri Vi/ra Bu ka/ra ya” in three lines, 3.38g, 11.62mm,

      Issuer Empire of Vijayanagara (Hindu Dynasties)
      Type Standard circulation coin
      Years 1356-1377
      Value 3 KASU
      Currency Jital
      Composition Copper
      Weight 3.1 g
      Diameter 14 mm
      Thickness 3.1 mm
      Shape Round (irregular)
      Orientation Variable alignment ↺
      Demonetized Yes
      Number N# 208602

      Vijaya Nagar – Feudatory chief , Hanuman playing tambura , copper coin M24
      Vijaya Nagar / Mysore– Devaraya I 1406 – 22 ad Hanuman ,copper coin V49

      జయ విరూపాక్ష, జయ శ్రీరామ, జయ అంజనీహనుమ,

      : శ్రీహనుమంతులవారి జన్మ తిథి :
      ప్రశ్న: శ్రీ హనుమంతులవారి జన్మ తిథి ఎప్పుడు ? దీనిని గురించి ఏ గ్రంథములో వివరించబడినది ?
      సమాధానము : శ్రీ మద్ వాల్మీకి మహర్షులవారిచే రచింపబడిన “ఆనంద రామాయణము” నందు ఉన్నది,
      ప్రశ్న: ప్రమాణ శ్లోకము తెలుపగలరు,
      స : ఆనంద రామాయణము, లో సారకాండ యందు 13వ సర్గ లో 163వ శ్లోకము,
      ప్రశ్న: ఏ సందర్భములో ? ఎవరు ఎవరికి చెబుతున్నది ?
      స :, శ్రీ రాములవారు శ్రీ అగస్త్య మహర్షులవారిని శ్రీ హనుమంతుల జన్మ వృత్తాంతమును తెలియజేయవలెనని ప్రార్థించిన సమయమున శ్రీ రాములవారి కి శ్రీ అగస్త్య మహర్షులు శ్రీ హనుమంతులవారి జన్మ తిథి, సంపూర్ణ వృత్తాంతమును తెలియును,
      ప్రశ్న: ఆ శ్లోకము ఏమిటి ?
      స : శ్లో “మహా చైత్రీ పూర్ణిమాయాం సముత్పన్నో అఞ్జనీ ( అంజనీ ) సుత:” || శ్లో సా.13.163,
      అనగా చైత్రమాసమునందు పూర్ణిమ యందు “చైత్ర శుక్ల పూర్ణిమ” తిథి యందు అంజనీసుతునిగా శ్రీ హనుమంతులవారు జన్మించెను,

      శ్లోకము, గ్రంథము, ప్రమాణములు, శ్రీ మద్ వాల్మీకి మహర్షి విరచిత“ఆనంద రామాయణము”

      శ్రీ మద్ వాల్మీకి మహర్షి విరచిత“ఆనంద రామాయణము”

      శ్లోకం: “మహా చైత్రీ పూర్ణిమాయాం సముత్పన్నో అఞ్జనీ ( అంజనీ ) సుత:” ||
      సా. కా – 13.163,

      O
      अन्य अवलोकन ग्रंथ,

      ప్రశ్న- సమాధానములు
      ప్రశ్న : మరి భారతదేశములో కొన్ని ప్రదేశములందు వీటికి భిన్నముగా ఆచరిస్తున్నారు కదా ?
      స : కాల గతిలో అవన్నీ నూతనముగా ఆరంభించిన వే గాని, అవి ఏమీప్రమాణికములు కావు, కొంత మంది వైశాఖమని, ఇంకొకరు కార్తీకమని, ఇలా ఆంధ్రా, తమిళనాడు, కర్నాటకా, తెలంగాణా లలో వివిధములుగా ఆచరిస్తున్నారు, అదికూడా కొద్ది ప్రదేశముల యందు మాత్రమే, దేశములో సమస్త భక్తులు ఆచరిస్తూ వస్తున్నది “చైత్ర శుక్ల పూర్ణిమ”, దీనికి భిన్నముగా ఈ కొద్ది మంది ఆచరించేవి ప్రమాణబద్దము లేని ఆచరణ, శాస్త్ర సమ్మతము కాదు, ఇల్లగే కొన్ని ప్రదేశములలో శ్రీ హనుమద్ వ్రతమని, శ్రీ హనుమద్ విజయోత్సవమని వివిధ పేర్లతో నూతనముగా ఆరంభించినవి, ఈ మధ్యకాలములో ఇవన్నీ క్రోత్తాగా ఆరంభింపబడినవే,

      ప్రశ్న: మిగతావారు కూడా ఇలాగే శ్లోకాలు చూపిస్తున్నారు కదా ?,
      స : శ్లోకాలు చూపించటము కాదు , శ్లోకాలు ఎవరైనా వ్రాస్తారు , శ్లోకాలు చూపించినంత మాత్రాన ప్రమాణములు కావు, మేము కూడా ఇప్పుడు రెండు శ్లోకాలు వ్రాసి చూపిస్తాము అవి ప్రమాణములు అవుతాయా ?అవ్వవు, అవి ఏ శ్లోకాలు ?, ఎవరు వ్రాసారు ? ఏ గ్రంథములోనివి ?, వాటి ప్రామణికత ఏమిటి, ? అని అనేక రకాలుగా పరీక్షించవలసి వస్తుంది కేవలము ఒక శ్లోకము చూపిస్తే సరిపోదు,
      ప్రశ్న : ౧) “శ్రావణే మాసి నక్షత్రే శ్రవణే హరివాసరే”, అని,
      ౨) కార్తీక కృష్ణ చతుర్దశి, ౩) వైశాఖ బహుళ దశమి అని అంటున్నారు కదా మరి వీటి విషయము ఏమిటి ?
      స : ఓహో ఇవిమాకు ఎప్పుడో తెలుసు, వీటీని ఎప్పుడో ఖండించటము, నిరాకరణ చేయటము జరిగినది, ఈ విషయము, ఇది తిరుపతి నకిలీ కమిటీవారు చెప్పేది,
      ప్రశ్న: వివరముగా చెప్పగలరు,
      స : ఇవి ప్రక్షిప్తములు, ఇవి పురాణాల నుంచి సేకరించాము అని చెప్పెదరు, తీరా అది ఏ పురాణము అని అడిగితే దానికి శ్రీ వేంకటాచల
      మాహాత్మ్యము, అగస్త్య సంహితా అని అంటారు, కాని శ్రీ వేంకటాచల మాహాత్మ్యము ఒక సంకలన గ్రంథము, మరుయూ అగస్త్య సంహిత గ్రంథములో ఎక్కడా కార్తీక మాసము అనే శ్లోకము లేనే లేదు వీరు మేము అనేక పురాణములనుండి అక్కడ అక్కడ నుండి గ్రహించి వ్రాసినాము అందురు, మూలము ప్రమాణము ఎక్కడ ఉన్నది అని అడిగితె వీరి ఎవ్వరి దగ్గరా ప్రమాణము లేదు సమాధానము లేదు,
      ప్రశ్న : అయితే ఇందులో ఉన్న తప్పు ఏమిటి, ?
      సమాధానము : అందుకే ఎవ్వరు ఏమి చెబితే దానిని గ్రుడ్డిగా నమ్మ కూడదు,
      ప్రశ్న : అంటే ? ఈ క్రింది పేజీ చూడండి
      ఇక్కడ తిరుపతి కమిటీ వారు సంపూర్ణముగా అధ్యయనము చేసి నిర్ణయము చేసినాము అని పెద్ద పెద్ద పండితులు అందరూ కలసి తమిళనాడు గవర్నర్ ని కూడా మధ్యలో పెట్టుకొని “జగత్తు అంతటికి” విడుదల చేసినారు ఈ పుస్తకమును,
      తీరా ఇందులో చూస్తే అన్నీ పచ్చి అపద్దాలే, జనాలని భక్తాదులని ఎరకముగా మోసము చేస్తున్నారో తెలుస్తుంది, ఉదా: శ్రీ హనుమంతులవారి తిథి గురించి , శ్రీ హనుమంతుల వారు ఏ తిథిలో పుట్టారు ?
      ప్రశ్న : ఎలా ? ఈ 3 పేజీలుచూడండి

      టి.టి.డి వారి సంశోధనా పుస్తకము మొదటిది 13-04 -2021

      టి.టి.డి వారి సంశోధనా పుస్తకము మూడవది ( 16-02-2022 ) – 82 వ పేజి

      టి.టి.డి వారి సంశోధనా పుస్తకము మూడవది ( 16-02-2022) – 83 వ పేజి
      సమా : వీరు బ్రహ్మాండపురాణము తీర్థఖండము లోనిది అంటారు అసలు భారతదేశము అంతా అన్ని పురాతన గ్రంథాలయాలలో ఉన్న “బ్రహ్మాండపురాణము” పుస్తకములు అవలోకనము చేసిన అసలు ఈ ఖండమే ఎక్కడా లేదు, కేవలము టి.టి.డి వారు మాదగ్గర ఉన్నదని చెబుతారు దానిని అవలోకనము చేసిన అది కూడా శుద్ద తప్పు ఎందుకనగా
      స : ఇప్పుడు చూడండి, వీరు చెప్పే శ్లోకములో “శ్రావణే మాసి నక్షత్రే శ్రవణే హరివాసరే” అని, అంటారు ఇది సంపూర్ణముగా అసంబద్ధము, ఎవరిచేతనో ఈ వేంకటాచల మాహత్మ్యము అను సంకలన గ్రంథములోకి మధ్య లో చేర్చబడినది,
      ప్రశ్న: ఈ శ్లోకములో తప్పు ఏమిటి,
      స: జ్యోతీష్య సిద్దాంతములో కనీస పరిజ్ఞానము ఉన్నవారిని అడిగినా చెబుతారు, అసలు ఈ శ్లోకము, దీనిలో చెప్పబడిన విషయము శుద్ధ తప్పు అని, ఇది జ్యోతీష్య సిద్దాంతమునకే విరుద్దము,
      ఇక్కడ “హరి”వాసరే అనగా “ఏకాదశి” అని అర్థము,

      ప్రమాణము : శబ్ధకల్పధృమ : శబ్ధ: హరివాసరం , లింఙ్గం క్లీ, – (हरेर्वासरम् । ) श्रीहरेर्द्दिनम् । तत्तु एकादशीद्वादशीतिथिरूपम् । यथा — “ एकादशी द्बादशी च प्रोक्ता श्रीचक्रपाणिनः ॥ “ एकादशीमुपोस्यैव द्वादशीं समुपोषयेत् । न चात्र विधिलोपः स्यादुभयोर्देवता हरिः ॥ “ इति च तिय्यादितत्त्वम् ॥ अपि च । “ यानि कानि च पापानि ब्रह्महत्यादिकानि च । अन्नमाश्रित्य सर्व्वाणि तिष्ठन्ति हरिवासरे ॥ अघं स केवलं भुङ्क्ते यो भुङ्क्ते हरिवासरे,
      శ్రావణమాసములో ఏకాదశి తిథి యందు శ్రవణా నక్షత్రము వస్తుందా ? రాదు, కారణము ? అది పౌర్ణమి నాడే వస్తుంది, కనుక ఈ శ్లోకము తప్పు ఇది సిద్దంతమునకే విరుద్దము, ఇలాంటి ప్రక్షిప్త శ్లోకాలు ఎన్నో ఉన్నాయి, ఇలా తప్పుడు శ్లోకాలతో ఎదో కొంత కాలము ఎవ్వరికీ తెలియనంత కాలము జరిగిపోవచ్చు, కాని ఎప్పుడైతే ప్రమాణ బద్ధముగా వివిధ ప్రమాణములతో పరిశీలన చేయబడుతుందో, ప్రశ్నించటము ఆరంభము అవుతుందో, అప్పుడు ఇవన్నీ అప్రమాణములు అని తెలియును, తత్క్షణమే వాటిని నిషేధించవలెను,

      ప్రశ్న: మరి రెండవది ? “ కార్తీక కృష్ణ చతుర్దశి” ?
      స : అసలు అగస్త్య సంహితకి సంబంధించిన మూల ప్రతులు అన్నీ సంస్కృతము తో బాటు పాండు లిపిలో ఉన్న గ్రంథములను కూడా పరిశీలన చేస్తే అసలు ఎక్కడ చూసినా ఈ శ్లోకము గాని కార్తిక విషయము గాని లేదు ఇదికూడా అప్రమాణమే,
      అగస్త్య సంహిత – పురాతన పాండులిపి
      పురాతన అగస్త్య సంహితా సంస్కృత ,పాండు లిపి, ఆధాఅరముగా ముద్రణ – అగస్త్య సంహితా” గ్రంధములు

                ఈ ఏ అగస్త్య సంహితా పుస్తకముల యందు ఈ పై శ్లోకము లేనే లేదు, 

      ప్రశ్న : మరి తిరుపతి వారు పెద్ద పెద్ద పండితులు, అందరూ కలిసి 4 నెలల బాటు ఎంతో పెద్ద సంశోధనము చేసినాము అని విశేషముగా సభలు, పెద్ద పెద్ద వార్తా పత్ర, మాధ్యములలో ప్రపంచమంతా మేము శ్రీ హనుమంతుల వారిపై సంశోధనము చేసినాము అని చాలాప్రచారము చేసినారు కదా ? వారు ఈ తిథి గురుంచి ఏమీ చెప్పలేదా,
      స: తిరుపతి వారు వేసినదే ఒక నకిలీ కమిటీ , వారు చెప్పేవన్నీ శుద్ద తప్పులు, అబద్దాలు, చివ్వరికి ఎంత పరిస్థితి తెచుకున్నారంటే చివ్వరికి నలికీ శ్లోకములు తో నకిలీ సంశోధనలు వీటిని హిందూ ధర్మాచార్యులు ఒప్పుకోక పోతే చివ్వరికి నకిలీ పీఠాధిపతులు తో పూజలు,
      మొట్టమొదట తిరుపతి కమిటీయే ఒక నకిలీ కమిటీ దానికి ఏవిధమైన గుర్తింపు లేదు అసలు రాజ్యాంగము ప్రకారము కానీ టి.టి.డి పరిపాలనా నియమాలను అనుసరించి అసలు ఒక కమిటీ వేయటము, అర్థము లేని నిర్ణయాలు ప్రకటించటము ఈరకముగా చేయటానికి వీరికి అధికారమే లేదు, కానీ ఇదంతా కావాలని బలవంతముగా నకిలీ పత్రాలతో చేసినది వీటియందు ఏమీ సత్యాంశము లేదు ఇంకా చివ్వరకి వీళ్ళని విరోధించిన శ్రీ హనుమద్ జన్మభూమి తీర్థ క్షేత్ర ట్రస్ట్ పంపాక్షేత్ర గోవిందానంద సరస్వతి స్వామివారు టి.టి.డి కమిటీ ని ఒప్పుకున్నారని ఒక ఫేక్ వీడియో కూడా తయారుచేసుకున్నారు ఇది వీరి అధర్మ కార్యం ఆతరువాత టి.టి.డి నకిలీ కమిటీకి పరిపాలనా అధికారులకు హైకోర్ట్ లో కూడా ముఖ భంగము ఏర్పడినది,
      భయట ఎవ్వరికైనా అబద్దములు చెప్పి మోసము చేయవచ్చు కానీ కోర్ట్ లో అబద్ధాలు చెప్పలేరుకదా చివ్వరికి టి.టి.డి వారు కోర్టుకు సమర్పించిన అఫిడబిట్ లో తాము చేసిన పనికి వివరణ ఇస్తూ మూల ప్రమాణములు గురించి మేము అడిగిన ప్రశ్నకు సమాధానము ఇస్తూ చెబుతూ “ శ్రీ హనుమంతులవారి విషయములో మేము చూపించే వాటికి, వాటి మూల ప్రమాణములు మావద్ద లేవు అనుకోకుండగా అవి కాలగర్భములొ కలిసిపోయినవి అని, వీటికి ఎ ఇలా అని వీటికి ఎటువంటి ప్రమాణము లేదని వాళ్ళే ఒప్పుకున్నారు, బయట చివ్వరికి వాళ్ళ పరువు పోతుందని, మళ్ళా ఇంకొక నాటకము మేము అనుకుంటున్నాము అని, మేము చెప్పే విషయాలను భక్తులను, సమాజాన్ని, ప్రజలను నమ్మ మని మేము ఏమీ చెప్పటము లేదు, కోరటములేదు, అని, మరి ఇప్పటివరకూ ఇన్ని తతంగాలు చేసి ఇన్ని సభలు పెట్టి, ఇన్ని నకిలీ అంతర్జాతీయ సెమినార్ లు పెట్టి, ఏదో చేద్దామని చివ్వరకు సమాజములో భక్తులను, అందరిని గందరగోళా నికి బలి చేసి చివ్వరికి తప్పును ఒప్పుకొని తిరుపతికే చ్చెడ్డపేరు తెచ్చే స్తాయులో ఈ నకిలీ కమిటీ నకిలీ పండితులు తమ పరువును పోగొట్టుకున్నారు, తనదికాని పనిలో తలదూర్చి చేతులు అంటించుకున్నారు, శ్రీ హనుమంతుల వారి జన్మ స్థల విషయములో నకిలీ కమిటీ, నకిలీ పుస్తకములు ముద్రణ, నకిలీ సంశోధన, శ్రీ హనుమంతులవారి జన్మ స్థళము తిరుపతి అంటూ హంగామా చేసి చివ్వరికి అబాసుపాలు కావలసి వచ్చినది,
      అదే సమయములో వారు పెద్ద పెద్ద పండితుల తో చేసిన నకిలీ సంశోధనముల లో
      శ్రీ హనుమంతులవారి జన్మతిథి గురించి కూడా వ్రాసారు, అందులో ఈ శ్లోకము ఉదహరించినారు, దీనిగురించి దీనిపై వారినే సమాధానము ఇవ్వండి అని అడిగితే , సమాధానము లేదు, , ఇంకా విచిత్రము వీరు వ్రాసిన తిథులు వీరికే అర్ధమవ్వక అగమ్య గోచర స్థితిలో ఉండిపోయారు,
      ఇంకా విచిత్రము ఇంతా కష్ఠపడిచేసిన నకిలీ రీసర్చ్ లో నాలుగు తిథులు చెప్పారు, విచిత్రమేమిటంటే చివ్వరకి వారు ఈ నాలుగూ వదిలివేసి మరలా ఇంకో కొత్త తిథిని పట్టుకు వచ్చారు,
      అందుకే వీరిని నకిలీ కమిటీగా నిర్ధారణ చేయటము జరిగినది,
      చెప్పేది ఒకటి, వ్రాసేది ఇంకొకటి, చివ్వరకి ఆచరించేది మరొకటి,
      ప్రశ్న : అంటే ?
      స : “వైశాఖ మాసంలో కృష్ణ పక్షంలో పదవరోజు అని ఇదొక కొత్త నాటకము
      ప్రశ్న : ఆ మేమూ టీవీ లో చూసాము , అప్పటివరకూ వివిధ తిథులు అన్నారు మరి అకస్మాత్తుగా వాటిని అన్నింటినీ కాదని మార్చేసి మరలా కొత్తది ఎందుకు చేసారు ?
      స: అందుకే అన్నాము వీళ్ళు చెప్పేది ఒకటి, వ్రాసేది ఇంకకటి చివ్వరకి చేసేది మరొకటి
      ప్ర: ఈ వైశాఖ మాసము ఎక్కడనుండి వచ్చినది, ?
      స : ఇది కూడా అప్రమాణమే దీనికి పరాశరస్మృతి అని ఎవేవో కథలు చెబుతారు,
      అసలు “పరాశర సంహితా” గ్రంథము వివరము సత్యాసత్యములు ఏమిటి అని విచారణ చేస్తే దీని గురించి పూజ్య జగద్గురువులను ఇతర సాంప్రదాయ ఆచార్యులను ఆశ్రయించి చర్చ చేస్తే ఇదికూడా సంపూర్ణముగా అప్రమాణముగా తేలినది వివేకచూడామణి అని అన్నవెంటనే అందరికీ తెలుసును, అటులనే సాక్షాత్ జగద్గురువులే అనిరి “ ఇదేమిటి ఈ గ్రంథము ఎక్కడ నుంచి వచ్చినది అని” సంపూర్ణ భారత దేశములో ఎవ్వరికీ తెలియదు దీనితో బాటు ఈ ఆంధ్ర ప్రంతములో ఇంకొక అవైదిక ఆచరణ భారత దేశములో వైదిక పరంపరానుగ ఆచార్యులు అందరూ శ్రీ హనుమంతులవారి జన్మతిథిని “ చైత్రము నందే” ఆచరించుచున్నారు, దినితో బాటు ఆంధ్ర దేశములో ఇంకొక అవైదిక ఆచరణ
      ప్రశ్న : ఏమిటది ?
      స: శ్రీ హనుమంతుల వారి వివాహము, ఇది అత్యంత దుర్మార్గము, పెద్ద పెద్ద పండితులు కూడా విచక్షణ లేకుండా అది ప్రమాణమా అప్రమాణమా అని అలోచించకుండగా సన్మానాలకి, మెప్పుకూ, ప్రచారాలకి, ఎడు పడితే వాడు, ఏది పడితే అది ప్రవచనాలు చెప్పటము మొదలు పెట్టారు, కొంతమంది అన్నదానం చిదంబర శాస్త్రి, స్వర్గీయ మురళీధర శర్వ వంటివారు వారి అనుయాయుల తో ఆంధ్ర లో ఈ విషయమై నకిలీ పి.హెచ్.డి. లు, నకిలీ పుస్తకాలు ఎవ్వరికి ఇష్ఠము వచ్చినట్లు వారు ప్రచారము చేసుకొనిరి, ఇవన్నీ చివ్వరకు అసత్యములు అప్రమాణములు అని తేలినవి,

      శ్రీ హనుమంతులవారి జన్మ విషయములో తప్పుడు ప్రచారము చేస్తున్న కొన్ని అప్రమాణ, గ్రంథములు ,

      Beware of these Fake books on Sri Hanuman’ history in the name of Puranas, Samhitas, P.hd and other Research Works

      TTD’s Fake Research Books with Fake Documents
      on Fake Sri Hanuman birthplace in Tirupati

      మొదటి పుస్తకము
      13-04 -2021 రెండవ పుస్తకము
      21-04-2021, మూడవ పుస్తకము
      On 16th 16-02-2022
      ఇవి తిరుపతి నకిలీ కమిటీ వారు శ్రీ హనుమంతులవారి జన్మస్థళము అని నిరూపించుటకు వేసిన 3 నకిలీ సంశోధన పుస్తకములు ఒకదాని తరువార ఇంకొకటి మారుస్తూనే ఉన్నారు

      విచిత్రముఏమిటంటే ఇందు లో ౩ పుస్తకాలు, మొదటి పుస్తకం 13-04 -2021 ఇందులో అన్నీ తప్పులే వెంటనే దాన్ని మార్చివేసారు, 21-04-2021 దాన్ని ఖండిస్తూ శ్రీ హనుమద్ జన్మభూమి తీర్థ క్షేత్ర ట్రస్ట్( రి) శ్రీ గోవిందానంద సరస్వతీ స్వామివారు దానిలో ఉన్న సమస్త దోషములను ఒక్కొక్క పేజిలోనూ చూపించినారు, మరల ఈ పుస్తకాన్ని కూడా మార్చివేసి పెద్దగా వేస్తున్నాము అని ఒక నెపముతో మరలా ఇంకొక పుస్తకమును 16-02-2022 న తిరుపతిలో భూమిపూజా అని ఒక నాటముతో అక్కడ దీనిని పంచారు కాని ఆంధ్ర హైకోర్ట్ స్తే కారణముగా ఈ పుసకమును ఎవ్వరకీ ఇవ్వటానికి కుదరక హడావిడిగా వచ్చిన కొంతమందికి ఒన ౧౦ పుస్తకములను మాత్రమే ఇచ్చి మిగతావి రూములో తాళము వేసి సీల్ చేయ వలసిన పరిస్థితి , అదేరోజు తిరుపతిలో ఈ పుస్తకము ఒక ప్రతి స్వామివారికి చేరిన వెంటనే అందులో కూడా అనేక దోషములు గుర్తించిరి,
      నకిలీ శ్లోకములతో నకిలీ గ్రంథములు సృష్ఠించి , నలికీ కమిటీ లతో నకిలీ సంశోధనముల తో చివ్వరకు టి.టి.డి వారు భంగపడటము జరిగినది,

      ప్రశ్న: అసలు శ్రీ హనుమద్ వ్రతము, శ్రీ హనుమద్విజయోత్సవము ఏమిటి, ఇవి ఏరకముగా వచ్చాయి ?
      సమాధానము : కొంతకాలము క్రితము కొంతమంది భక్తులు వివిధ దేవతల మాలలు 41 రోజుల దీక్షా విధానమును ఆరంభించినారు చైత్ర శుక్ల పూర్ణిమ నుండి 41 రోజులు గా ఆంధ్రా, కర్నాటకా, తెలంగాణా లలో, వీటికి కొద్ధి భిన్నముగా తమిళనాడు లొ, ఈదీక్షా వ్రతము ముగింపు రోజున “హనుమద్ వ్రతము” ఉద్వాసనగా, హనుమద్ విజయోత్సవముగా ఇలా వివిధ ప్రదేశములలో వారి వారి పూజలకు కొత్త కొత్త గా పేర్లు పెట్టుకున్నారు, ఇది ఇక్కడితో ఆగకుండగా ఈ 41 రోజులలో వారి ప్రాంతముల దగ్గర ఎదైనా ఒక శ్రీ హనుమంతులవారి దేవస్థానము ఉంటే అక్కడకి ఆ 41 రోజులలో వెళ్ళి మాలావిసర్జన చేయుట ఆరంభించినారు, ఆ ముగింపు రోజు చిన్న హనుమద్ జయంతి అనికూడా నామకరణము చేసి ఇందులో కూడా చిన్న, పెద్ద హనుమద్ జయంతులని కొత్త విధానాలు ఆరంభించారు అందువలన ఇవేవీ ప్రమాణములు కాదు, ఈ ఆచరణలకి శాస్త్రీయబద్ధమైన సమ్మతి లేదు, ఒక ధర్మ సింధు, నిర్ణయ సింధూ లేనిచో శ్రీమద్ వాల్మీకి మూల, ఆనంద రామాయణాదిలు ఇటువంటివాటిలో చెప్పిన విధముగా చేయకుండా ఎవరికి ఏ విధానముగా నచ్చితే వాళ్ళకి ఏ విధముగా అనుకూలముగా ఉంటే అనుకూలసింధు… ఆ విధముగా వివిధ కార్యక్రమములు ఆరంభించినారు వీటికి ప్రమాణములు అడిగితే ఏ మీ లేకపోతే ఇటువంటిది ఇంతటి తోనే ఆగకుండగా వీటిని ఏదోరకముగా ప్రమాణీకృతము చేయటానికి స్వశ్లోకములు, స్వయం రచిత గ్రంథములు, పురాణాల పేరుతో, సంహితల పేర్లతో కొత్తగా రచించి వాటిలో ప్రక్షిప్తాలను చేర్చి ఇంతటితోనూ ఆగకుండా శ్రీ హనుమంతులవారికి వివాహమును కూడా జరిపించే స్థాయికి ఈ నాటి పండితులు అజ్ఞానులై వ్యవహరిస్తున్నారు, ఇటువంటివి అన్నీ అప్రమాణములు, అశాస్త్రీయములు,

      ప్రశ్న : సమస్త భారత దేశములో అందరు ఈ తిథి యందే ఆచరిస్తున్నారు కదా మరి కొన్నిప్రదెశములలొ ఆంధ్రా, తెలంగాణా, కర్నాటకా, తమిళనాడు కొన్నిచోట్ల్భక్తులుదీనికి భిన్నముగా ఎందుకు ఆచరిస్తున్నారు,

      సమాధానము : ఆంధ్రా, తెలంగాణా, కర్నాటకా, తమిళనాడు లో కూడా చైత్ర శుక్ల పూర్ణిమ నాడే ఆచరిస్తున్నారు దీని తో బాటుగా ౪౧ రోజుల తరవాత కూడా ఇదే హనుమద్ జయంతి ని మరొకసారి చిన్న హనుమద్ జయంతిగా అదే శ్రీ హనుమద్ వ్రతముగా, శ్రీ హనుమద్ విజయోత్సవముగా కొత్త కొత్తగా కొత్త ఆచరణలు ఆరంభించటముతో అది విపరీత పరిణామములతో మరల కాలగతిలో నూతన రాష్ట్రాలు నూతన విధానాలు, నూతన ఆచారాలు ఈ విధముగా ఎవరికి వారు వాది సొంత విధానాలను సొంత కథలను వ్రాయుట ఈ విధముగా ప్రాంతాల వారీగా ఈ నాలుగు రాష్ట్రాలలో వ్యత్యాసము రావటము జరిగినది, అంతే కానీ శ్రీ హనుమంతులవారి జన్మతిథిలో మార్పులేదు అది చైత్ర శుక్ల పూర్ణిమయే,

      తమ ప్రాంతీయ నమ్మకాలు మరియు అనుసరించే విధానాలు, వాని ,సమయములలొ వ్యత్యాసము వలన వివిధ మాసాలలో వేర్వేరు సమయాల్లో హనుమాన్జయంతి ఆరంభము అయ్యినది . చైత్రపూర్ణిమయే హనుమాన్జయంతి గా సమస్త భారతదెశము లొ అనెక రాష్ట్రాల్లోపరంపరగా ఆచరిస్తు వస్తున్నారు,
      ఆంధ్రప్రదేశ్ మరియు తెలంగాణల లో, హనుమద్ జయంతి 41 రోజుల పాటు జరుపుకుంటారు, ఇది చైత్ర పూర్ణిమనాడు ప్రారంభమై “వైశాఖ మాసంలో కృష్ణ పక్షంలో పదవరోజు ముగుస్తుంది. ఆంధ్ర ప్రదేశ్ భక్తులు చైత్ర పూర్ణిమనాడు 41 రోజుల దీక్షను ప్రారంభించి మార్గశీర్ష అమావాస్య ముగిస్తారు. కాల గతిలో ఇవి అన్నీ నూతనముగా ఆరంభించిన వే గాని అవి ఏవీ ప్రామాణికములుకావు,
      Puranas are the stories from different kalpas of the universe Ithihasas are the history of the current kalpa which we live so it’s clearly more authentic then puranas . We simply can’t dismiss the entire puranas as fake folkores. If Lord Shiva himself uses puranas to built a chariot one cannot ignore it completely. We can only consider certain chapters of puranas authentic if they are mentioned in ithihasas .

      ప్ర : పురాణము, ఇతిహాసము,
      శ్రీ హనుమంతులవారి జన్మస్థల. తిథి విషయాలలో పురాణాలు ప్రమాణముగా తీసుకోవలెనా లేక ఇతిహాసములు ప్రమాణములుగా తీసుకోవలెనా ? ఏదైనా ఒక విషయము గురించి నిర్ణయించి చెప్పాలి అంటే( శ్రీ హనుమంతులవారిజన్మస్థలము, జన్మతిథి) పురాణము, ఇతిహాసము, వీటిలో మనము దేనిని ఆశ్రయించవలెను
      సమా: ఏదైనా ఒక విషయము గురించి నిర్ణయించటానికి మనకి కావలసినవి ప్రమాణములు, ప్రత్యక్ష, అనుమాన, ఉపమాన ఇత్యాది ప్రక్రియలు, వేదాలు, స్మృతులు, ఇతిహాసము, పురాణములు, ఇత్యాది ద్వారా,
      ఒక వస్తు విషయ నిరూపణకు ఇక్కడ వేదాలు, స్మృతులు ను తీసుకుంటే, స్మృతులు శృతు (వేదాలు) లను ఆనుసరించి ఉండాలి కాని తత్ విరుద్దములుగా ఉండకూడదు, అలాగే స్మృతులలోనే పరస్పర భిన్న వాదనలు వచ్చినా అప్పుడు కూడా స్మృతులను కాకుండా శృతులనే అశ్రయించవలెను , మనకి సంపూర్ణ విషయ ప్రతిపాదన శృతి (వేదాల) లో నే ఉన్నప్పుడు ఇంక మనము స్మృతులను ఆశ్రయించవలసిన అవసరమేలేదు, స్మృతులు శృతు ( వేదాల లకి) పూరకముగా ఉండవలెనే గాని బిన్నభిన్నముగా కాదు, స్మృతు లలో ఆరకముగా ఉన్న వాటిని ప్రమాణములుగా స్వీకరించరు అలాగే ఇతిహాసములు, పురాణములు, ఈ ఇతిహాసపురాణాలలో కూడా పురాణాములు ఇతిహాసానికి పూరకముగా ఉండాలి ఒకవేళ పురాణములలో ఇతిహాసము నకు విరుద్దముగాఅ లేదా ఇతిహాసములలోనే పరస్పర విరుద్దములుగా ఉన్న
      ప్రశ్న : సమన్వయము చేసుకోవచ్చుకదా ?
      సమా : శృతి (వేదాల) నుండి స్మృతులు వచ్చాయి, ఇక్కడ సమన్వయము అనేది ధర్మసింధు నిర్ణయ సింధు లాగ ఉండవలెను, అనుకూలసింధు లాగ కాదు,

      On 26th Oct 2022 Shila Poojan Performed by Sri Govindananda Saraswati Swamiji in Kishkindha – for the upcoming project

      https://fb.watch/fb1yZs1nwp/

      Sri Kishkindha Hanuman Vigraha Pratishtha in Swarna Hampi by Poojya H.H Sri Govindananda Saraswati Swamiji with the request of New Hampi Village People Sri Poojya Swamiji installed first Kishkindha Sri Hanuman Vigraha in New Hampi Sri Hanumad Janmabhoomi Teertha Kshetra Trust (R) planning to install 108 Sri Kishkindha Sri Hanuman Vigrahas in Karnataka during the Kishkindha Ratha Yatra in which the 1st Vigraha installed in Pampakshetra Swarna Hampi New Hampi Village only
      https://www.youtube.com/watch?v=4yB6dy8wLUE

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      Sri Hanumad Janmabhoomi Teertha Kshetra Trust ®,
      Sri Papakshetra Kishkindha Swarna Hampi – Karnataka, Hospet T.Q, Vijayanagara District , Karnataka
      www.kishkindha.org hanumadjanmabhoomitrust@gmail.com
      Contact: 8762711113 / 8500411118
      www.kishkindha.org Sri Hanumad Janmabhoomi Teertha Kshetra Trust @ SHJBTKTrust



      हरिद्वार कुम्भ 2021 के दौरान पूज्य जगद्गुरु शंकराचार्य महाराजश्री गुरुदेव के चरण कमलों में “श्री हनुमद जन्मभूमि – प्रमाण” के संबंध में निवेदन रखा।

      पूज्य गुरुदेव जी ने मुझे विभिन्न वैदिक ग्रंथों (श्री वाल्मीकि रामायण, शिवहामापुराणम और अन्य) का अध्ययन करने और एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। फिर यह पुस्तक लेखन शुरू हुआ

      https://www.youtube.com/watch?v=Ie_LlieWmQ8  https://www.youtube.com/watch?v=8km-0mvSdQU



      पिछले 15 वर्षों के दस्तावेज जो मैंने पहले ही श्री हनुमान के जन्म इतिहास से संबंधित विभिन्न  वैदिक ग्रंथों से एकत्र किए हैं, जो मेरे द्वारा एकत्र किए गए हैं, वह  एक पुस्तक प्रारू में गुरुदेव को प्रस्तुत किए गए हैं।

        इस  पर लगातार 20 दिनों तक चली चर्चा https://www.youtube.com/watch?v=9h-77WNPhxc